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Sunday May 12, 2024
Aryavart Times

लोजपा में किनारे लगाए गए चिराग पासवान, चाचा पशुपति ने बगावत की

लोजपा में किनारे लगाए गए चिराग पासवान, चाचा पशुपति ने बगावत की

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के छह लोकसभा सदस्यों में से पांच ने , दल के मुखिया चिराग पासवान को संसद के निचले सदन में पार्टी के नेता के पद से हटाने के लिए हाथ मिला लिया है और उनकी जगह उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को इस पद के लिए चुन लिया है।

इसकी पृष्ठभूमि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से ही शुरू हो गई थी । चिराग के नेतृत्व में लोजपा ने चुनाव राजग से अलग होकर लड़ा और उसके निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रहे ।

चुनाव के बाद चिराग पासवान एनडीए की एकता में बड़ा रोड़ा बन चुके थे, बिहार में एनडीए की एकता चिराग पासवान के एलजेपी का नेता रहते संभव नहीं थी क्योंकि नीतीश कुमार को उनके नाम पर सख्त एतराज था ।

यहीं नहीं, नीतीश यह कतई नहीं चाहते थे कि केंद्र में एनडीए की किसी भी बैठक में चिराग पासवान को बुलाया जाए या फिर बीजेपी उनके साथ कोई रिश्ता रखे। इस साल जनवरी में बजट सत्र शुरु होने से पहले संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने एनडीए की बैठक के लिए चिराग पासवान को निमंत्रण भेज दिया था.  जेडीयू ने इस पर सख्त एतराज किया था जिसके बाद बीजेपी को उन्हें फोन कर कहना पड़ा कि वे बैठक में न आएं, जेडीयू इसी के बाद एनडीए की बैठक में आई ।

अब जबकि मोदी मंत्रिमंडल में विस्तार की अटकलें लग रही हैं, लोजपा की ओर से चिराग पासवान मंत्री पद के स्वाभाविक उम्मीदवार माने जा रहे थे क्योंकि उनके पिता रामविलास पासवान का कैबिनेट मंत्री रहते हुए निधन हुआ था. इस लिहाज से लोजपा की एक सीट मंत्रिपरिषद में बनती है. जबकि इस बार जेडीयू को भी मंत्री पद की आस है. और नीतीश कुमार कतई नहीं चाहते थे कि लोजपा कोटे से चिराग पासवान मंत्री बनें, जबकि लोकसभा में लोजपा के नेता होने के नाते स्वाभाविक रूप से चिराग पासवान की दावेदारी बनती थी. 

दिलचस्प बात है कि पशुपति कुमार पारस और चिराग के बीच मतभेद भी नीतीश कुमार को लेकर ही हुए थे.  जहां पशुपति बीजेपी-जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार खड़े करने के पक्ष में नहीं थे वहीं चिराग इसके लिए अड़े हुए थे।  बीच-बीच में पशुपति नीतीश कुमार की जमकर तारीफ भी करते रहे ।

वहीं, पारस ने सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना करते हुए उन्हें एक अच्छा नेता तथा ‘‘विकास पुरुष’’ बताया और इसके साथ ही पार्टी में एक बड़ी दरार उजागर हो गई क्योंकि पारस के भतीजे चिराग पासवान जद (यू) अध्यक्ष के धुर आलोचक रहे हैं।

चिराग पासवान का बार-बार यह कहना कि वे बीजेपी का मुख्यमंत्री चाहते हैं इस संदेह को गहरा कर गया कि चिराग बीजेपी के कहने पर यह सब कर रहे हैं. इसीलिए नीतीश कुमार  चिराग को लेकर बीजेपी के प्रति आशंकित रहते थे. 

इस तरह चिराग अब तस्वीर से बाहर हो गए, जल्दी ही लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जाएगी जिसमें विधिवत रूप से पशुपति कुमार पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया जाएगा. जब भी मोदी मंत्रिपरिषद का विस्तार होगा, पशुपति कुमार पारस मंत्री बनाए जा सकते हैं. दूसरी ओर, बिहार में भी नीतीश सरकार में लोजपा को जगह दी जा सकती है

चिराग पासवान ने मामले में डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए खुद कार ड्राइव कर चाचा पशुपति कुमार पारस के घर पहुंचे, लेकिन वहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी है।

करीब डेढ़ घंटे के इंतजार के बाद भी चाचा पशुपति कुमार पारस ने भतीजे चिराग को मिलने का वक्त नहीं दिया। हालांकि चिराग पासवान अपनी तरफ से चाचा को प्रस्ताव दे चुके हैं कि एलजेपी का नया अध्यक्ष रामविलास पासवान की पत्नी और चिराग की मां रीना पासवान को बनाया जाए।

इस सब के बीच,हाजीपुर से सांसद पारस का कहना है कि, ‘‘ मैंने पार्टी को तोड़ा नहीं, बल्कि बचाया है।’’ उन्होंने कहा कि लोजपा के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता पासवान के नेतृत्व में बिहार 2020 विधानसभा चुनाव में जद (यू) के खिलाफ पार्टी के लड़ने और खराब प्रदर्शन से नाखुश हैं।

पारस ने कहा कि उनका गुट भाजपा नीत राजग सरकार का हिस्सा बना रहेगा और पासवान भी संगठन का हिस्सा बने रह सकते हैं।

चिराग पासवान के खिलाफ हाथ मिलाने वाले पांच सांसदों के समूह ने पारस को सदन में लोजपा का नेता चुनने के अपने फैसले से लोकसभा अध्यक्ष को अवगत करा दिया है। हालांकि पारस ने इस संदर्भ में कोई टिप्पणी नहीं की।

पारस के पत्रकारों से बात करने के बाद चिराग पासवान राष्ट्रीय राजधानी स्थित उनके चाचा के आवास पर उनसे मिलने पहुंचे। पासवान के रिश्ते के भाई एवं सांसद प्रिंस राज भी इसी आवास में रहते हैं।

पारस और प्रिंस के आवास पर करीब 90 मिनट तक रुकने के बाद पासवान वहां से मीडिया से बात किए बिना ही चले गए। ऐसा माना जा रहा है कि दोनों असंतुष्ट सांसदों में से उनसे किसी ने मुलाकात नहीं की। एक घरेलू सहायक ने बताया कि पासवन जब आए तब दोनों सांसद घर पर मौजूद नहीं थे।

असंतुष्ट लोजपा सांसदों में प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीना देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं, जो चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश हैं। 2020 में पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा का कार्यभार संभालने वाले चिराग अब पार्टी में अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे हैं।

सूत्रों ने जनता दल (यूनाइटेड) को इस विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पार्टी लंबे समय से लोजपा अध्यक्ष को अलग-थलग करने की कोशिश कर रही थी क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ जाने के चिराग के फैसले से सत्ताधारी पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा था। 







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