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Sunday May 12, 2024
Aryavart Times

धनुषकोडी : जहां से श्रीलंका जाने के लिये भगवान ने समुद्र पर बनवाया था सेतु

धनुषकोडी : जहां से श्रीलंका जाने के लिये भगवान ने समुद्र पर बनवाया था सेतु

क्या आपको मालूम है कि भारत का वह कौन सा स्थान है जहां से भगवान राम ने श्रीलंका जाने के लिये समुद्र पर पुल का निर्माण कराया था.......यह स्थान रामेश्वरम के पास ही धनुषकोडी है। आइए हम इस स्थान और इसके धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व, तथा श्रीलंका से इसके जुड़ाव के बारे में जानते हैं । 

रामसेतु पुल आज के समय में भारत के दक्षिण-पूर्वी तट के किनारे रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के मध्य चूना पत्थर से बनी एक श्रृंखला है। वाल्मीकि के अनुसार 3 दिन की खोजबीन के बाद नल और नील ने रामेश्वरम के आगे समुद्र में वह स्थान ढूंढ़ निकाला, जहां से सानी से श्रीलंका पहुंचा जा सकता हो। उक्त स्थान से लंका तक का पुल निर्माण करने का फैसला लिया गया। उस स्थान को धनुषकोडी कहा जाता है। इसका नाम धनुषकोडी इसलिए है कि यहां से श्रीलंका तक नल और नील ने जो पुल (रामसेतु) बनाया था उसका आकार धनुष के समान ही है।

नल और नील के सान्निध्य में वानर सेना ने 5 दिन में 30 किलोमीटर लंबा और 3 किलोमीटर चौड़ा पूल तैयार किया था। शोधकर्ताओं के अनुसार इसके लिए एक विशेष प्रकार के पत्‍थर का इस्तेमाल किया गया था जिसे विज्ञान की भाषा में ‘प्यूमाइस स्टोन' कहते हैं। यह पत्थर पानी में नहीं डूबता है। रामेश्वरम में आई सुनामी के दौरान समुद्र किनारे इस पत्थर को देखा गया था।आज भी भारत के कई साधु-संतों के पास इस तरह के पत्थर हैं।

तैरने वाला यह पत्थर ज्वालामुखी के लावा से आकार लेते हुए अपने आप बनता है ।  गर्म और ठंडे का मिलाप ही इस पत्थर में

कई तरह से छेद कर देता है, जो अंत में इसे एक स्पांजी, जिसे हम आम भाषा में खंखरा कहते हैं, इस प्रकार का आकार देता है।यही कारण है कि रामसेतु पुल कुछ समय बाद डूब गया था और बाद में इस पर अन्य तरह के पत्थर जमा हो गए। माना जाता है कि आज भी समुद्र के निचले भाग पर रामसेतु मौजूद है।

धनुषकोडी में ही समुद्र के एकदम करीब जामवंत की मंदिर भी स्थापित है । यहां से श्रीलंका को खुली आंखों से देखा जा सकता है ।  कई दशक पहले चक्रवात के कारण इस स्थान को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था । 

बहरहाल,मध्य लंका स्थित नुवारा एलिया का एक पर्वतीय क्षेत्र, जो वेरांगटोक (जो महियांगना से 10 किलोमीटर दूर है) में है, को रावण के हवाई अड्डे का क्षेत्र कहा जाता है। यहीं पर रावण ने सीता का हरण कर पुष्पक विमान को उतारा था।

वैलाव्या और ऐला के बीच 17 मील लंबे मार्ग पर रावण से जुड़े अवशेष अब भी मौजूद हैं। श्रीलंका की श्री रामायण रिसर्च कमेटी के अनुसार रावण के 4 हवाई अड्डे थे। उनके 4 हवाई अड्डे ये हैं- उसानगोड़ा, गुरुलोपोथा, तोतूपोलाकंदा और वारियापोला। इन 4 में से एक उसानगोड़ा हवाई अड्डा नष्ट हो गया था। कमेटी के अनुसार सीता की तलाश में जब हनुमान लंका पहुंचे तो लंका दहन में रावण का उसानगोड़ा हवाई अड्डा नष्ट हो गया था।

उसानगोड़ा हवाई अड्डे को स्वयं रावण निजी तौर पर इस्तेमाल करता था। यहां रनवे लाल रंग का है। इसके आसपास की जमीन कहीं काली तो कहीं हरी घास वाली है। रिसर्च कमेटी के अनुसार पिछले 4 साल की खोज में ये हवाई अड्डे मिले हैं। कमेटी की रिसर्च के मुता‍बिक रामायण काल से जुड़ी लंका वास्तव में श्रीलंका ही है। 







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