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Sunday February 09, 2025
Aryavart Times

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मई-जून महीने के लिये अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटन को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मई-जून महीने के लिये अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटन को मंजूरी दी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (चरण-3) के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लाभार्थियों को दो महीने–मई और जून 2021 के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटन को मंजूरी दी ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को कार्योत्तर मंजूरी दी गई है । 

सरकारी बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (चरण-3) के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लाभार्थियों के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटन को और दो महीने– मई और जून 2021 के लिए बढ़ाया।

इसके अंतर्गत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत आने वाले लगभग 79 करोड़ 88 लाख लाभार्थियों (अन्‍त्‍योदय अन्‍न योजना (एएवाई) और प्राथमिकता वाले घर (पीएचएच)) को प्रतिमाह 05 किलोग्राम खाद्यान्न प्रति व्यक्ति निःशुल्क दिया जाता है  जिनमें सीधे लाभ अंतरण (डीबीटी) वाले लाभार्थी भी शामिल हैं ।

गेहूं/चावल के संदर्भ में राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश का आवंटन खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत मौजूदा आवंटन अनुपात के आधार पर तय किया जाएगा। इसके अलावा, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग आंशिक और स्थानीय लॉकडाउन स्थितियों और मानसून, चक्रवात, आपूर्ति श्रृंखला एवं प्रतिकूल मौसम तथा कोविड के कारण उत्पन्न हुई बाधाओं और कोविड से जुड़ी बाधाओं आदि को ध्यान में रखते हुए परिचालन आवश्यकताओं के अनुसार पीएमजीकेएवाई के अंतर्गत  उठाने/वितरण की अवधि के विस्तार पर निर्णय ले सकता है।

खाद्यान्नों के संदर्भ में कुल आवंटन लगभग 80 लाख मीट्रिक टन हो सकता है।

लगभग 79 करोड़ 88 लाख लोगों को दो महीने अर्थात मई-जून 2021 के दौरान टीडीपीएस के अंतर्गत 05 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिमाह की दर से अतिरिक्त खाद्यान्न के निःशुल्क आवंटन पर लगभग 25,332.92 करोड़ रुपये खाद्यान्न सब्सिडी की लागत आएगी जिसमें चावल के लिए 36,789.2 रुपये प्रति मीट्रिक टन और गेहूं के लिए 25,731.4 रुपये प्रति मीट्रिक टन की अनुमानित आर्थिक लागत शामिल है।

इस अतिरिक्त आवंटन से कोरोनावायरस के कारण पैदा हुए आर्थिक गतिरोध से गरीबों के सामने जीवनयापन में आई कठिनाइयों को कुछ कम किया जा सकेगा। आनेवाले दो महीनों में किसी भी गरीब परिवार को खाद्यान्न की अनुपलब्धता के कारण संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। 







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