34.5c India
Saturday April 27, 2024
Aryavart Times

हिमालयी ग्लेशियर विज्ञान पर राष्ट्रीय केंद्र स्थापित करने की प्रस्तावित योजना लागू हो : प्रो. एस

हिमालयी ग्लेशियर विज्ञान पर राष्ट्रीय केंद्र स्थापित करने की प्रस्तावित योजना लागू हो : प्रो. एस

उत्तराखंड में हाल ही में हिमखंड टूटने के कारण आई विकराल बाढ़ की घटना के बीच आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर एवं मौसम विज्ञानी एस के दास ने ग्लेशियर से जुड़े शोध कार्यो करने के लिये प्रस्तावित ‘हिमालयी ग्लेशियर विज्ञान पर राष्ट्रीय केंद्र’स्थापित करने की योजना को लागू करने की मांग की  है जिसकी संकल्पना वर्ष 2008 में की गई थी । 

आईआईटी के पूर्व प्रोफेसर एवं मौसम विज्ञानी एस के दास ने ‘‘आर्यावर्त टाइम्स’’ से साक्षात्कार में कहा, ‘‘ उत्तराखंड में हिमखंड टूटने के कारण जैसी विकराल स्थिति उत्पन्न हुई, उसे देखते हुए हिमालयी ग्लेशियर की सघन एवं सूक्ष्म निगरानी एवं अध्ययन किये जाने की जरूरत है। ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन का हिमालयी क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा है और तापमान में भी वृद्धि देखने को मिली है । ऐसे में ग्लेशियर के व्यवहार एवं प्रभाव का अध्ययन करना जरूरी है । ’’ 

उन्होंने बताया कि हिमालयी क्षेत्र में आने वाले परिवर्तनों को देखते हुए एक दशक पहले हिमालयी ग्लेशियर विज्ञान पर एक राष्ट्रीय केंद्र स्थापित करने की संकल्पना की गई थी । इसके लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने विशेषज्ञों के साथ बैठकें भी की थी और एक रिपोर्ट भी तैयार की थी । मसूरी में इस केंद्र को स्थापित करने का विचार भी आया था । लेकिन किन्हीं कारणों से इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका । 

प्रो. दास ने कहा, ‘‘ हाल के वर्षो में तापमान वृद्धि एवं अन्य कारणों से ग्लेशियर एवं हिमालयी क्षेत्र जिस प्रकार से व्यवहार कर रहा है, इसके अध्ययन की सख्त जरूरत है । ऐसी स्थिति में प्रस्तावित हिमालयी ग्लेशियर विज्ञान पर राष्ट्रीय केंद्र स्थापित किया जाना जरूरी है । ’’ 

उन्होंने कहा कि हिमाचल का प्रसार काफी विस्तृत है और इसकी कई चोटियां हैं । इन हिमालयी चोटियों एवं उंचाइयों पर क्या तापमान है, इसकी सटीक जानकारी कठिन हैं लेकिन ‘डाइनामिक डाउनस्केलिंग तकनीक एवं मॉडलिंग’से इसका लगभग अनुमान लगाया जा सकता है । इसके साथ ही हिमालयी क्षेत्र में भूगर्भ प्रभाव, उपरी सहत के व्यवहार का आकलन भी भविष्य के लिये महत्वपूर्ण होगा । 

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हाल ही में हिमखंड टूटने के कारण आई बाढ़ की घटना पर विचार करें तब यह शीत ऋृतु में घटी है जब बर्फ का पिघलना कठिन होता है । ऐसे में प्रारंभिक आकलन यह है कि भूस्खलन के कारण ग्लेशियर के बर्फ का टुकड़ा टूट कर नीचे की ओर आया और परिणामस्वरूप ऐसी विकराल घटना सामने आई । 

प्रो. दास ने सुझाव दिया कि हिमालयी क्षेत्रों में पुल, सड़के, बांध सहित अन्य परियोजनाओं को शुरू करने से पहले अतीत में इन क्षेत्रों की घटनाओं, जलवायु परिवर्तन प्रभावों सहित अन्य पारिस्थितिकी कारकों का सूक्ष्म अध्ययन किये जाने की जरूरत है । इन्हीं अध्ययनों के आधार पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जाए क्योंकि पिछले कुछ दशकों में इस क्षेत्र में परिस्थितिकी काफी प्रभावित हुई है । 

उन्होंने बताया कि हाल ही में इंटरनेशनल सेंटर पर इंटेग्रेटेड माउंटेन डेवेलपमेंट की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि जलवायु परिवर्तन के करण हिमालय से हिन्दुकुश क्षेत्र के तामपान में करीब 2 डिग्री सेल्सिसय की वृद्धि का अनुमान है । ऐसे में हिमालयी क्षेत्र पर खास ध्यान देने की जरूरत है।







Start the Discussion Now...



LIVE अपडेट: देश-दुनिया की ब्रेकिंग न्यूज़