राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने बिहार विपक्षी विधायकों एवं पुलिस के बीच हुए टकराव का मुद्दा बुधवार को लोकसभा में उठाया और कहा कि मंगलवार को पटना में जो कुछ भी हुआ हो वो लोकतंत्र के लिए ‘काला दिन’ था।
वहीं, कांग्रेस नेता भक्त चरण दास ने संवाददाताओं से कहा कि कल बिहार विधानसभा में जो घटनाएं घटी, वह अत्यंत निंदनीय है और ऐसी घटनाएं इतिहास में न तो पहले घटी हैं और न ही कभी घटेगा ।
उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा के अंदर पुलिस बुलाकर विधायकों की पिटायी करना, महिला विधायकों के साथ अभद्रता लोकतंत्र का अपमान है ।
वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ जब विधानसभा अध्यक्ष को बंधक बना लिया गया हो, जैसा विपक्ष ने किया ।
उन्होंने कहा कि अगर कोई मुद्दा था तब इस पर सदन में चर्चा करनी चाहिए थी ।
भाजपा सदस्य और पार्टी की बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने सुप्रिया की टिप्पणी प्रतिवाद करते हुए कहा कि देश के लोकतांत्रिक इतिहास में पहली एक विधानसभा अध्यक्ष को उसके कमरे में बंधक बना दिया गया तथा इसके लिए जिम्मेदार विधायकों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
सुप्रिया सुले ने सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘तेजस्वी यादव की पार्टी (राजद) की महिला विधायकों पर जिस तरह पुलिस टूट पड़ी वो बहुत निंदनीय है...जो हुआ है वो लोकतंत्र के लिए काला दिन है। आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए।’’
भाजपा के संजय जायसवाल ने इस मुद्दे पर कहा, ‘‘ऐसा कभी नहीं हुआ कि विधानसभा अध्यक्ष को कमरे में बंद किया जा आए और उसे कार्यवाही के लिए आने नहीं दिया जाए।’’
उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया कि वह सभी विधानसभा अध्यक्षों की बैठक बुलाएं और ‘‘संबंधित विधायकों पर कार्रवाई की जाए।’’
भाजपा सदस्य रामकृपाल यादव ने कहा कि ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी गई जो मंगलवार बिहार विधानसभा में देखने को मिली।
उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा अध्यक्ष को बंधक बनाया गया और मंत्रियों पर हमला किया। जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए।’’
बहरहाल,बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक (Bihar Special Armed Police Bill) को लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ । 23 मार्च को जो तस्वीरें और वीडियो बिहार विधानसभा से आए, वो चौंकाने वाले थे । विपक्षी विधायकों को पुलिस ने पीटा और सदन से बाहर निकाल दिया । विपक्ष के नेता इस मामले को जोर-शोर से उठा रहे हैं. उनका दावा है कि ये विधेयक, पुलिस को असीमित शक्तियां दे देगा ।
वहीं सत्ता पक्ष के नेता इस विधेयक को जरूरी बता रहे हैं और विपक्षी नेताओं से इसे पढ़ने की सलाह दे रहे हैं ।
चलिए आपको बताते हैं बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 के बारे में.
क्या प्रावधान हैं इस बिल में-
1. बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार होगा ।
2. शक के आधार पर गिरफ्तार करने का अधिकार होगा ।
3. बिना वॉरन्ट के तलाशी लेने का अधिकार होगा ।
4. गिरफ्तार किए गए शख्स को लोकल पुलिस के हवाले कर दिया जाएगा ।
5. बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस के किसी अधिकारी पर यदि कोई आरोप लगता है तो कोर्ट खुद से संज्ञान नहीं ले पाएगा ।
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