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Sunday May 12, 2024
Aryavart Times

अधिकार और कर्तव्य सिक्के के दो पहलू जिस पर मजबूती से खड़ा है हमारा गणतंत्र : राष्ट्रपति कोविंद

अधिकार और कर्तव्य सिक्के के दो पहलू जिस पर मजबूती से खड़ा है हमारा गणतंत्र : राष्ट्रपति कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने ‘अधिकार और कर्तव्य’ को एक ही सिक्के के दो पहलू बताते हुए कहा कि राष्ट्र की सेवा करने के मूल कर्तव्य को निभाते हुए देशवासी कर्तव्य-निष्ठा के साथ राष्ट्र हित के अभियानों को अपनी सक्रिय भागीदारी से मजबूत बनाते रहेंगे।
73वें  गणतंत्र दिवस (Republic Day) की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि मानव-समुदाय को एक-दूसरे की सहायता की इतनी जरूरत कभी नहीं पड़ी थी जितनी कि आज है।  उन्होंने कहा, ‘‘ अब दो साल से भी अधिक समय बीत गया है लेकिन मानवता का कोरोना-वायरस के विरुद्ध संघर्ष अभी भी जारी है। इस महामारी में हजारों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है। पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था पर आघात हुआ है। विश्व समुदाय को अभूतपूर्व विपदा का सामना करना पड़ा है।’’
उन्होंने कहा कि नित नए रूपों में यह वायरस नए संकट प्रस्तुत करता रहा है। यह स्थिति, मानव जाति के लिए एक असाधारण चुनौती बनी हुई है।
कोविंद ने कहा कि महामारी का सामना करना भारत में अपेक्षाकृत अधिक कठिन होना ही था। हमारे देश में जनसंख्या का घनत्व बहुत ज्यादा है, और विकासशील अर्थव्यवस्था होने के नाते हमारे पास इस अदृश्य शत्रु से लड़ने के लिए उपयुक्त स्तर पर बुनियादी ढांचा तथा आवश्यक संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं थे।
राष्ट्रपति ने कहा ‘‘  मुझे यह कहते हुए गर्व का अनुभव होता है कि हमने कोरोना-वायरस के खिलाफ असाधारण दृढ़-संकल्प और कार्य-क्षमता का प्रदर्शन किया है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ दुर्भाग्य से, संकट की स्थितियां आती रही हैं, क्योंकि वायरस, अपने बदलते स्वरूपों में वापसी करता रहा है। अनगिनत परिवार, भयानक विपदा के दौर से गुजरे हैं। हमारी सामूहिक पीड़ा को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। लेकिन एकमात्र सांत्वना इस बात की है कि बहुत से लोगों की जान बचाई जा सकी है।’’
कोविंद ने कहा, ‘‘ महामारी का प्रभाव अभी भी व्यापक स्तर पर बना हुआ है, अतः हमें सतर्क रहना चाहिए और अपने बचाव में तनिक भी ढील नहीं देनी चाहिए। हमने अब तक जो सावधानियां बरती हैं, उन्हें जारी रखना है।’’
कोविंद ने कहा कि हमारी अर्थ-व्यवस्था ने फिर से गति पकड़ ली है। प्रतिकूल परिस्थितियों में भारत की दृढ़ता का यह प्रमाण है कि पिछले साल आर्थिक विकास में आई कमी के बाद इस वित्त वर्ष में अर्थ-व्यवस्था के प्रभावशाली दर से बढ़ने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि यह पिछले वर्ष शुरू किए गए आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता को भी दर्शाता है। सभी आर्थिक क्षेत्रों में सुधार लाने और आवश्यकता-अनुसार सहायता प्रदान करने हेतु सरकार निरंतर सक्रिय रही है। 
राष्ट्रपति ने कहा कि इस प्रभावशाली आर्थिक प्रदर्शन के पीछे कृषि और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्रों में हो रहे बदलावों का प्रमुख योगदान है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि हमारे किसान, विशेषकर छोटी जोत वाले युवा किसान प्राकृतिक खेती को उत्साह-पूर्वक अपना रहे हैं। 
उन्होंने कहा कि लोगों को रोजगार देने तथा अर्थ-व्यवस्था को गति प्रदान करने में छोटे और मझोले उद्यमों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हमारे इनोवेटिव युवा उद्यमियों ने स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम का प्रभावी उपयोग करते हुए सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
कोविंद ने कहा, ‘‘ जन-संसाधन से लाभ उठाने यानि डेमोग्राफिक डिविडेंड प्राप्त करने के लिए, हमारे पारंपरिक जीवन-मूल्यों एवं आधुनिक कौशल के आदर्श संगम से युक्त राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये सरकार ने समुचित वातावरण उपलब्ध कराया है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि विश्व में सबसे ऊपर की 50 ‘इनोवेटिव इकॉनोमीज़’ में भारत अपना स्थान बना चुका है।’’
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष ओलंपिक खेलों में हमारे खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन से लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। उन युवा विजेताओं का आत्मविश्वास आज लाखों देशवासियों को प्रेरित कर रहा है।
उन्होंने अपने संबोधन में भारतीय नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड की समर्पित टीमों ने स्वदेशी व अति-आधुनिक विमानवाहक पोत ‘आई.ए.सी.-विक्रांत’ का निर्माण किया है जिसे हमारी नौसेना में शामिल किया जाना है। 
सशस्त्र बलों के योगदान का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज, हमारे सैनिक और सुरक्षाकर्मी देशाभिमान की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। हिमालय की असहनीय ठंड में और रेगिस्तान की भीषण गर्मी में अपने परिवार से दूर वे मातृभूमि की रक्षा में तत्पर रहते हैं। 







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