राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में वर्ष 2015,2016, 2017 और 2018 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किये। इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
गांधी शांति पुरस्कार वर्ष 2015 के लिए विवेकानंद केन्द्र, कन्याकुमारी, 2016 के लिए संयुक्त रूप से अक्षय पात्र फाउंडेशन व सुलभ इंटरनेशनल, 2017 के लिए एकल अभियान ट्रस्ट तथा 2018 के लिए श्री योहेई ससाकावा को प्रदान किया गया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीवादी विचार, संघर्ष के गांधीवादी तरीकों और मानवीय स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए गांधीवादी आदर्शों ने हमारे युग के महान व्यक्तियों को प्रभावित किया है। अमेरिका के मार्टिन लूथर किंग जूनियर से लेकर दक्षिण अफ्रीका के नेल्सन मंडेला और पोलैंड के लेक वेलेसा जैसे राजनयिक गांधी जी के विचारों से अत्यधिक प्रभावित रहे हैं। समकालीन इतिहास को समझने तथा शोषण व असमानता को समाप्त करने के लिए गांधी जी के विचार अमूल्य है।
राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा कि महात्मा गांधी 21वीं सदी में भी प्रासंगिक है। गांधी जी दीर्घावधि की जरूरत पर बल देते थे, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील थे तथा प्रकृति-अनुकूल जीवन जीते थे। उन्हें वर्तमान समय की कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों का अंदाजा था। संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित किये गये सतत विकास लक्ष्य गांधीवादी दर्शन पर आधारित है। अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में भारत की भूमिका तथा स्वच्छ भारत मिशन जैसे कार्यक्रमों में भी गांधीवादी विचार दिखाई पड़ते है।
पुरस्कार विजेताओं के योगदान के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि विवेकानंद केन्द्र ने पूरे देश में विशेषकर जनजाति बहुल इलाकों में स्वयं सहायता, सततता और विकास को प्रोत्साहन दिया है। संगठन ने शिक्षा तथा स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्षमता निर्माण किया है। अक्षय पात्र फाउंडेशन ने शिक्षा का प्रसार करने, भूख को मिटाने तथा पोषण को बेहतर बनाने का कार्य किया है। फाउंडेशन स्कूली बच्चों को संतुलित और पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराने के लिए आधुनिकतम तकनीक का उपयोग करता है।
सुलभ इंटरनेशनल और इसके संस्थापक डॉ. विंदेश्वर पाठक ने स्वच्छता के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है। एकल अभियान ट्रस्ट 22 लाख बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में सहायता प्रदान कर रहा है। इन बच्चों में 52 प्रतिशत लड़कियां हैं। ट्रस्ट के कई कार्यक्रमों से जनजातीय समुदायों को लाभ मिला है। योहेई ससाकावा ने कुष्ठ रोग के खिलाफ हमारी लड़ाई (रोकथाम व समाप्ति) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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