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Saturday May 11, 2024
Aryavart Times

#इतिहास बहुत#निर्मम होता है और वह #व्यक्ति से अधिक सवाल #संगठन से करता है

#इतिहास बहुत#निर्मम होता है और वह #व्यक्ति से अधिक सवाल #संगठन से करता है

नाटक और राजनीति में कहानी, दिग्दर्शन, अभिनय और पात्र का जितना महत्व होता है, उतना ही नेपथ्य का होता है। पुराने ज़माने में परदों पर बड़े बड़े महल, क़िले और बाग़ बागीचों की पेंटिंग हुआ करते थी और दृश्य के अनुसार परदे ऊपर खींच कर अलग-अलग प्रसंगों में लगाए जाते थे और फिर अभिनीत होते थे। 

समय के साथ इसमें बदलाव आता गया। परदों की जगह लोहे और लकड़ी के छोटे-बड़े चौखटों ने ली। बहरहाल मैं राजनीति से जुड़े नेपथ्य की बात कर रहा था... 

#राम आंदोलन को धार देने वाले #भाजपा के प्रमुख चेहरों में #लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, #मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार के अलावा शांता कुमार सहित कई अन्य प्रमुख नेता आज ‘‘नेपथ्य’’ में हैं ।

लालकृष्ण आडवाणी की ‘‘भाजपा’’ देश की सत्ता में है, लेकिन आज वे भाजपा के #मार्गदर्शक मंडल में हैं और पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ाने का फैसला किया है । 

कल्याण सिंह मौजूदा समय में राजस्थान के राज्यपाल हैं और उत्तर प्रदेश के #सामाजिक समीकरण के लिहाज से पूरी तरह से नेपथ्य में जाने से बचे हुए हैं । 

मुरली मनोहर जोशी मौजूदा समय में महज लोकसभा सांसद है और आडवाणी की तरह वे भी भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं ।

उमा भारती मौजूदा समय में में #मंत्री हैं लेकिन भविष्य में लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया है । उमा भारत की तीर्थ यात्रा पर निकलेंगी । सुषमा ने स्वयं नेपथ्य में चली गई हैं । 

विनय कटियार मौजूदा समय में भाजपा के महज सदस्य हैं और न पार्टी में उनकी भूमिका है और न ही सरकार में । शांता का चित्त भी अशांत ही दिखता है, #वसुंधरा भी सहज नहीं हैं, येदि... की कोशिशें सफल नहीं हो रही, धूमल का प्रभाव धूमिल हो रहा......

खैर.... मुझे क्या लेना : कई लोग #नेपथ्य को उपेक्षणीय मानते हैं.. हमें समझना होगा कि नेपथ्य दस्तक देता रहता है । नेपथ्य परदेदारी की बात भी करता है.... परदे में रहने दो, परदा न उठाओ....

तो आज दल में कोई किसी पर प्रेम बरसा देगा, किसी ठाकुर का मंगल होगा, फिर रवि की तरह चमकते शंकर आयेंगे । किसी ‘शाह’ की नवाजिश की गुंजाइश किसी की बन सकती है, किसी राजीव का प्रताप सामने आ सकता है, बिहार में कोई ‘बाबू’ कुछ बोल सकते हैं, गिरि के राजा पर भी ग्रहण लग सकता है लेकिन ‘पुरी’में कोई  ‘पात्रा’हो सकते हैं । 

आसिन का महीना रहा तो कोई अश्विन नक्षत्र की मानिंद चमकेंगे, लेकिन किसी पुतुल के योग्य बांका नहीं होगा, सीवान में ओम नहीं होंगे...... #फेहरिस्त लंबी है......

हां....कुछ महीने बाद क्या राज और नाथ साथ रह पायेंगे । 

लेकिन लोग कहते हैं कि नेपथ्य के उठापठक को नेपथ्य में ही रहने दें, परदा उठ गया जो नेपथ्य ही रंगमंच बन जायेगा । अब मैं कोई फिरदौसी थोड़े ही हूं जो ‘शाहनामा’’ लिखूं लेकिन....

अंत में कहना चाहूंगा कि.... ‘‘इतिहास बहुत निर्मम होता है और वह व्यक्ति से अधिक सवाल संगठन से करता है।’’







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