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Saturday May 11, 2024
Aryavart Times

खेती को फायदेमंद बनाने के लिये नये प्रयोग कर रहे हैं युवा, इंटीग्रेटेड फार्मिंग पर बढ़ रहा जोर

खेती को फायदेमंद बनाने के लिये नये प्रयोग कर रहे हैं युवा, इंटीग्रेटेड फार्मिंग पर बढ़ रहा जोर

 खेती किसानी कैसे फायदेमंद हो यह किसानों के लिये चुनौती बन गया है क्योंकि खेती में समय के साथ लागत और मेहनत तो बढ़ गई है, लेकिन मुनाफा नहीं बढ़ रहा है। लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं जो खेती में नए प्रयोग करके अच्छी कमाई भी कर रहे हैं और इसका रास्ता इंटीग्रेटेड फार्मिंग है।

इंटीग्रेटेड फार्मिंग को अपनाकर किसान अपने खेत पर कई तरह के कार्य कर न केवल अपनी आय में इजाफा कर सकता है बल्कि देश की प्रगति में भी सहायक बन सकता है । प्रणाली में एक घटक से बचे हुए उत्पादों और अवशेषों को दूसरे घटक के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।

अगर आप मुर्गीपालन करते हैं तो पोल्ट्री की बीट को मछलियों को खिला सकते हैं. इससे मछली की अधिक मात्रा में तादात होगी, जिससे मुनाफा होगा और दूसरा उस तालाब के पानी को सिंचाई के लिए प्रयोग में लाया जा सकेगा । अगर इसके साथ पशुपालन भी किया जाए गाय-भैँस के दूध को बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है ।

ऐसे ही एक युवा किसान बिहार के बेगुसराय के लखनपट्टी गांव के मनोज सिंह भी हैं जो खेती के साथ पशुपालन भी कर रहे हैं । इससे उन्हें दुध के साथ खेतों के लिये कम्पोस्ट भी उपलब्ध हो जाता है ।

बिहार के कटिहार जिले के विनोदपुर गांव के प्रशांत कुमार खेती के साथ ही पोल्ट्री, बकरी और मछली पालन भी कर रहे हैं। 

प्रशांत बताते हैं, " पढ़ाई के बाद वे हमेशा अपने पैतृक व्यवसाय खेती के लिए सोचता रहता था। यही कारण था कि एक दिन मैंने खेती करने का विचार किया । विनोदपुर में पहले खेती के काम को आगे बढ़ाया । मक्का, मखान की खेती शुरू की । पोल्ट्री फार्म बनवाया। अब इसी में लगा रहता हूं।"

कई बीघा में फैले इस देशी स्टाइल के फार्म में खेती के साथ-साथ पोल्ट्री, गाय पालन और मछली पालन का काम है।

उड़द सड़ गई तो उसी को खाने वाली मछली डाल दी, मुर्गी की बीट का उपयोग कम्पोस्ट खाद के रूप में कर लिया। 

प्रशांत कहते हैं, " बारिश के कारण उड़द सड़ गई। इससे एक रुपया आमदनी नहीं होने वाली थी। इसलिए ग्रासकॉर्प मछली डाल दी। यह मछली सड़े अनाज का भोजन करती है। इससे मछली का वजन जल्द बढ़ जाता है। यहां इसका दाम 150 रुपए किलो है। इस तरह से जहां हमे एक रुपये नहीं मिलने वाले थे लेकिन 25 हजार ग्रासकॉर्प से 2 से 3 लाख रुपए कमा सकता हूं।"

बिहार के बसरा गांव के गौरव कुमार वैसे तो दवा कंपनी में एक्जक्यूटिव हैं लेकिन उन्हें खेतीबारी से खासा लगाव रहा है। ऐसे में उन्होंने खेती के साथ पशुपालन का काम शुरू किया है । 

वहीं, झारखंड के धनवाद जिले में अमरा गांव में कौशल कुमार खेती और पशुपालन के साथ मुर्गीपालन एवं मछली पालन का काम कर रहे हैं । उन्होंने बताया कि उनके पाल्ट्री फार्म में जो भी काम चल रहे हैं वह एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यहां कोई भी अनुपयोगी वस्तु है वह दूसरे के लिए उपयोगी बनाई जा रही है।    

कौशल ने बताया कि मुर्गी के बैठने के लिए धान की भूसी और लकड़ी का बुरादा उपयोग करते हैं। इसमें मुर्गी बीट करती है। जब यह बाहर जाता है तो इस बीट, भूसी को खाद के रूप में उपयोग करते हैं जो अपने खेतों के काम आती है। इसी तरह कभी मुर्गी में कोई समस्या आई या मर गई तो उसे यहीं पंगेशियस नामक मछली पाल रखी है उसको फीड के रूप में दे देता हूं। इस तरह से इस फार्म में हर वेस्टेज किसी न किसी के काम आ रहा है।







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