राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि तिरंगे का अपमान करने वालों पर कार्रवाई जरूर हो लेकिन किसानों से लड़ाई लड़कर सरकार को कुछ हासिल नहीं होगा । वहीं गुलाम नबी आजाद ने पीएम मोदी को बड़े दिल वाला बताया।
किसान आंदोलन पर सरकार को घेरने की जुगत में जुटी कांग्रेस के पास यह सुनहरा मौका था। नफीस अंदाज में अपने धारदार भाषण के मशहूर कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने मोर्चा संभाला। 1900 से 1988 तक किसान आंदोलन पर मिसालें देकर उन्होंने पीएम मोदी को खूब सुनाया। सामने बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुपचाप आजाद की बातों को सुनते रहे।
गुलाम नबी आजादी ने भाषण की शुरुआत 1900 से शुरू की। उन्होंने ब्रिटिशकाल का जिक्र कर कहा कि सरकार को किसानों की ताकत के आगे हर बार झुकना पड़ा है। उन्होंने कहा कि 1900 से 1906 के बीच अंग्रेज सरकार तीन कानून लेकर आई थी। कानून में था कि जमीन की मालिक ब्रिटिश सरकार होगी और मालिकाना हक से किसानों को वंचित रखा जाएगा। किसानों का अपने घर और पेड़ पर भी हक नहीं होगा। इस पर बवाल मच गया और 1907 में आंदोलन हुआ। इसका आंदोलन का संचालन शहीद भगत सिंह के बड़े भाई सरदार अजीत सिंह और अन्य कर रहे थे। पूरे पंजाब में प्रदर्शन हुए। पगड़ी संभाल जट्टा पगड़ी संभाल जट्टा... गीत बन गया। उस समय का यह गीत बड़ा मशहूर हुआ। इस गीत ने किसानों में जोश भरा। लाला लाजपत राय ने भी आंदोलन का समर्थन किया। सरकार ने संशोधन किया, लेकिन किसान और भड़क गए। इसके बाद तीनों बिल वापस लिए गए।
आजाद यहीं नहीं रुके और उन्होंने चंपारण सत्याग्रह और नील की खेती का भी जिक्र किया । उन्होंने सरदार बल्लभ भाई पटेल के खेड़ा आंदोलन का भी जिक्र किया । उन्होंने तेलंगाना के जमींदारों को किसानों द्वारा सबक सिखाने का भी उल्लेख किया । आजाद ने इसके बाद महेंद्र सिंह टिकैत के आंदोलन का जिक्र कर पीएम मोदी को किसानों के प्रति नरमदिल होने की सलाह दी। वह राकेश टिकैत के पिता थे।
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