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Sunday April 28, 2024
Aryavart Times

अंग्रेजों के समय के तीन कानूनों को बदलने के लिए गृह मंत्री ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए

अंग्रेजों के समय के तीन कानूनों को बदलने के लिए गृह मंत्री ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए

गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किया जो अंग्रेजों काल के तीन कानूनों को समाप्त कर उनका स्थान लेंगे। इनमें भारतीय दंड संहिता, 1860, अपराध प्रक्रिया संहिता 1898 और भारतीय साक्ष्य संहिता 1872 शामिल है। इस संबंध में लाए गए विधेयकों में  भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023,भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि मोदी सरकार राजद्रोह को पूरी तरह से समाप्त करने जा रही है क्योंकि भारत में लोकतंत्र है और सबको बोलने का अधिकार है

शाह ने लोकसभा में विधेयकों को पेश करते हुए कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा 15 अगस्त को देश के सामने रखे गए पांच प्रण में से एक प्रण था - गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करना- आज के ये तीनों विधेयक एक प्रकार से मोदी जी के इस एक प्रण की अनुपालना करने वाले हैं।’’

उन्होंने कहा कि इंडियन पीनल कोड, 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता, 2023 स्थापित होगा, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, 1898 की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और इंडियन एवीडेंस एक्ट, 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 स्थापित होगा।

अमित शाह ने कहा, ‘‘ये तीनों पुराने कानून गुलामी की निशानियों से भरे हुए थे, इन्हें ब्रिटेन की संसद ने पारित किया था, कुल 475 जगह ग़ुलामी की इन निशानियों को समाप्त कर आज हम नए कानून लेकर आए हैं।’’

कानून में दस्तावेज़ों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल, मैसेजेस को कानूनी वैधता दी गई है।

एफआईआर से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज़ करने का प्रावधान इस कानून में किया गया है।

तलाशी और ज़ब्ती के वक़्त वीडियोग्राफी को कंपल्सरी कर दिया गया है जो केस का हिस्सा होगी और इससे निर्दोष नागरिकों को फंसाया नहीं जा सकेगा, पुलिस द्वारा ऐसी रिकॉर्डिंग के बिना कोई भी चार्जशीट वैध नहीं होगी।

सात वर्ष या इससे अधिक सज़ा वाले अपराधों के क्राइम सीन पर फॉरेंसिक टीम की विज़िट को अनिवार्य किया जा रहा है, इसके माध्यम से पुलिस के पास एक वैज्ञानिक साक्ष्य होगा जिसके बाद कोर्ट में दोषियों के बरी होने की संभावना बहुत कम हो जाएगी।

यौन हिंसा के मामले में पीड़ित का बयान अनिवार्य कर दिया गया है और यौन उत्पीड़न के मामले में बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग भी अब अनिवार्य कर दी गई है।

शाह ने कहा कि घोषित अपराधियों की संपत्ति की कुर्की का भी प्रावधान लेकर आए हैं, अंतरराज्यीय गिरोह और संगठित अपराधो के विरूद्ध अलग प्रकार की कठोर सज़ा का नया प्रावधान भी इस कानून में जोड़ा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पहले आतंकवाद की कोई व्याख्या नहीं थी, अब सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववाद, भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने जैसे अपराधों की पहली बार इस कानून में व्याख्या की गई है

शाह ने बताया किअनुपस्थिति में ट्रायल के बारे में एक ऐतिहासिक फैसला किया है, सेशन्स कोर्ट के जज द्वारा भगोड़ा घोषित किए गए व्यक्ति की अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और उसे सज़ा भी सुनाई जाएगी, चाहे वो दुनिया में कहीं भी छिपा हो, उसे सज़ा के खिलाफ अपील करने के लिए भारतीय कानून और अदालत की शरण में आना होगा

गृह मंत्री ने कहा कि शादी, रोज़ग़ार और पदोन्नति के झूठे वादे और गलत पहचान के आधार पर यौन संबंध बनाने को पहली बार अपराध की श्रेणी में लाया गया है, गैंग रेप के सभी मामलों में 20 साल की सज़ा या आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के साथ अपराध के मामले में मृत्यु दंड का भी प्रावधान रखा गया है, मॉब लिंचिग के लिए 7 साल, आजीवन कारावास और मृत्यु दंड के तीनों प्रावधान रखे गए हैं।

शाह ने कहा कि बच्चों के साथ अपराध करने वाले व्यक्ति के लिए सज़ा को 7 साल से बढ़ाकर 10 वर्ष कर दिया गया है, अनेक अपराधों में जुर्माने की राशि को भी बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन या महिलाओं की चेन की स्नेचिंग के लिए कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन अब इसके लिए भी प्रावधान रखा गया है।

गृह मंत्री ने कहा कि सज़ा माफी को राजनीतिक फायदे के लिए उपयोग करने के कई मामले देखे जाते थे, अब मृत्यु दंड को आजीवन कारावास, आजीवन कारावास को कम से कम 7 साल की सज़ा और 7 साल के कारावास को कम से कम 3 साल तक की सज़ा में ही बदला जा सकेगा और किसी भी गुनहगार को छोड़ा नहीं जाएगा।

उन्होंने बताया कि कानून में कुल 313 बदलाव किए गए हैं जो हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में एक आमूलचूल परिवर्तन लाएंगे और किसी को भी अधिकतम 3 वर्षों में न्याय मिल सकेगा।

गृह मंत्री ने इन विधेयकों को और विचार विमर्श करने के लिए गृह कार्य संबंधी संसद की स्थायी समिति को भेजने का प्रस्ताव किया। इसे समिति को भेज दिया गया।

 







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