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Saturday April 27, 2024
Aryavart Times

खनन पर्यटन पर सरकार का जोर : कैसी दिखती है खदाने अब देख सकेंगे

खनन पर्यटन पर सरकार का जोर : कैसी दिखती है खदाने अब देख सकेंगे

सरकार कोयला खनन क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने की 'ईको माइन टूरिज्म' योजना पर काम कर रही है जिसके तहत खदानों के बीच खाली पड़ी जमीन को सैर-सपाटे के लिहाज से विकसित किया जा रहा है।

कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने तीन फरवरी को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में लोकसभा को बताया, ‘‘खनन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये कोयला मंत्रालय के अधीन कोयला और लिग्नाइट कंपनियों ने अपने कमांड क्षेत्र में मौजूद पार्को के सौंदर्यीकरण और पुनरूद्धार किये गए खनन क्षेत्रों

में नए इको पार्को और खनन पर्यटन स्थल बनाने की योजन की संकल्पना की है । ’’ 

उन्होंने बताया कि इसके तहत खदानों में जल निकायों, कृत्रिम भूमिगम सुरंगों, मनोरंजन के अन्य उपक्रम, साहसी एवं जल से जुड़े खेलों, पक्षी विहार जैसी गतिविधियों को शामिल किया जायेगा । 

मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, खनन क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये  कोयला एवं लिग्नाइट कंपनियों ने इको पार्को/खनन स्थलों को स्थानीय पर्यटक सर्किट से जोड़ने के लिये संबंधित राज्यों के पर्यटन विकास निगमों को जोड़ रही है। 

इस योजना के तहत खदानों के बीच खाली पड़ी जमीन को सैर-सपाटे के लिहाज से विकसित किया जा रहा है। 

एकदम अनूठी किस्म की इस पहल में पर्यटकों को खदान और खनन के एक-एक पहलू से वाकिफ कराने की संकल्पना की गई है। इसमें लोग यह अनुभव कर सकेंगे कि जमीन की ऊपरी सतह पर और उसके नीचे खनन का काम किस तरह किया जाता है, कोयला जमीन के हजारों फुट नीचे से कैसे निकलता है? कोयले की खदान भीतर से कैसी दिखती है और मजदूर इसके भीतर दाखिल कैसे होते हैं ?

समझा जाता है कि जमीन के नीचे खदान में हालंकि हर कोई नहीं जा पाएगा, उसके लिए पहले चिकित्सा जांच करानी होगी ।

कोयला एवं खान मंत्रालय के विवरणिका के अनुसार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और असम में 15 खनन पर्यटक स्थलों के विकास का काम पूरा हो गया है। वहीं पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में 10 खनन पर्यटक स्थलों स्थालों का विकास विकास किया जायेगा । 

जिन खनन पर्यटक स्थलों का विकास किया गया है, उनमें पश्चिम बंगाल में गुंजन इकोलाजिकल पार्क, झांझरा इको पार्क, कालिदासपुर जैवविविधता पार्क, दिही पार्क तथा बेलियाबथान अग्निबेना इको पार्क शामिल है । झारखंड में गोकुल इको कल्चरल पार्क, पारसनाथ उद्यान, वृंदावन इको पार्क, तेतुलमारी जैवविविधता पार्क, कायाकल्प वाटिका पिपरवाड के अलावा छत्तीसगढ़ में अन्नया वाटिका एवं विश्रामपुर पर्यटन स्थल का विकास किया गया है। 

इसके साथ ही महाराष्ट्र में सौनेर इको पार्क नागपुर क्षेत्र तथा असम में कोयला हेरीटेज पार्क एवं संग्रहालय तथा डा. भूपेन हजारिका मेमोरियल चिल्ड्रन पार्क का खनन पर्यटन स्थल के रूप में विकास किया गया है । 







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