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Sunday April 28, 2024
Aryavart Times

अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा: 50 मिनट पूजा में रहेंगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा: 50 मिनट पूजा में रहेंगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

अयोध्या में 22 जनवरी को श्री राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उपस्थित रहेंगे। उनके यहां पर उनके पौने पांच घंटे तक रुकने का कार्यक्रम है। 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा पूजा कार्यक्रम में करीब 50 मिनट तक पीएम नरेंद्र मोदी रहेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सेना के हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की भी तैयारी है।

भक्ति भाव से विभोर अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर होने वाली प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रातःकाल 10 बजे से 'मंगल ध्वनि' का भव्य वादन होगा। 50 से अधिक मनोरम वाद्ययंत्र, विभिन्न राज्यों से, लगभग 2 घंटे तक इस शुभ घटना का साक्षी बनेंगे। अयोध्या के यतीन्द्र मिश्र इस भव्य मंगल वादन के परिकल्पनाकार और संयोजक हैं, जिसमें केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली ने सहयोग किया है।

यह भव्य संगीत कार्यक्रम हर भारतीय के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर का प्रतीक है, जो प्रभु श्री राम के सम्मान में विविध परंपराओं को एकजुट करता है।

श्री राम मंदिर निर्माण को अन्य संस्थानों जैसे आईआईटी, इसरो के कुछ इनपुट के अलावा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत सीएसआईआर (वैज्ञानिक और केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि औद्योगिक अनुसंधान परिषद) और डीएसटी (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग) के कम से कम चार प्रमुख राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा तकनीकी रूप से सहायता प्रदान की गई है ।

जिन चार संस्थानों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उनमें शामिल हैं: सीएसआईआर-सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) रूड़की; सीएसआईआर - राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) हैदराबाद; डीएसटी - इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) बेंगलुरु और सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी) पालमपुर (एचपी)

डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार,सीएसआईआर-सीबीआरआई रूड़की ने राम मंदिर निर्माण में प्रमुख योगदान दिया है; सीएसआईआर-एनजीआरआई हैदराबाद ने नींव डिजाइन और भूकंपीय सुरक्षा पर महत्वपूर्ण इनपुट दिए; डीएसटी-आईआईए बेंगलुरु ने सूर्या तिलक के लिए सूर्य पथ पर तकनीकी सहायता प्रदान की; और सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर ने 22 जनवरी को अयोध्या में दिव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए ट्यूलिप खिलाए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह कहा कि रोजमर्रा की जिंदगी में सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत अमृतकाल के दौरान आत्मनिर्भर और विकसितभारत@2047 के रूप में उभरने के शिखर पर है।

सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी ने पिछले दस वर्षों में सभी विचारधाराओं के विस्तारित एकीकरण के माध्यम से पारंपरिक और आधुनिक ज्ञान के मेल पर विशेष बल दिया है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से प्राप्त जानकारी के अनुसार,प्राण प्रतिष्ठा और संबंधित आयोजनों का विवरण निम्नलिखित है :

1. आयोजन तिथि और स्थल:  भगवान श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा योग का शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को आ रहा है।

2. शास्त्रीय पद्धति और समारोह-पूर्व परंपराएं: सभी शास्त्रीय परंपराओं  का पालन करते हुए, प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व शुभ संस्कारों का प्रारंभ कल अर्थात 16 जनवरी 2024 से होगा, जो 21 जनवरी, 2024 तक चलेगा।

द्वादश अधिवास निम्नानुसार आयोजित होंगे:-

 -16 जनवरी: प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन

 -17 जनवरी: मूर्ति का परिसर प्रवेश

 -18 जनवरी (सायं): तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास

 -19 जनवरी (प्रातः): औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास

 -19 जनवरी (सायं): धान्याधिवास

 -20 जनवरी (प्रातः): शर्कराधिवास, फलाधिवास

 -20 जनवरी (सायं): पुष्पाधिवास

 -21 जनवरी (प्रातः): मध्याधिवास

 -21 जनवरी (सायं): शय्याधिवास

3. अधिवास प्रक्रिया एवं आचार्य:  सामान्यत: प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं। समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे। श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे।

4. विशिष्ट अतिथिगण: प्राण प्रतिष्ठा भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, उत्तर प्रदेश के आदरणीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में होगी।

5. विविध प्रतिष्ठान: भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो श्री राम मंदिर परिसर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन हेतु पधारेंगे।

6. ऐतिहासिक आदिवासी प्रतिभाग: भारत के  इतिहास में प्रथम बार पहाड़ों, वनों, तटीय क्षेत्रों, द्वीपों आदि के वासियों द्वारा एक स्थान पर ऐसे किसी समारोह में प्रतिभाग किया जा रहा है। यह अपने आप में अद्वितीय होगा।

7. समाहित परंपराएँ: शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराएँ इसमें भाग लेंगी।

8. दर्शन और उत्सव: गर्भ-गृह में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पूर्ण होने के बाद, सभी साक्षी महानुभावों को दर्शन कराया जाएगा। श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए हर जगह उत्साह का भाव है। इसे अयोध्या समेत पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाने का संकल्प किया गया है। समारोह के पूर्व विभिन्न राज्यों के लोग लगातार जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध इत्यादि के साथ आ रहे हैं। उनमें से सबसे उल्लेखनीय थे माँ जानकी के मायके द्वारा भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार) जो जनकपुर (नेपाल) और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए। रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार भेजे गए हैं। 







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