केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डीएपी और कुछ अन्य गैर-यूरिया उर्वरकों की सब्सिडी में कुल 14,775 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की ताकि आयात की बढ़ती लागतों के बावजूद किसानों को खाद सस्ते में उपलब्ध होती रहे।
महामारी के बावजूद, सरकार की इस पहल से किसानों को काफी राहत मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उर्वरक विभाग ने प्रस्ताव किया था कि वर्ष 2021-22 (मौजूदा मौसम तक) के लिये पी-एंड-के उर्वरकों पर पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी तय कर दी जाये।
रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बुधवार को कहा कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने किसानों के लाभ के लिए डीएपी उर्वरक के लिए सब्सिडी राशि बढ़ाने को मंजूरी दे दी है।
उन्होंने कहा, ‘'किसानों को 1,200 रुपये प्रति बोरी की पुरानी दर से डीएपी मिलता रहेगा।’’
इस पहल से यह सुनिश्चित होगा कि वैश्विक कीमतों में वृद्धि के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर ही ये खाद मिलते रहें। एक बोरी में 50 किलोग्राम उर्वरक होता है।
किसानों को राहत देने के लिए डीएपी उर्वरक की सब्सिडी 500 रुपये प्रति बोरी से बढ़ाकर 1,200 रुपये प्रति बोरी कर दी गई है।
सरकारी बयान के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में डीएपी और अन्य पी-एंड-के उर्वरकों के कच्चे माल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तैयार डीएपी आदि की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। कीमतें तेजी से बढ़ने के बावजूद भारत में डीएपी की कीमतें शुरूआत में कंपनियों ने नहीं बढ़ाई थीं, हालांकि कुछ कंपनियों ने इस वित्त वर्ष की शुरूआत में डीएपी की कीमत में इजाफा किया था।
किसानों की चिंताओं से सरकार पूरी तरह अवगत है और उन चिंताओं के प्रति संवेदनशील है। सरकार हालात से निपटने के लिये कदम उठा रही है, ताकि किसान समुदाय को पी-एंड-के उर्वरकों (डीएपी सहित) की बढ़ती कीमतों के दुष्प्रभाव से बचाया जा सके। इस सिलसिले में पहले कदम के तहत सरकार ने सभी उर्वरक कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे किसानों के लिये बाजार में इन उर्वरकों की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित करें। सरकार देश में उर्वरकों की उपलब्धता की निगरानी कर रही है।
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