कांग्रेस ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक साल को देश के लिए ‘निराशा, कुप्रबंधन और पीड़ा देने वाला साल’करार देते हुए शनिवार को कहा कि जनता बेबस हो गई और सरकार बेरहम होती गई।
कांग्रेस ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ के मौके पर ‘बेबस लोग, बेरहम सरकार’का नारा दिया है कि और सरकार की अर्थव्यवस्था, रोजगार, कृषि, सुरक्षा और विदेश नीति समेत सभी क्षेत्रों में ‘विफलताओं’की एक सूची भी जारी की है।
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ' भारी निराशा, आपराधिक कुप्रबंधन एवं असीम पीड़ा का साल, सातवें साल की शुरुआत में भारत एक ऐसे मुकाम पर आकर खड़ा है, जहां देश के नागरिक सरकार द्वारा दिए गए अनगिनत घावों व निष्ठुर असंवेदनशीलता की पीड़ा सहने को मजबूर हैं।'
उन्होंने दावा किया, 'पिछले छह साल में देश में भटकाव की राजनीति एवं झूठे शोरगुल की पराकाष्ठा मोदी सरकार के कामकाज की पहचान बन गई। दुर्भाग्यवश, भटकाव के इस आडंबर ने मोदी सरकार की राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा तो किया, परंतु देश को भारी सामाजिक व आर्थिक क्षति पहुंचाई।'
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि पिछले एक साल में जनता बेबस हो गई और सरकार बेरहम रही तथा इस सरकार ने देश की जनता के खिलाफ युद्ध छेड़े रखा। उन्होंने कहा, ' मोदी सरकार हर साल 2 करोड़ नौकरी देने के वादे के साथ सत्ता में आई। लेकिन 2017-18 में भारत में पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर रही। कोविड के बाद भारत की बेरोजगारी दर अप्रत्याशित रूप से बढ़कर 27.11 प्रतिशत हो गई है। '
आर्थिक विकास दर में गिरावट को लेकर उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में जीडीपी का मतलब हो गया है -‘ग्रॉसली डिक्लाईनिंग परफॉर्मेंस’ यानी ‘लगातार गिरता प्रदर्शन’। उन्होंने कहा, ' कोविड-19 से बहुत पहले ही अर्थव्यवस्था बर्बादी के कगार पर पहुंच चुकी थी। पिछले 21 महीनों में जीडीपी वृद्धि दर में लगातार गिरावट हुई है। वित्तवर्ष 2020 की चौथी तिमाही में जीडीपी 3.1 प्रतिशत है, जो संशोधित हो 2 प्रतिशत तक ही रहने का अनुमान है।'
सुरजेवाला ने दावा किया, 'मोदी सरकार ने छह सालों में बैंकों के 6,66,000 करोड़ रुपये के कर्ज बट्टे खाते में डाल दिए। बैंक जालसाजी के 32,86 मामले हुए जिनमें देश के खजाने को 2,70,513 करोड़ रुपये का चूना लगा।' उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार में रुपया ‘मार्गदर्शक मंडल’ पहुंच गया और 60 दिनों से राहत दिए जाने का इंतजार कर रहे देशवासियों, खासतौर से किसानों, मजदूरों, गरीबों, लघु एवं मध्यम उद्योगों के साथ आर्थिक पैकेज के नाम पर छलावा किया गया है।
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