राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संबोधन में एक राष्ट्र एक चुनाव योजना की वकालत करते हुए इस बात पर जोर दिया कि यह शासन में स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है, नीतिगत पंगुता को रोक सकता है और वित्तीय बोझ को कम कर सकता है।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू (president Murmu) ने कहा कि बड़े पैमाने पर सुधार के लिए साहसपूर्ण दूरदर्शिता की आवश्यकता होती है। देश में चुनावों को एक साथ सम्पन्न कराने के लिए संसद में पेश किया गया विधेयक, एक और ऐसा प्रयास है, जिसके द्वारा सुशासन को नए आयाम दिए जा सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की व्यवस्था से शासन में निरंतरता को बढ़ावा मिल सकता है, नीति-निर्धारण से जुड़ी निष्क्रियता समाप्त की जा सकती है, संसाधनों के अन्यत्र खर्च हो जाने की संभावना कम की जा सकती है तथा वित्तीय बोझ को कम किया जा सकता है। इनके अलावा, जन-हित में अनेक अन्य लाभ भी हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में हमने स्वाधीनता प्राप्त कर ली थी, लेकिन औपनिवेशिक मानसिकता के कई अवशेष लंबे समय तक विद्यमान रहे। हाल के दौर में, उस मानसिकता को बदलने के ठोस प्रयास हमें दिखाई दे रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे प्रयासों में - Indian Penal Code, Criminal Procedure Code, और Indian Evidence Act के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू करने का निर्णय सर्वाधिक उल्लेखनीय है।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि न्यायशास्त्र की भारतीय परंपराओं पर आधारित इन नए अधिनियमों द्वारा दंड के स्थान पर न्याय प्रदान करने की भावना को आपराधिक न्याय प्रणाली के केंद्र में रखा गया है। इसके अलावा, इन नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों पर काबू पाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
उन्होंने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि गुजरात के वडनगर में भारत के प्रथम Archaeological Experiential Museum का कार्य पूरा होने वाला है। यह Museum एक archaeological site से जुड़ा हुआ है। इस स्थल पर, मनुष्यों की बस्ती होने के लगभग 800 वर्ष ईसा पूर्व के साक्ष्य मिलते हैं। इस संग्रहालय में विभिन्न युगों की, अलग-अलग प्रकार की कला, शिल्प और सांस्कृतिक सामग्री को प्रदर्शित किया जाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले दशक में, शिक्षा की गुणवत्ता, भौतिक अवसंरचना तथा डिजिटल समावेशन के आयामों में व्यापक बदलाव आया है। शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शिक्षण- माध्यम के रूप में, क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। विद्यार्थियों के प्रदर्शन में आशा के अनुरूप उल्लेखनीय सुधार हुआ है। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि महिला शिक्षकों ने इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले दशक के दौरान नियुक्त शिक्षकों में महिलाओं की भागीदारी 60 प्रतिशत से अधिक है।
उन्होंने कहा कि Global Innovation Index में भारत की ranking लगातार बेहतर हुई है। वर्ष 2020 में भारत, 48वें स्थान पर था। स्थिति में सुधार करते हुए, वर्ष 2024 में, भारत 39वें स्थान पर आ गया है।
बढ़ते आत्मविश्वास के साथ, हम अनेक प्रयासों के बल पर अत्याधुनिक अनुसंधान में अपनी भागीदारी बढ़ा रहे हैं। National Quantum Mission का उद्देश्य प्रौद्योगिकी के इस नए क्षेत्र में एक जीवंत और नवीन eco-system को विकसित करना है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। इस महीने, ISRO ने अपने सफल Space Docking Experiment से देश को एक बार फिर गौरवान्वित किया है। भारत अब विश्व का चौथा देश बन गया है जिसके पास यह क्षमता उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में हमारा बढ़ता आत्मविश्वास खेलों के क्षेत्र में भी दिखाई देता है। हमारे खिलाड़ियों ने सफलता के प्रभावशाली अध्याय रचे हैं।
मुर्मू ने कहा कि जब आज के बच्चे वर्ष 2050 की 26 जनवरी के दिन राष्ट्र-ध्वज को सलामी दे रहे होंगे, तब वे अपनी अगली पीढ़ी को यह बता रहे होंगे कि हमारे देश की गौरव यात्रा, हमारे अतुलनीय संविधान से प्राप्त मार्गदर्शन के बिना संभव न हुई होती।
राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के वर्षों में, आर्थिक विकास की दर लगातार ऊंची रही है, जिससे हमारे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, किसानों और मजदूरों के हाथों में अधिक पैसा आया है तथा बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। साहसिक और दूरदर्शी आर्थिक सुधारों के बल पर, आने वाले वर्षों में प्रगति की यह रफ्तार बनी रहेगी।
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