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Sunday April 28, 2024
Aryavart Times

कूटनीति की मिसाल रही एपीजे अब्दुल कलाम और परवेज मुशर्रफ की मुलाकात

कूटनीति की मिसाल रही एपीजे अब्दुल कलाम और परवेज मुशर्रफ की मुलाकात

पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम से जुड़ी वैसे तो तमाम यादगार किस्से हैं लेकिन एक वैज्ञानिक के राष्ट्रपति बनने के बाद कूटनीति की मिसाल का उदाहरण पाकिस्तान के तब के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से उनकी मुलाकात से जुड़ा किस्सा है।  

एपीजे अब्दुल कलाम के राष्ट्रपति बनने के बाद वह तमाम मौकों पर दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मिला करते थे। ऐसा ही एक मौका साल 2005 में भी आया, जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ भारत के दौरे पर आए थे। उन दिनों राष्ट्रपति भवन में पहुंचे परवेज मुशर्रफ और कलाम की मुलाकात काफी दिलचस्प थी। 

मुशर्रफ इस भारत यात्रा के दौरान देश के तमाम मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाना चाहते थे। परवेज मुशर्रफ ने राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से भी इसके लिए वक्त मांगा था। सभी जानते थे कि कलाम से मुलाकात के दौरान परवेज मुशर्रफ कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा करने की कोशिश जरूर करेंगे।

 उन्हें इस बारे में ब्रीफिंग दी गई । इस दौरान अफसरों ने कलाम को ये भी बताया कि परवेज मुशर्रफ कश्मीर मुद्दे को लेकर बातचीत का प्रयास कर सकते हैं।

 एपीजे अब्दुल कलाम को मुशर्रफ की इस योजना की जानकारी हुई तो उन्होंने अफसर पीके नायर को मुस्कुराकर कहा कि वो इस स्थिति को संभाल लेंगे। 

 तय कार्यक्रम के अनुसार, उसके अगले दिन मुशर्रफ अपने वाहनों के काफिले से राष्ट्रपति भवन पहुंचे। स्वागत के बाद मुशर्रफ को कलाम ने राष्ट्रपति भवन के एक कमरे में बैठाया और बात शुरू हुई। शुरुआती चर्चा के बाद ही कलाम ने मुशर्रफ से एक सवाल किया। कलाम बोले- राष्ट्रपति महोदय, क्या आपको नहीं लगता कि भारत की तरह पाकिस्तान में भी जो गांव के इलाके हैं, उसके लिए हमें कुछ करना चाहिए।

 कलाम के सवाल पर मुशर्रफ ने हां में जवाब दिया। इसके बाद कलाम ने उसी कमरे में लगी एक टीवी स्क्रीन पर मुशर्रफ को ग्रामीण विकास से जुड़े तमाम प्लान्स पर कई बातें समझाई। कलाम ने बताना शुरू किया तो मुशर्रफ तमाम बातों को भूलकर 26 मिनट तक उनकी बातों को शांत होकर सुनते रहे।

 इसके बाद मुलाकात खत्म हुई । पीके नायर ने इस मुलाकात का किस्सा अपनी किताब में भी लिखा।

मुलाकात के लिए कुल 30 मिनट का वक्त तय था, इसलिए कलाम के लेक्चर के बाद मुशर्रफ ने सिर्फ इतना कह पाये कि आपके जैसी सोच वाले वैज्ञानिक को देश का राष्ट्रपति बना देख सकना हिंदुस्तान की खुशनसीबी है। 







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