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Sunday May 12, 2024
Aryavart Times

लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के लिये सत्ता की कुंजी गठबंधन के रास्ते

लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के लिये सत्ता की कुंजी गठबंधन के रास्ते

 लोकसभा चुनाव में बहुमत के आंकड़े को हासिल करने के लिये भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है और वर्तमान राजनीतिक परिस्थितयों को भांपते हुए भाजपा ने 12  से अधिक राज्यों में छोटे....बड़े ढाई दर्जन से अधिक दलों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा गठबंधन बनाया है। भाजपा ने आंध्रप्रदेश, तेलंगाना जैसे राज्यों में संभावित सहयोगियों के लिये रास्ते खोले रखने के संकेत भी दिये हैं । 

भाजपा ने आसन्न चुनाव में बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पंजाब, उत्तरप्रदेश, झारखंड समेत 12 राज्यों में विभिन्न दलों से गठबंधन किया है । इन राज्यों में या तो त्रिकोणीय संघर्ष है या राजग एवं संप्रग गठबंधनों के बीच करीब पौने तीन सौ सीटें के लिये मुकाबला है । 

भाजपा संसदीय बोर्ड की शुक्रवार को हुई बैठक में भी चुनाव अभियान के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई । इसमे चुनाव में दायरा बढ़ाने के लिये गठबंधन को मजबूत बनाने पर जोर दिया गया ।

साल 2014 में भाजपा करीब डेढ़ दर्जन सहयोगी दलों के साथ के साथ चुनावी समर में उतरी थी । इस बार चुनाव में भाजपा ने 12  से अधिक राज्यों में छोटे..बड़े ढाई दर्जन से अधिक दलों के साथ मैदार में उतर रही है । 

भाजपा ने पूर्वोत्तर राज्यों पर खास जोर दिया है । इस क्षेत्र में भाजपा आईपीएफटी, एनडीपीपी, एनपीपी, यूडीपी जैसे छोटे-छोटे 11 दलों वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक गठबंधन के साथ मुकाबले में है जहां 25 सीटों के लिये मुकाबला है। पूर्वोत्तर में नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 को लेकर भाजपा के कई सहयोगी दलों ने नाराजगी जाहिर की थी । हालांकि असम गण परिषद को छोड़कर इस क्षेत्र में सभी सहयोगी दल भाजपा के साथ हैं । सिक्किम में भाजपा सिक्कित क्रांतिकारी मोर्चा के साथ गठबंधन कर रही है । 

भाजपा ने आम चुनाव से पहले 4 राज्यों में गठबंधन किया है। इनमें तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक, बिहार में जदयू, झारखंड में आजसू और महाराष्ट्र में शिवसेना शामिल हैं। इन 3 राज्यों में 127 सीटें हैं। महाराष्ट्र की 48 सीटों में भाजपा 25 और शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी । भाजपा ने 2014 चुनाव में बिहार की 40 में से 30 सीटों पर अकेले दम पर लड़ कर 22 सीटें जीती थीं, वहीं इस बार गठबंधन के तहत 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है । जदयू 17 और लोजपा 6 सीटों पर चुनाव लड़ रही है । 

वहीं पंजाब में अकाली दल 10 सीटों पर जबकि बीजेपी 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।  झारखंड में भाजपा 13 सीटों पर और आजसू एक सीट पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी । तमिलनाडु की 39 सीटों में भाजपा पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी । उत्तरप्रदेश की 80 सीटों के लिये भाजपा ने अपना दल और सोहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन जारी रखने पर जोर दिया है जहां उसका मुकाबला बसपा..सपा गठबंधन और कांग्रेस से है । केरल में  20 सीटों के लिये भाजपा का भारत धर्म जन सेना सहित छोटे दलों से गठबंधन हैं ।

लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले भाजपा ने देश भर में अपना प्रचार अभियान तेज कर दिया है। भाजपा नेता अपने दम पर बहुमत के दावे तो कर रहे हैं, लेकिन चुनावों को लेकर अति आत्मविश्वास में नहीं रहना चाहते हैं। जिन राज्यों में वह कमजोर हैं वहां पर कांग्रेस से दूरी रखने वालों मजबूत क्षेत्रीय दलों के साथ भी रास्ते खोले रखने के संकेत दिए हैं। इनमें वाईएसआरसीपी और टीआरएस जैसी पार्टी शामिल है । 

देश के 22 बड़े राज्यों में कुल लोकसभा सीटों की 94% यानि 524 सीटें आती हैं। इनमें से 8 राज्य ऐसे हैं, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। 7 राज्यों में भाजपा, कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। 4 राज्यों में भाजपा नीत राजग और कांग्रेस नीत संप्रग घटक दलों के बीच टक्कर है। जम्मू-कश्मीर और बंगाल में चतुष्कोणीय मुकाबले की संभावना प्रबल है । 

देश में 5 राज्य ऐसे हैं, जहां 5 दलों ने राजग का साथ छोड़ा है। इनमें महाराष्ट्र में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन, असम में एजीपी, जम्मू-कश्मीर में पीडीपी, बिहार में रालोसपा और आंध्र में टीडीपी शामिल हैं।

पिछले सवा साल में पांच बड़े राज्य गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हुए और इनमें राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा जबकि कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद कांग्रेस..जदयू गठबंधन ने राज्य में सरकार बनाई ।

राजनयिक विश्लेषकों का कहना है कि 2014 लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ की 145 सीटों में से भाजपा एवं सहयोगी दलों ने 135 सीटों पर जीत दर्ज की थी । ऐसे में इन राज्यों में एंटी इंकम्बेंसी से जुड़े कारकों को ध्यान में रखते हुए भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती और पूर्वोत्तर एवं दक्षिणी राज्यों में गठबंधन को मजबूत बनाने पर जोर दे रही है ।







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