बिहार के मुजफ्फरपुर में पूर्व मेयर समीर कुमार और उनके एक सहयोगी को शहर में AK-47 से भून डाला गया था । इस हत्याकांड ने पुलिस प्रशासन पर बड़े सवाल खड़े कर दिये थे. इस मामले में पुलिस को सीसीटीवी फुटेज से अहम सुराग मिले थे कई और शूटर के हिरासत में लिए जाने की बात भी सामने आई थी । पुलिस के निशाने पर कई प्रॉपर्टी डीलर भी बताए जा रहे थे । लेकिन इस हत्यकांड के दो वर्ष से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी रहस्य बना हुआ है। चारों तरफ एक सन्नाटा है । पुलिस जांच किस स्थिति में इसकी कोई जानकारी नहीं मिल रही है। यह मामला मीडिया से भी दूर हो चला है ।
बिहार विधानसभा के लिये चुनाव आसन्न है। मीडिया में सुशांत सिंह राजपूत मामला सुर्खियों में है । बिहार के मुख्यमंत्री सुशांत सिंह मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा की, इससे उम्मीद बढ़ी है कि समीर कुमार मामले की भी सीबीआई जांच करायी जायेगी ।
समीर कुमार का परिवार, उनकी पत्नी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सार्वजनिक पत्र भी लिखा है और उनसे इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जांच कराने की मांग की है। उनकी कहना है कि अगर मुम्बई में सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच सीबीआई से करायी जा सकती है तब यह तो बिहार के क्षेत्र में मुजफ्फरपुर का मामला है।
पत्र में कहा गया है कि समीर कुमार हत्याकांड की अब तक की जांच में जो तथ्य उजागर हुए हैं, उनके आधार पर कई बिन्दुओं पर छानबीन नहीं हो रही है। पुलिस के आरोप पत्र में शूटरों की पहचान का दावा है, लेकिन मास्टरमाइंड की पहचान बाकी है?
आखिर हत्या किसने करवाई और किस वजह से?
जिन शूटरों ने गोली चलाई वे किसके आदेश पर गए थे?
मास्टरमाइंड की समीर कुमार से व्यक्तिगत दुश्मनी थी या उसे किसी ने हायर किया था?
हत्यारों और मास्टरमाइंड में कैसा गठजोड़ था?
सीबीआई जांच इसलिए जरूरी है कि हत्यारों और मास्टरमाइंड को सजा दिलाने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य प्रस्तुत किए जाएं।
यह भी खुलासा करने की जरूरत है कि शहर के अखाड़ा घाट स्थित होटल से घटना स्थल तक अलग-अलग गाड़ियों से पिछा कर रहे अपराधी कौन-कौन थे?
घटनास्थल पर पहले से खड़ी कार में (जिसका इंडिकेटर जल रहा था, और जिसके पीछे शूटर बाइक पर बैठे हुए थे) कौन-कौन लोग बैठे थे?
हत्या के पहले और बाद में हत्यारे और मास्टरमाइंड आपस में किन-किन नंबरों से संपर्क कर रहे थे और क्या बातें कर रहे थे?
हत्या की योजना किन लोगों ने बनाई और कहां बैठकर बनाई?
इस बात पर से भी पर्दा उठना बाकी है कि समीर जी की हत्या व्यावसायिक साझीदारी में करोड़ों की बेइमानी के लिए की गई या राजनीतिक कारणों से उन्हें हटाया गया?
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