
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कई मुद्दे ऐसे हैं जिन पर पार्टियों ने कहा है कि उन पर संसद में चर्चा होनी चाहिए । हम खुले दिल से चर्चा के लिए तैयार हैं । हम नियमों और परंपराओं के अनुसार काम करते हैं और इनका बहुत महत्व रखते हैं, इसलिए हम हर मुद्दे पर नियमों और परंपराओं के अनुसार चर्चा करेंगे।
संसद का यह मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चलेगा, जिसमें कुल 21 बैठकें होंगी। गौरतलब है कि 12 अगस्त से 18 अगस्त के बीच कोई बैठक निर्धारित नहीं की गई है। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में सरकार सभी राजनीतिक दलों से संसद के दोनों सदनों के सुचारु संचालन चलाने को लेकर बात की।
इस बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भाग लिया, जहां सरकार का प्रतिनिधित्व संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और उनके कनिष्ठ मंत्री अर्जुन राम मेघवाल शामिल हुए। कांग्रेस के गौरव गोगोई और जयराम रमेश, राकांपा-शरद पवार की सुप्रिया सुले, द्रमुक के टी.आर. बालू और आरपीआई (ए) नेता एवं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले भी बैठक में शामिल हुए।
सर्वदलीय बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “सरकार ने उनकी बातों पर ध्यान दिया है. हमने अनुरोध किया है कि सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष को अच्छे समन्वय के साथ मिलकर काम करना चाहिए. हम अलग-अलग विचारधाराओं वाले राजनीतिक दल हो सकते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना सभी की जिम्मेदारी है कि संसद सुचारू रूप से चले – विपक्ष की भी और सरकार की भी.”
किरेन रिजिजू ने कहा, “छोटे राजनीतिक दलों, खासकर जिनके पास 1-2 सांसद हैं, को बोलने के लिए कम समय मिलता है क्योंकि समय उनकी संख्या के अनुसार आवंटित किया जाता है. लेकिन हमने इसका संज्ञान लिया है. हम छोटे दलों को पर्याप्त समय आवंटित करने पर सहमत हुए हैं. हम इसे लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति के समक्ष रखेंगे और फिर हम इस मुद्दे को कार्य मंत्रणा समिति में उठाएंगे।”
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, इस बार हमें पहले से अधिक उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद के माध्यम से देश को संबोधित करेंगे। कई अहम मुद्दे हैं जिन पर सरकार को अपनी बात रखनी चाहिए। पहला मुद्दा पहलगाम का है और उस पर उपराज्यपाल द्वारा दिए गए बयान भी गंभीर हैं। काफी समय बीत चुका है और अब सरकार को इस पर स्पष्ट रूप से अपनी स्थिति संसद में रखनी चाहिए।
उन्होंने कहा, दूसरा मुद्दा अमेरिकी राष्ट्रपति के हालिया बयान से जुड़ा है, जो भारत की गरिमा और हमारी सेना की वीरता पर सवाल उठाने का है। इसका जवाब सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री ही दे सकते हैं। तीसरा अहम मुद्दा मतदान के अधिकार और चुनाव प्रक्रिया से जुड़ा है।
गोगोई ने कहा कि ऐसे में प्रधानमंत्री की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे संसद में आकर सरकार का पक्ष रखें।
सर्वदलीय बैठक के बाद जेएमएम सांसद डॉ. सरफराज अहमद ने कहा, “…देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई, जैसे ट्रंप लगातार बयान देते रहते हैं, चीन धीरे-धीरे भारत को घेर रहा है, खासकर सीमावर्ती राज्यों में. सरकार को इन मामलों का संज्ञान लेना चाहिए। बिहार में मतदाता पुनरीक्षण (एसआईआर) पर भी चर्चा हुई…हमने सवाल किया कि लोकसभा चुनाव उसी मतदाता सूची के आधार पर हुए थे, तो क्या यह गलत था?…हम चाहते हैं कि ये मुद्दे सदन में आएं।
अन्नाद्रमुक सांसद एम थंबीदुरई ने कहा, “…तमिलनाडु के मछुआरे बहुत पीड़ित हैं. श्रीलंकाई सेना कई तमिल मछुआरों को मार देती है, इसलिए इस पर ध्यान देना जरूरी है. इसी तरह, श्रीलंका सरकार ने जो भी वादे किए हैं, उन्हें समय पर पूरा किया जाना चाहिए. देश भर में, खासकर तमिलनाडु में, नशीली दवाओं का खतरा बहुत ज्यादा है. राज्य सरकार इस पर कोई कार्रवाई करने में विफल रही है. तमिलनाडु में हिरासत में मौतें हो रही हैं. हमने मांग की है कि तमिलनाडु में खुदाई करने वाले पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट केंद्र सरकार ने जारी नहीं की है. सरकार को इसे जारी करना चाहिए. और साथ ही, खासकर महिला आरक्षण विधेयक को लागू करना होगा । ”


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