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Sunday April 28, 2024
Aryavart Times

महंगाई की तिहरी मार : रसोई गैस, पेट्रोल और सब्जियों की कीमतों से लोग बेहाल

महंगाई की तिहरी मार : रसोई गैस, पेट्रोल और सब्जियों की कीमतों से लोग बेहाल

पेट्रोल डीजल की कीमतें लगातार बढ़ने से परिवहन व्यवसाय पर असर साफ दिखने लगा है। सड़क मार्ग से जरूरी सामान की सप्लाई महंगी होने से रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम भी बढ़ने लगे हैं। होलसेल और लोकल बाजारों में सब्जियों के दाम का अंतर 30-40 रुपए प्रति किलो देखा जा रहा है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के अनुसार कीमतों में लगातार वृद्धि के कारण ट्रांसपोर्ट व्यवसाय सुस्त पड़ गया है।

पेट्रोलियम कंपनियों ने सोमवार 01.03.2021 को घरेलू गैस की कीमतों में प्रति सिलेंडर 25 रुपये की बढ़ोंतरी का ऐलान कर दिया है । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सब्सिडी वाले 4.2 किलोग्राम के घरेलू गैंस सिलेंडर के दाम में 1 मार्च यानी आज से की गई बढ़ोतरी के बाद अब सिलेंडर की कीमत 794 रुपये से बढ़ कर 819 रुपये प्रति सिलेंडर हो गई हैं ।

कोलकाता में सब्सिडी और कॉमर्शियल दोनों ही गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ गई है. सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर की कीमत में 25 रुपये की बढ़ोतरी के बाद अब इसकी कीमत 845.50 रुपये हो गई जबकि कॉमर्शिय गैस सिलेंडर के दाम में 19 रुपये का इजाफा किया गया है ।

ऐसे में लोगों का कहना है कि का कहना है कि रसोई गैस और पेट्रोल के दामों में रोज हो रहे बढ़ोतरी से हम लोगों का बजट बिगड़ गया है, वहीं प्याज ने तो लोगों की कमर तोड़ दी है।

पटना के रवि भूषण का कहना है कि जनहित की बात, किसान हित की बात के साथ-साथ आम जनता और सड़क परिवहन व्यवसायियों के हित के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को तुरंत टैक्स कम करने चाहिए। हर चीज के दाम बढ़े हुए हैं, चाहे फिर सब्जी की बात करें या फिर किराना सामान की बात या फिर दैनिक दिनचर्या में इस्तेमाल होने वाले सामानों की बात करें। जिस तरह की महंगाई बढ़ी है, उससे अब घर चलाना मुश्किल हो रहा है।

लखनऊ के राम किशन का कहना है कि लगभग 65% किसान, ट्रक व्यवसायी भी हैं, जो खेती की फसल के बाद ट्रक चला कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। ट्रक में 70% परिचालन लागत डीजल की है । ऐसे में पेट्रोल, डीजल की कीमतें बढ़ने का सीधा असर खेती और लोगों की घरों पर पड़ता है । इनकी कीमतों को तत्काल कम किया जाना चाहिए । 

झारखंड की हटिया की रहने वाली रूणु मुर्मू ने कहा कि उज्जवला योजना के तहत रसोई गैस की योजना शुरू की गई थी लेकिन महंगाई के कारण अब वे गैस सिलिंडर नहीं ले पाती हैं । एक बार फिर से लकड़ी का चुल्हा जलाकर खाना बनाने को मजबूर हूं । 

विभिन्न स्थानों पर अनेक लोगों का कहना है कि सब्सिडी आधारित गैस सिलिंडर लेने पर उन्हें सब्सिडी का पैसा भी नहीं मिल रहा है । 







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