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Thursday May 09, 2024
Aryavart Times

साइबर अपराध के बढ़ते मामलों के बीच कानून को मजबूत बनाने की वकालत

साइबर अपराध के बढ़ते मामलों के बीच कानून को मजबूत बनाने की वकालत

देश में साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जिसमें एटीएम कार्ड को क्लोन करने, बैंक एकाउंट एवं पैसे संबंधी धोखाधड़ी के मामले सहित सोशल नेटवर्किंग साइट पर अभद्र टिप्पणी जैसे अपराध शामिल हैं । ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम इतना मजबूत है कि ऐसे अपराधियों को न्याय के कटघरे में खड़ा कर सके या इसमें कुछ सुधार की जरूरत है । 

सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने बताया कि इस समय सबसे बड़ा साइबर अपराध डाटा और वित्तीय चोरी का है। देश में इस साल करीब 10 मिलियन डॉलर की वित्तीय चोरी की आशंका है और विश्व स्तर पर इसका आंकड़ा दो खरब डॉलर से ज्यादा का है। इसका मुख्य कारण देश में अपना साइबर अपराध कानून का न होना है।  अभी साइबर अपराधों को आईटी एक्ट में कवर किया जाता है। यह जमानती अपराध हैं और तीन साल की अधिकतम सजा का प्रावधान है। ऐसे में सख्त और मजबूत साइबर कानून बनाए जाने की जरूरत है।

उन्होंने बताया कि कानून बनाने में कोई दिक्कत नहीं। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के पास साइबर अपराधों का काफी डाटा है। उसे एकत्र करने की जरूरत है। 

विशेषज्ञों का कहना है कि आज के डिजिटल युग में हर व्यक्ति मोबाईल व नेटवर्किंग से जुड़ा है। इससे जुडे़ झूठ को सामने लाना कठिन जरूर है, लेकिन असंभव नहीं है। सावधानी से इसका प्रयोग कर हम सुरक्षित रह सकते हैं। साधारण सा गेम या एप भी डाउनलोड करते हुए बिना पढे़ ही उसके नियम व शर्तो को मानते हुए बटन दबाते रहते है। ऐसे में हमें सावधान रहने की जरूरत है । 

लोगों का कहना है कि विदेशों में बैठे हैकर हमारे साइबर क्षेत्र में लगातार घुसपैठ कर रहे हैं और इसमें सर्च इंजन की भी बड़ी भूमिका है। इसके साथ ही साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि हम अपने देश में ही ज्यादातर सॉफ्टवेयर का निर्माण करें।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय साइबर जगत का नियंत्रण हमारे बच्चों के हाथ में है। शिक्षक व अभिभावक भी बच्चों से कम जानते हैं क्योंकि उन्हें जानकारी नहीं है। बच्चों पर अंकुश लगाना उनके नियंत्रण में नहीं है। हम इंटरनेट पर जो सामग्री है, उसे रोकने के उपाय कर सकते हैं। इससे संबंधित शिकायतों के लिए पोर्टल भी बनाया गया है। 

एक तरफ जहां देश कोविड-19 के खतरे से लड़ रहा है वहीं दूसरी ओर महिलाओं की साइबर सुरक्षा भी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। लॉक डाउन के कारण घर में रहने वाली महिलाएं, युवतियों व छात्राओं पर साइबर अपराधियों की पैनी नजर है। ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली और वर्क फ्रॉम होम की नई परंपरा ने महिलाओं की साइबर सुरक्षा में बखूबी सेंधमारी की है।

महिला सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा भरसक प्रयास के बावजूद महिलाओं की सुरक्षा नाकाफी साबित हो रही है। सार्वजनिक स्थलों, घरों और कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों के समानांतर अब महिलाओं पर बढ़ता साइबर अपराध पुलिस की नई मुसीबत बन चुका है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों में महिलाओं के प्रति साइबर बुलिंग और हैकिंग सहित अन्य साइबर अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।







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