चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा की है । मतदान के तारीखों की घोषणा के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने पूछा है कि 8 चरणों में चुनाव किसको फायदा पहुंचाने के लिए रखा गया है ।
इस बार पश्चिम बंगाल में चुनाव से पूर्व पहली बार बंगाल के लोगों ने ‘आमार शोनार बांग्ला’की जगह भारतवर्ष हमारा हैं और भारत माता की जय के नारे लगाते हुए दिखाई दिए। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या इसे बदलाव का संकेत माना जाए ।
पश्चिम बंगाल में 294 सीटों वाली विधानसभा के लिए मतदान 27 मार्च (30 सीट), 1 अप्रैल (30 सीट), 6 अप्रैल (31 सीट), 10 अप्रैल (44 सीट), 17 अप्रैल (45 सीट), 22 अप्रैल (43 सीट), 26 अप्रैल (36 सीट), 29 अप्रैल (35 सीट) को होगी । पश्चिम बंगाल में भी मतगणना 2 मई को की जाएगी ।
साल 2011 में तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में इतिहास रच दिया था । ममता बनर्जी के नेतृत्व में पार्टी ने 34 साल बाद वामदलों की सरकार को उखाड़ फेंका था। इसके बाद से लेकर अब तक ममता लगातार दो बार बंगाल की मुख्यमंत्री बन चुकी हैं । इस चुनाव में बड़ा सवाल यह है कि दीदी हैट्रिक लगा पायेंगी या बंगाल में भाजपा का परचम लहरायेगा । सवाल ये भी उठा खड़ा हुआ है कि क्या बंगाल में जिस तरह ममता ने लेफ्ट में गढ़ में सेंध लागते हुए 2011 के विधानसभा चुनाव में 184 सीटों पर जीत हासिल की थी वैसा ही कुछ 2021 में बीजेपी करने जा रही है?
केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों को आधार बनाते हुए उत्साह से भरी हुई ह। भाजपा की तरफ से लगातार दावा किया जा रहा है कि वो 294 सीटों की विधानसभा में 200 सीटें हासिल करेगी । इस बीत कई तृणमूल कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है ।
2011 के विधानसभा चुनाव में जिसमें ममता ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर वामदलों के किले को ढहा दिया था उससे ठीक दो साल पहले तृणमूल कांग्रेस ने 2009 के आम चुनाव में बड़ी जीत हासिल करते हुए अपने सांसदों की संख्या एक से बढ़ाकर 19 कर दी थी और ऐसा ही कुछ इस बार भाजपा ने किया है जिसने 2014 के मुकाबले अपने सांसदों की संख्या 2 से बढ़ाकर 18 कर दी है।
चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि भारतीस जनता पार्टी के राष्ट्रवाद और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति ने बंगाल में भाजपा को बेहतर स्थिति में ला दिया । ऐसे में एक बड़ा वर्ग भाजपा की ओर रूख कर रहा है ।
अगर लोकसभा चुनाव के नतीजों का विधानसभा सीट वार विश्लेषण करें तो विधानसभा की कुल 294 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने लगभग 130 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाई है। वहीं सत्तारूढ दल तृणमूल कांग्रेस को 158 सीटों पर बढ़त मिली है। ऐसे में जब करीब दो साल बाद 2021 में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं तो वहां भाजपा और टीएमसी के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिलना तय माना जा रहा है।
पिछले दो वर्षो में राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव में मिली हार की भरपाई के लिए अपना पूरा ध्यान बंगाल पर लगाने का जो निर्णय लिया वो पूरी तरह सफल साबित हुआ।
ममता बनर्जी स्थानीय का भी मुद्दा उठा रही हैं । उनका कहना है कि बंगाल पर बंगाली ही राज करेगा किसी बाहरी को घुसने नहीं दिया जाएगा ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ''पीएम अपनी ताकत का दुरुपयोग न करें. इससे बीजेपी को कोई फायदा नहीं होगा. बीजेपी को बंगाल की जनता जवाब देगी. बीजेपी जनता को हिंदू मुस्लिम में बांट रही है.''
वहीं, प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यहां पर तोलाबाज सक्रिय है. पीएम ने कहा कि टीएमसी के नेताओं की शान शौकत लगातार बढ़ती जा रही है । इस दौरान उन्होंने पीएम किसान और आयुष्मान योजना का भी जिक्र किया ।
मोदी ने कहा कि ने कहा कि बंगाल ने परिवर्तन का मन बना लिया है. हुगली का यह जनसैलाब इसका उदाहरण है ।
Start the Discussion Now...