34.5c India
Friday May 10, 2024
Aryavart Times

पंजाब कांग्रेस कलह की लपट अन्य प्रदेशों तक पहुंची, संकट में घिरी पार्टी

पंजाब कांग्रेस कलह की लपट अन्य प्रदेशों तक पहुंची, संकट में घिरी पार्टी

पंजाब कांग्रेस इकाई की कलह ने गंभीर रूख अख्तियार कर लिया है। इसका असर एक ओर जहां कांग्रेस शासित प्रदेशों छत्तीसगढ़ और राजस्थान में देखने को मिल रहा है तो दूसरी ओर हरियाणा, बिहार, केरल सहित अन्य प्रदेशों में पार्टी इकाई में उठापठक स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। 

पंजाब में कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई ने नया मोड़ ले लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने जहां कांग्रेस छोड़ने का स्पष्ट संकेत दे दिया है तो नवजाेत सिंह सिद्धू, सोनिया गांधी को प्रदेश अध्यक्ष् पद से इस्तीफा देने के बाद अभी भी झुकने को तैयार नहीं दिख रहे हैं । हालांकि, सिद्धू ने आज पंजाब के नये मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मुलाकात की । लेकिन बताया जाता है कि वे अपनी कुछ मांगों को लेकर अभी भी अड़े हुए हैं । 

वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के एक दिन बाद पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की। समझा जाता है कि सिंह ने डोभाल के आवास पर पहुंचकर उनसे मुलाकात की और दोनों के बीच करीब 30 मिनट तक बैठक चली। सिंह से मिलने के बाद डोभाल गृह मंत्री अमित शाह के आवास गए और उनसे मुलाकात की। दोनों के बीच करीब दो घंटे तक मुलाकात चली और इस दौरान कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।  सिंह के अनुसार, पंजाब से जुड़ी सुरक्षा संबंधी चिंता के चलते वह डोभाल से मिले।   अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को लेकर उन्होंने डोभाल से मुलाकात की है। उन्होंने कहा, ‘‘सुरक्षा चिंताओं को लेकर मैं उनसे मिला हूं। मैं मुख्यमंत्री भले ही नहीं हूं, लेकिन पंजाब तो हमारा है...पहले जैसे हालात न पैदा हों, एनएसए से मुलाकात का यही मकसद था।’’इससे पहले, सिंह ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की जिसके बाद उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गईं। हालांकि, अमरिंदर सिंह ने कहा कि शाह के साथ उनकी करीब 45 मिनट तक चली मुलाकात के दौरान उन्होंने आग्रह किया कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करके और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देकर पिछले 10 महीनों से चल रहे किसानों के आंदोलन के मुद्दे का समाधान किया जाए। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पंजाब में दलित समुदाय के एक व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया जाना कुछ लोगों को हजम नहीं हो रहा है और शाह का निवास दलित विरोधी राजनीति का केंद्र बन गया है।अमरिंदर सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह कांग्रेस छोड़ रहे हैं, लेकिन भाजपा में शामिल नहीं होंगे। दूसरी ओर,कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा समेत ‘जी-23’ समूह के कई नेताओं ने पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के आवास के बाहर हुए पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध प्रदर्शन की निंदा करते हुए कहा कि इस ‘सुनियोजित उपद्रव’ में शामिल लोगों के खिलाफ पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।  पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी इस मामले को लेकर कहा कि वह आहत महसूस कर रहे हैं।  राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष आजाद ने ट्वीट किया, ‘‘मैं कपिल सिब्बल के घर के बाहर बीती रात हुए सुनियोजित उपद्रव की कड़ी निंदा करता हूं। वह एक वफादार कांग्रेसी हैं जो संसद के बाहर और भीतर पार्टी के लिए लड़ रहे हैं। किसी भी जगह से आने वाले सुझाव का स्वागत होना चाहिए, उसे दबाना नहीं चाहिए। उपद्रव अस्वीकार्य है।’’ शर्मा ने ट्वीट किया, ‘‘कपिल सिब्बल के घर पर हमला और उपद्रव के बारे में सुनकर स्तब्ध और आहत हूं। इस निंदनीय कृत्य से पार्टी की बदनामी होती है। इसकी कड़ी भर्त्सना की जानी चाहिए।’’ राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि मतभिन्नता लोकतंत्र का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से आग्रह है कि वह कड़ी कार्रवाई करें।’’ चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ‘‘मैं असहाय महसूस करता हूं जब हम पार्टी के भीतर सार्थक संवाद आरंभ नहीं कर सकते। मैं उस वक्त भी आहत और असहाय महसूस करता हूं जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा अपने एक साथी और सांसद के आवास के बाहर नारेबाजी किए जाने की तस्वीर देखता हूं। लगता है कि भलाई इसी में है कि व्यक्ति चुप्पी साध कर रखे।’’

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपने वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल द्वारा कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की तत्काल बैठक बुलाने की मांग किए जाने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को कहा कि सीडब्लयूसी की बैठक बहुत जल्द बुलाई जाएगी। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले सप्ताह संकेत दिया था कि सीडब्ल्यूसी की बैठक बहुत जल्द बुलाई जाएगी। सीडब्ल्यूसी कांग्रेस की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है।

इधर, छत्तीसगढ़ में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी समझे जाने वाले कांग्रेस के करीब 15 विधायक इन दिनों दिल्ली में जमे हुए हैं, हालांकि खुद बघेल और कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने इसे तवज्जो नहीं देने की कोशिश करते हुए कहा कि इसको राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। दूसरी तरफ, दिल्ली पहुंचे विधायक बृहस्पत सिंह ने दो टूक कहा कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का दूर-दूर तक कोई सवाल नहीं है और बघेल की अगुवाई में ही पूरे पांच साल सरकार चलेगी। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के ढाई वर्ष पूरे होने के बाद से लगातार चर्चा है कि मुख्यमंत्री पद  ढाई—ढाई वर्ष तक बघेल और फिर राज्य के वरिष्ठ नेता एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को देने की बात हुई थी। ऐसे में ये विधायक बुधवार को दिल्ली पहुंचे हैं। 

पंजाब में जारी सियासी घमासान के बीच राजस्थान में भी उठापटक (Rajasthan Political Crisis) का दौर जारी है. बीएसपी से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों में से 4 विधायक अब बगावती तेवर अपना रहे हैं. बीएसपी के 6 विधायक काफी समय पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे. कहा जा रहा है कि उस समय सीएम अशोक गहलोत ने उन्हें मंत्री पद का भरोसा दिया था. गहलोत कैबिनेट में जगह न मिलने से चार विधायक पार्टी से नाराज चल रहे हैं.

पंजाब कांग्रेस में चल रही उठापटक के बीच हरियाणा के कांग्रेस दिग्गजों में भी टकराव बढ़ता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस विधायक दल के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गठबंधन की सरकार के खिलाफ विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम के जरिये जो अभियान शुरू करने जा रहे हैं, हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने उस पर सवाल उठा दिए हैं। खबरों के अनुसार, सैलजा ने कहा है कि विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम से हरियाणा कांग्रेस का कोई लेनादेना नहीं है।

खबरो की मानें तब केरल और बिहार में भी कांग्रेस के लिये स्थिति ठीक नहीं दिख रही है।







Start the Discussion Now...



LIVE अपडेट: देश-दुनिया की ब्रेकिंग न्यूज़