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Saturday April 27, 2024
Aryavart Times

जैव विविधता पार्क को ‘टिकाऊ’ बनाने के लिये धन का दीर्घकालिक प्रबंध एवं एक तंत्र स्थापित हो : प्रो. सी आर बाबू

जैव विविधता पार्क को ‘टिकाऊ’ बनाने के लिये धन का दीर्घकालिक प्रबंध एवं एक तंत्र स्थापित हो : प्रो. सी आर बाबू

उत्तर प्रदेश के गंगा तटीय क्षेत्र में चार जैव विविधता पार्क स्थापित करने की परियोजना के सलाहकार विशेषज्ञ प्रो. सी आर बाबू ने सरकार को बायोडायवर्सिटी पार्को को टिकाऊ बनाने के लिये कैम्पा फंड, नियमित अनुदान, वन विभाग की निधि से धन का दीर्घकालिक प्रबंध करने और एक तंत्र स्थापित करने का सुझाव दिया है।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने सितंबर माह में उत्तर प्रदेश के चार जिलों - हापुड़, बुलंदशहर, बदायूं और मिर्जापुर में 24.97 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर चार जैव विविधता पार्क स्थापित करने को मंजूरी दी थी। सभी चार स्थान गंगा के जल ग्रहण क्षेत्र के मैदानों के साथ स्थित हैं। इस प्रस्तावित परियोजना में वनस्पति विज्ञानी प्रो. सी आर बाबू सहित डीडीए जैव विविधता पार्क के विशेषज्ञ सलाहकार की भूमिका निभायेंगे । 
प्रो. सी आर बाबू ने कहा कि जैव विविधता पार्क न केवल दुनिया भर में लुप्त होती प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने का मॉडल बने हैं बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिये एक विस्तृत श्रृंखला भी प्रदान करते हैं ।
उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे जैव विविधता पार्को का टिकाऊ होना और लम्बे समय तक बने रहना बड़ी चुनौती है । यह इसलिये जरूरी है क्योंकि इन परियोजनाओं के लिये आमतौर पर चार या पांच वर्षो के लिये ही धन का प्रबंध होता है । ’’
प्रो. बाबू ने कहा कि जैव विविधता पार्को का लम्बे समय तक टिकाऊ बने रहने के लिये धन  का उचित प्रबंध और एक व्यवस्थित तंत्र की स्थापना जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर परियोजना अवधि समाप्त होने पर यह खस्ताहाल हो जायेगा और अतिक्रमण का शिकार भी हो सकता है। 
उन्होंने सुझाव दिया, ‘‘ इसके लिये प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (कैम्पा) फंड, नियमित अनुदान, वन विभाग की निधि से धन का प्रबंध किया जा सकता है । ’’
उन्होंने बताया कि जैव विविधता पार्को में आर्द्र भूमि स्थित होती है जो बाढ़ के पानी का संचय करने में सहायक होते हैं और इससे जल की गुणवत्ता बेहतर होने के साथ वनस्पतियों की स्थिति में सुधार होता है। 
उत्तर प्रदेश में चार जैव विविधता पार्क को लेकर प्रो. बाबू ने कहा कि उन्होंने सुझाव दिया है कि प्रत्येक पार्क में कम से कम दो वैज्ञानिकों सहित तकनीकी कर्मियों की एक टीम बनायी जानी चाहिए । इस टीम में एक प्राणी वैज्ञानिक और एक वनस्पति वैज्ञानिक होने चाहिए । 
एनएमसीजी के प्रस्ताव के अनुसार, उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित जैव विविधता पार्क गंगा के बाढ़ के मैदानों के साथ आरक्षित वनों का हिस्सा हैं और नदी के जीर्णोद्धार और जैव विविधता के संरक्षण में प्रमुख भूमिका निभाएंगे। इनमें मिर्जापुर में मोहनपुर जैव विविधता पार्क, बुलंदशहर में रामघाट जैव विविधता पार्क, हापुड़ में आलमगीरपुर जैव विविधता पार्क और बदायूं में उझानी जैव विविधता पार्क शामिल हैं। इनकी स्थापना 2022-23 से 2025-26 के दौरान चार वर्षो में किये जाने का प्रस्ताव किया गया है। 
एनएमसीजी के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘ ये स्थल फूलों और जीवों की विविधता में समृद्ध हैं और इनमें विविध प्राकृतिक वास है। जीर्णोद्धार के बाद, जैव विविधता बायोमास, प्रवाह व्यवस्था, जलवायु अनुकूलता और गंगा नदी बेसिन में आजीविका में वृद्धि के साथ और समृद्ध होगी।’’







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