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Friday May 10, 2024
Aryavart Times

नेपाल में बारिश की वजह से हर साल बिहार में आने वाली बाढ़ की जिम्मेदारी किसकी ?

नेपाल में बारिश की वजह से हर साल बिहार में आने वाली बाढ़ की जिम्मेदारी किसकी ?

नेपाल में बारिश की वजह से हर साल बिहार में बाढ़ तबाही मचाती है और इस साल भी बिहार के कई जिलों के काफी संख्या में गांव बाढ़ की वजह से गंभीर रूप से परेशानी का सामना कर रहे हैं । और ये हर साल की बात है, हर साल बिहार में बाढ़ आती है.. हर साल तबाही मचाती है और हर साल लोग मारे जाते हैं एवं हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति पानी में बह जाती है । लेकिन यहां सवाल उठता है कि ये बाढ़ क्यों आती है और कौन इसके लिए जिम्मेदार है ?

यहां पर यह बता दें कि इस इलाकों में एक बड़ी समस्या गंगा एवं अन्य नदियों के मार्ग बदलने और कटाव की है जिससे लोगों के जीवन पर हर साल संकट पैदा हो जाता है। गंगा नदी की पेटी में गाद जमा होने से नदी की धारा हर वर्ष शिफ्ट हो रही है। पिछले सात वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तब नदी अपनी मुख्य धारा को छोड़ बायीं ओर कई सौ मीटर तक खिसक चुकी है। नदी की धारा बदलने से कटाव की समस्या भी गंभीर होती जा रही है। जलस्तर घटने के बाद कटाव की विभीषिका अधिक होती है।

बिहार में सात जिले ऐसे हैं जो नेपाल से सटे हैं. ये जिले हैं – पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज. नेपाल पहाड़ी इलाका है. जब पहाड़ों पर बारिश होती है, तो उसका पानी नदियों के ज़रिये नीचे आता है और नेपाल के मैदानी इलाकों में भर जाता है. नेपाल में कई ऐसी नदियां हैं जो नेपाल के पहाड़ी इलाकों से निकलकर मैदानी इलाकों में आती हैं. फिर वहां से और नीचे बिहार में दाखिल हो जाती हैं. उदाहरण के लिए-

नेपाल से निकलने वाली बागमती नदी बिहार के सीतामढ़ी में आती है. वहां से शिवहर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर होते हुए बेगुसराय में आकर बूढ़ी गंडक में मिल जाती है.

नेपाल से निकलने वाली कोसी सुपौल में बिहार में शामिल होती है. वहां से मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया, सहरसा, खगड़िया, मुंगेर होते हुए कटिहार में गंगा में मिल जाती है

नेपाल की कमला नदी मधुबनी आती है. दरंभगा और सहरसा होते हुए मधेपुरा में कोसी में आकर मिल जाती है.

नेपाल से ही निकलने वाली गंडक वाल्मिकीनगर आती है. हाजीपुर-सोनपुर की सीमा बनाते हुए गंगा में मिल जाती है.

बिहार में बाढ़ का सबसे ज्यादा पानी नेपाल से आता है. नेपाल में पानी इसलिए नहीं टिकता क्योंकि वो पहाड़ी इलाका है

नेपाल में कोसी नदी पर बांध बना है. ये बांध भारत और नेपाल की सीमा पर है, जिसे 1956 में बनाया गया था. इस बांध को लेकर भारत और नेपाल के बीच संधि है. संधि के तहत अगर नेपाल में कोसी नदी में पानी ज्यादा हो जाता है तो नेपाल बांध के गेट खोल देता है और इतना पानी भारत की ओर बहा देता है, जिससे बांध को नुकसान न हो ।

एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में डैम के नाम पर सालाना करोड़ों रुपये सरकारी खजाने से खर्च की जाती है, फिर भी बाढ़ से निजात नहीं मिल रही है। तटबंध मरम्मत का खेल लोग समझ नहीं पा रहे हैं। गत 22 वर्षों में 2752़63 करोड़ रुपये खर्च किये गये और इसी अवधि में तटबंध टूटने की 268 घटनाएं हुईं। 1987 से लेकर 2011 तक राज्य की नदियों पर बने तटबंध 371 बार टूट चुके हैं। इसके बावजूट सूबे की सरकार बाढ़ से स्थायी समाधान निकालने के बजाय तटबंधों की मरम्मत पर ही जोर देती रही है। बिहार में अभी 3649 किमी तटबंध है। अगले पांच साल में 1676 किलोमीटर और तटबंध बनाने की योजना है। विभाग का दावा है कि इससे लगभग 26.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को बाढ़ से सुरक्षित रखा जायेगा।







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