उच्चतम न्यायालय ने 7 जुलाई को सभी सेवारत शॉर्ट सर्विस कमीशन महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन देने के अपने फैसले को लागू करने के लिए केंद्र को एक और माह का समय दे दिया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केंद्र को उसके फैसले में दिए गए सभी निर्देशों का अनुपालन करना होगा।
केंद्र ने पीठ को बताया कि मुद्दे पर निर्णय लेने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और केवल आधिकारिक आदेश जारी करना ही रह गया है।
इसने कहा कि अदालत के आदेश का अक्षरश: पालन किया जाएगा।
शीर्ष अदालत का यह निर्देश केंद्र की ओर से दायर एक आवेदन पर आया जिसमें उसने कोविड-19 वैश्विक महामारी का हवाला देकर फैसले के क्रियान्वयन के लिए छह माह का समय मांगा था।
उच्चतम न्यायालय ने 17 फरवरी को अपने ऐतिहासिक फैसले में निर्देश दिया था कि सेना में सभी महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन और कमांड पोस्टिंग दी जाए। शीर्ष अदालत ने महिलाओं की शारीरिक सीमा का हवाला देने वाले केंद्र के रूख को खारिज करते हुए इसे “लैंगिक रूढ़ियों” और “महिला के खिलाफ लैंगिक भेदभाव” पर आधारित बताया था।
इसने केंद्र को निर्देश दिया था कि तीन माह के भीतर सभी सेवारत शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर विचार किया जाएगा, भले ही वे 14 वर्ष या 20 वर्ष सेवाएं दे चुकी हों।
न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के बाद केंद्र के लिए महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देना अनिवार्य था।
केंद्र की 25 फरवरी, 2019 के नीतिगत निर्णय पर शीर्ष अदालत ने कहा कि यह समान अवसर के महिला अधिकारियों की अधिकार को दी गई मान्यता है।
न्यायालय ने पाया कि इस समय सेना में 1,653 महिला अधिकारी हैं जो सेना में कुल अधिकारियों का महज चार प्रतिशत है।
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