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Sunday May 12, 2024
Aryavart Times

सोनिया गांधी ने मोदी को पत्र लिखा, पेट्रोल एवं ईधन के दाम में बेतहासा वृद्धि को अव्यवहारिक बताया

सोनिया गांधी ने मोदी को पत्र लिखा, पेट्रोल एवं ईधन के दाम में बेतहासा वृद्धि को अव्यवहारिक बताया

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ईंधन के बढ़ते दामों को लेकर पत्र लिखा, कहा कि कीमतें ऐतिहासिक एवं अव्यावहारिक’’ हैं। सोनिया गांधी ने कहा कि जिस तरह जीडीपी गोता खा रही है और ईंधन के दाम बेतरतीब बढ़ रहे हैं, सरकार अपने आर्थिक कुप्रबंधन का ठीकरा पिछली सरकारों पर फोड़ने में लगी है।

सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा, ईंधन के बढ़े दाम वापस लें और इसका लाभ हमारे मध्यम एवं वेतनभोगी वर्ग, किसानों, गरीबों तक पहुंचाएं।

चिट्ठी में उन्होंने लिखा, 'प्रधानमंत्री जी, आशा है आप सकुशल होंगे. मैं यह पत्र आपको आसमान छूती तेल व रसोई गैस की कीमतों से हर नागरिक के लिए उत्पन्न गहन पीड़ा एवं संकट से अवगत कराने के लिए लिख रही हूं. एक तरफ, भारत में रोजगार खत्म हो रहा है, कर्मचारियों का वेतन घटाया जा रहा है और घरेलू आय निरंतर कम हो रही है वहीं दूसरी तरफ, मध्यम वर्ग एवं समाज के आखिरी हाशिए पर रहने वाले लोग रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं ।

पत्र में आगे लिखा, 'तेजी से बढ़ती महंगाई और घरेलू सामान एवं हर आवश्यक वस्तु की कीमत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने इन चुनौतियों को और अधिक गंभीर बना दिया है. खेद इस बात का है कि संकट के इस समय में भी भारत सरकार लोगों के कष्ट व पीड़ा दूर करने की बजाय उनकी तकलीफ बढ़ाकर मुनाफाखोरी कर रही है ।

सोनिया गांधी ने लिखा कि ईंधन के दाम इस समय ऐतिहासिक रूप से अधिकतम ऊंचाई पर हैं, जो पूरी तरह अव्यवहारिक हैं. यह तथ्य है कि देश के कई हिस्सों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर को भी पार कर गए हैं. डीजल के निरंतर बढ़ते दामों ने करोड़ों किसानों की परेशानियों को और अधिक बढ़ा दिया है ।

कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने पत्र में लिखा कि मैं यह नहीं समझ पा रही कि कोई सरकार लोगों की कीमत पर उठाए ऐसे बेपरवाह और असंवेदनशील उपायों को कैसे सही ठहरा सकती है ।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सोनिया गांधी ने कहा कि आपकी सरकार ने डीजल पर एक्साइज ड्यूटी को 820 फीसदी और पेट्रोल को 258 प्रतिशत बढ़ाकर पिछले 6.5 साल में 21 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कर वसूली की है. ईंधन के दामों पर करों के रूप में की गई इस मुनाफाखोरी का देश के लोगों को कोई लाभ नहीं मिला ।







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