34.5c India
Sunday April 28, 2024
Aryavart Times

फेफड़े के दुर्लभ कैंसर से पीड़ित 10 वर्षीय लड़के का बीएलके अस्पताल में किया गया सफल ऑपरेशन

फेफड़े के दुर्लभ कैंसर से पीड़ित 10 वर्षीय लड़के का बीएलके अस्पताल में किया गया सफल ऑपरेशन

बीएलके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के डॉक्टरों ने हाल ही में दुर्लभ ब्रोन्कियल म्यूकोएपिडर्मोइड कार्सिनोमा से पीड़ित एक 10 वर्षीय लड़के की जान बचाई है। 28 नवंबर 2020 को उसका सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया और बाएं फेफड़े के आधे हिस्से को इस प्रकार से हटा दिया जिसके बाद वह एक बार फिर से सामान्य जीवन जीने की स्थिति में आ गया। छठी कक्षा का छात्र विशाल (नाम परिवर्तन),  जो स्वस्थ जीवन जी रहा था अचानक बीमार हो गया और उसके थूक (हेमोप्टीसिस) में खून देखा गया, जबकि ऊपरी श्वसन पथ में भी संक्रमण के लक्षण दो सप्ताह से थे। 

लड़के को उसका चिंतित परिवार ने तुरंत एक स्थानीय चिकित्सक के पास ले गया जिसने प्रारंभिक जांच में हल्का संक्रमण पाया और दवा की। दो दिन बाद, लड़के के थूक में फिर से खून निकाला और ये इस बार बहुत अधिक गंभीर रक्त में उल्टी के रूप में था। व्यथित और चिंतित परिवार लड़के को फिर से स्थानीय चिकित्सक के पास ले गए जिसने एक बड़े हॉस्पिटल में लड़के की ब्रोंकोस्कोपी करवाने की सलाह दी। 

विशाल को बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के आपातकालीन विभाग में ले जाया गया जहां उसे बाल चिकित्सा आईसीयू विभाग में भर्ती कराया गया। विस्तृत जांच में, एक पीईटी स्कैन और ब्रोन्कियल मास बायोप्सी के बाद विशाल को बाएं निचले लोब ब्रोन्कस एमईसी या म्यूकोएपिडर्मोइड कार्सिनोमा (फेफड़ों में लार ग्रंथि प्रकार के ट्यूमर) पाया। उन्हें तुरंत बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में बीएलके कैंसर सेंटर में डॉ सुरेंद्र डबास, वरिष्ठ निदेशक और एचओडी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी एंड रोबोटिक सर्जरी के नेतृत्व में एक विशेष चिकित्सा दल की देखरेख में रखा गया।

डॉ सुरेंदर डबास ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहा, '' इस तरह के ट्यूमर वयस्कों में भी दुर्लभ होते हैं और 10 साल के बच्चे में यह बीमारी अत्यंत दुर्लभ है। चूंकि उनके पास प्रदूषण या धुएं के संपर्क में आने का कोई जोखिम कारक नहीं था, इसलिए हम भी स्तब्ध हो गए। म्यूकोएपिडर्मॉइड कार्सिनोमा, एक दुर्लभ घातक फेफड़े का ट्यूमर, लैरींक्स में स्थित सबम्यूकोसल ब्रोन्कियल ग्रंथियों में उत्पन्न होता है जो वायुमार्ग के स्राव में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। हमने रोगी के फेफड़ों के दुर्लभ हिस्से में होने वाले ट्यूमर को शल्य चिकित्सा से हटाने का फैसला किया। हालांकि विशाल ने सर्जरी के लिए अच्छी प्रतिक्रिया दी, लेकिन सर्जरी के दूसरे दिन उसकी छाती में हवा का प्रवेश कम हुआ। पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल में होने के तीन दिन में उसकी स्थिति तेजी से बिगड़ती गई और हम उसे पीआईसीयू में ले गए, और बाएं फेफड़े में बड़ी गिरावट देखी गई। ”

बाइपेप पर डालने के बाद मरीज को तुरंत स्थिर कर दिया गया और वापस उस वार्ड में ले जाया गया, जहां उसे भर्ती किया था। डॉ डबास ने आगे कहा, “यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी क्योंकि ट्यूमर को पूरी तरह से हटाने के लिए बच्चे के पूरे बाएं फेफड़े को खोने का डर था। हालांकि, कुशल परिशुद्धता और अंतर-ऑपरेटिव ब्रोन्कोस्कोपिक नेविगेशन के साथ, हम सफलतापूर्वक पूरे ट्यूमर को हटाने में सक्षम हुए और साथ ही बाएं फेफड़े के आधे हिस्से को बचाया ताकि वह अपने बाकी जीवन को आराम से जी सकें। एक बड़ी सर्जरी के बाद स्वस्थ और स्थिर स्थिति में विशाल को छुट्टी दे दी गई। ”







Start the Discussion Now...



LIVE अपडेट: देश-दुनिया की ब्रेकिंग न्यूज़