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Sunday April 28, 2024
Aryavart Times

आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों का दाखिला एवं उपस्थिति प्राथमिक स्कूलों की तुलना में काफी कम

आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों का दाखिला एवं उपस्थिति प्राथमिक स्कूलों की तुलना में काफी कम

भारत में पिछले दो दशकों में स्कूलों तक बच्चों की पहुंच और दाखिला में काफी ध्यान देने और समन्वित बाल विकास योजना की पहुंच बेहतर होने के बावजूद प्राथमिक स्कूलों की तुलना में आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों का दाखिला एवं उपस्थिति काफी कम है। बुनियादी स्तर के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा के मसौदे से यह जानकारी मिली है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने हाल ही में बुनियादी स्तर के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा पेश की थी ।  

इसमें कहा गया है कि आंगनवाड़ी में शिक्षा को लेकर आपूर्ति एवं आधारभूत ढांचे से जुड़ी कमियां हैं तथा बाल्यावस्था के स्तर पर प्रशिक्षित शिक्षकों की भी कमी है। प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा के स्तर पर निजी क्षेत्र में प्ले स्कूल या प्री स्कूल का सटीक आंकड़ा नहीं है।

इसमें कहा गया है कि समन्वित बाल विकास योजना (आईसीडीएस) की बेहतर पहुंच के बावजूद कई तरह की चुनौतियां बनी हुई हैं जिनमें प्राथमिक स्कूलों की तुलना में आंगनवाड़ी केंद्रों में दाखिला एवं उपस्थिति काफी कम होना शामिल है। यह विषय स्कूलों में पहली कक्षा में 5 वर्ष की आयु के बच्चों के प्रवेश के परिदृश्य से भी स्पष्ट होती है।

‘बुनियादी स्तर के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा’में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में स्कूलों तक बच्चों की पहुंच और दाखिला में काफी ध्यान दिया गया है। प्राथमिक स्कूलों के स्तर पर पहुंच एवं दाखिला में काफी वृद्धि हुई है,वहीं बाल्यावस्था देखरेख एवं शिक्षा (ईसीसीई) कार्यक्रम के स्तर पर दाखिला अभी भी कम है। 

पाठ्यचर्या के मसौदे के अनुसार, ‘‘ वर्ष 2022 में 13,99,661 स्वीकृत आंगनवाड़ी केंद्रों में 13,91,004 केंद्र कार्यरत हैं । हालांकि इन केंद्रों की व्यापक उपलब्ध्ता के बावजूद इनमें दाखिला कम है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘ वर्ष 2020-21 में कक्षा एक में 1,93,44,199 छात्रों का दाखिला हुआ जिनमें से केवल 50.9 प्रतिशत छात्रों को प्री-स्कूल का अनुभव प्राप्त था । इनमें से भी 24.7 प्रतिशत छात्रों ने उसी विद्यालय में प्री-स्कूल किया था जबकि 7.9 प्रतिशत ने दूसरे स्कूल में और 18.3 प्रतिशत ने आंगनवाड़ी केंद्रों में प्री स्कूल का अनुभव प्राप्त किया था । ’’

वर्ष 2020-21 के आंकड़ों के अनुसार,  प्राथमिक स्कूल के स्तर पर दाखिला का स्तर शानदार है जहां सकल नामांकन दर 103.3 प्रतिशत और निवल नामांकन दर 92.7 प्रतिशत है।

वहीं, 2019-20 में प्री स्कूल स्तर पर छात्रों की उपस्थिति शहरी क्षेत्रों में 44 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 39 प्रतिशत दर्ज की गई । कुल मिलाकर 2-4 वर्ष आयु वर्ग के 40 प्रतिशत बच्चे प्री स्कूल में शमिल हुए और इनमें सबसे कम उपस्थिति सामाजिक एवं आर्थिक रूप से वंचित समूह (एसईडीजी) के बच्चे थे।

इसमें कहा गया है कि 6-10 वर्ष आयु वर्ग के 95 प्रतिशत बच्चे स्कूल गए । देश के 21 राज्यों में पांच वर्ष की उम्र में बच्चों ने पहली कक्षा में प्रवेश लिया ।

मसौदे में कहा गया है कि भारत में पांच वर्ष से कम आयु के 36 प्रतिशत बच्चे उम्र के अनुपात में छोटे थे जबकि 32 प्रतिशत बच्चों का वजन कम था । 

बुनियादी स्तर के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा में कहा गया है कि इसके कारण अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक रूप से बच्चों का समग्र विकास प्रभावित होता है।

ऐसी स्थिति में बुनियादी स्तर पर पारंपरिक भारतीय ‘‘पंचकोष विकास’’ सिद्धांत पर आधारित राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा पेश किया गया  है जिसमें बच्चों के शारीरिक, प्राणमय, मानसिक, बौद्धिक और चेतना संबंधी विकास पर जोर दिया गया है।

 







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