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Saturday May 11, 2024
Aryavart Times

गणतंत्र दिवस : राजपथ पर भारत की सांस्कृतिक विविधता, सैन्य शक्ति का शानदार प्रदर्शन

गणतंत्र दिवस : राजपथ पर भारत की सांस्कृतिक विविधता, सैन्य शक्ति का शानदार प्रदर्शन

भारत के 73वें गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर देश की आन.बान.शान का शानदार नजारा देखा गया जिसमें प्राचीन काल से चली आ रही भारत की अनूठी एकता में पिरोई विविधताओं वाली विरासत, आधुनिक युग की विभिन्न क्षेत्रों की उसकी उपलब्धियां और देश की सुरक्षा की गारंटी देने वाली फौज की क्षमता का भव्य प्रदर्शन हुआ।
इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड की खासियत विशेष रूप से आयोजित किये जाने वाले समारोह हैं, क्योंकि इस बार गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में संपन्न हो रहा है और इसे पूरे देश में 'आजादी का अमृत महोत्सव' के रूप में मनाया जा रहा है। कोविड-19 की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए विशेष व्यवस्था की गई है। दर्शकों के लिए सीटों की संख्या में काफी कमी आई है और लोगों को ऑनलाइन लाइव समारोह देखने के लिए MyGov पोर्टल  पर पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। परेड में केवल डबल टीकाकृत वयस्कों/15 वर्ष और उससे अधिक आयु के एक खुराक टीकाकरण वाले बच्चों को प्रवेश की अनुमति दी गई थी ।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 26 जनवरी को 73वां गणतंत्र दिवस समारोह के आयोजन में राष्ट्र का नेतृत्व किया । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राष्ट्रीय युद्ध स्मारक गए और माल्यार्पण कर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने में देश का नेतृत्व किया 
राष्ट्रगान के बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा और 21 तोपों की सलामी दी गई।  परेड की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सलामी लेने के साथ हुई ।परेड की कमान दूसरी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी, परेड कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार मिश्रा, अति विशिष्ट सेवा मेडल ने संभाला ।
तत्कालीन ग्वालियर लांसर्स की वर्दी में पहली टुकड़ी 61 कैवलरी रही जिसका नेतृत्व मेजर मृत्युंजय सिंह चौहान कर रहे थे। 61 कैवेलरी दुनिया में एकमात्र सक्रिय सेवारत हॉर्स कैवेलरी रेजिमेंट है। इसे 1 अगस्त, 1953 को छह राज्य बलों की घुड़सवार इकाइयों को मिलाकर स्थापित किया गया था।
भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व 61 कैवेलरी के माउंटेड कॉलम, 14 मैकेनाइज्ड कॉलम, छह मार्चिंग टुकड़ियों और आर्मी एविएशन के एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टरों (एएलएच) द्वारा किया गया ।एक टैंक पीटी-76 और सेंचुरियन (टैंक वाहक पर) और दो एमबीटी अर्जुन एमके-I, एक एपीसी टोपास और बीएमपी-I (ऑन टैंक ट्रांसपोर्टर) और दो बीएमपी-II, एक 75/24 टोड गन (वाहन पर) और दो धनुष गन सिस्टम, एक पीएमएस ब्रिज और दो सर्वत्र ब्रिज सिस्टम, एक एचटी-16 (वाहन पर) और दो तरंग शक्ति इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, एक टाइगर कैट मिसाइल और दो आकाश मिसाइल सिस्टम मैकेनाइज्ड कॉलम में मुख्य आकर्षण रही ।
राजपूत रेजिमेंट, असम रेजिमेंट, जम्मू-कश्मीर लाइट रेजिमेंट, सिख लाइट रेजिमेंट, सैन्य आयुध कोर और पैराशूट रेजिमेंट सहित सेना के कुल छह मार्चिंग दस्ते ने राजपथ पर चटख कदमताल के साथ सलामी दी।
मद्रास रेजिमेंटल सेंटर का संयुक्त बैंड, कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर, मराठा लाइट रेजिमेंटल सेंटर, जम्मू-कश्मीर लाइट रेजिमेंटल सेंटर, आर्मी मेडिकल कोर सेंटर और स्कूल, 14 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर, आर्मी सप्लाई कोर सेंटर और कॉलेज, बिहार रेजिमेंटल सेंटर और सेना आयुध वाहिनी केंद्र भी सलामी मंच के आगे मार्च पास्ट किया ।
मार्चिंग दस्तों का मूल विषय पिछले 75 वर्षों में भारतीय सेना की वर्दी और कार्मिकों के हथियारों के क्रमिक विकास का प्रदर्शन रहा ।
राजपूत रेजीमेंट की टुकड़ी 1947 की भारतीय सेना की वर्दी पहने हुए थी और उसके पास .303 राइफल थी। असम रेजिमेंट 1962 की अवधि के दौरान पहनी गई वर्दी में थी और उनके पास .303 राइफलें थीं। जम्मू-कश्मीर लाइट रेजिमेंट 1971 के दौरान पहनी जाने वाली वर्दी में और 7.62 मिमी सेल्फ लोडिंग राइफल के साथ थी। सिख लाइट रेजिमेंट और सेना आयुध कोर की टुकड़ी वर्तमान में 5.56 एमएम इंसास राइफल के साथ वर्दी में थी। पैराशूट रेजिमेंट की टुकड़ी ने भारतीय सेना की नई कॉम्बैट यूनिफॉर्म पहनी जिसका अनावरण 15 जनवरी, 2022 को किया गया था ।
नौसेना दल में लेफ्टिनेंट कमांडर आंचल शर्मा के नेतृत्व में 96 युवा नाविक और चार अधिकारी कंटिजेंट कमांडर के रूप में शामिल थे ।भारतीय वायु सेना की टुकड़ी में 96 वायुसैनिक और चार अधिकारी शामिल हैं और इसका नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर प्रशांत स्वामीनाथन ने किया । 
परेड में जहां सारी दुनिया में सबसे अधिक विविधता वाले देश भारत को एक सिरे में पिरोने वाली उसकी हर कोने की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाया । वहीं अत्याधुनिक हथियारों, मिसाइलों, विमानों और भारतीय सैनिकों के दस्तों ने देश के किसी भी चुनौती से निपट सकने की ताकत का अहसास कराया।
सलामी मंच पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मौजूदगी में राजपथ पर आज भारत की संस्कृति के रंगों से सराबोर राज्यों की झांकियों का प्रदर्शन किया गया । इसमें  अरुणाचल प्रदेश से एंग्लो-अबोर (आदि) युद्ध,
हरियाणा से हरियाणा: खेलों में नंबर 1, छत्तीसगढ से गोधन न्याय योजना: समृद्धि का एक नया मार्ग, गोवा से गोवा की विरासत के प्रतीक, गुजरात से गुजरात के आदिवासी क्रांतिकारी, जम्मू-कश्मीर सेजम्मू-कश्मीर का बदलता चेहरा, कर्नाटक से कर्नाटक: पारंपरिक हस्तशिल्प का उद्गम स्थल, महाराष्ट्र से महाराष्ट्र की जैव विविधता और राज्य के जैव-प्रतीक, मेघालय से मेघालय के राज्य के दर्जे के 50 साल और महिला नेतृत्व वाली सहकारी समितियों और एसएचजी को इसका योगदान, पंजाब से स्वतंत्रता संग्राम में पंजाब का योगदान, उत्तर प्रदेश से ओडीओपी और काशी विश्वनाथ धाम, उत्तराखंड से प्रगति की ओर बढ़ता उत्तराखंड विषय पर झांकियां प्रस्तुत की गई । 
परेड का सबसे उत्सुकता से फ्लाई पास्ट में पहली बार भारतीय वायु सेना के 75 विमानों / हेलीकॉप्टरों को प्रदर्शन को देखा गया ।  इसे  'आजादी का अमृत महोत्सव' के हिस्से के रूप में प्रदर्शित  किया गया था । इसमें
राफेल, सुखोई, जगुआर, एमआई-17, सारंग, अपाचे और डकोटा जैसे पुराने और वर्तमान आधुनिक विमान/हेलीकॉप्टर राहत, मेघना, एकलव्य, त्रिशूल, तिरंगा, विजय और अमृत सहित विभिन्न संरचनाओं को प्रदर्शित किया गया । परेड में बच्चों, कलाकारों, नर्तकियों ने शानदार प्रस्तुती दी । समारोह का समापन राष्ट्रगान और तिरंगे गुब्बारों के साथ हुआ ।







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