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Friday May 10, 2024
Aryavart Times

गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट ने सफलतापूर्वक भरी उड़ान

गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट ने सफलतापूर्वक भरी उड़ान

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के महत्वकांक्षी गगनयान मिशन (Gagnayaan Mission) के तहत पहले मानव रहित परीक्षण उड़ान में आई तकनीकी खामी को दुरुस्त करते हुए 10 बजे इसे सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया।

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने इस सफल लॉन्चिंग की जानकारी देते हुए कहा, ‘मुझे मिशन की सफल उपलब्धि की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है। इस मिशन का उद्देश्य एक परीक्षण वाहन के माध्यम से गगनयान कार्यक्रम के लिए चालक दल को ले जाने की प्रणाली का प्रदर्शन करना था।’’

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, इसे पहले इसरो शनिवार को सुबह 8 बजे ‘क्रू मॉड्यूल’ (जिसमें अंतरिक्ष यात्री सवार होंगे) और चालक बचाव प्रणाली से लैस रॉकेट को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के पहले प्रक्षेपण तल से रवाना करने वाला था। हालांकि फिर परीक्षण यान डी1 मिशन के तहत लॉन्च पैड से प्रक्षेपण के समय में बदलाव किया गया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिशन गगनयान टीवी डी1 परीक्षण उड़ान के सफल प्रक्षेपण की सराहना की है। उन्होंने कहा कि यह देश को भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को साकार करने की दिशा में एक कदम और करीब ले जाता है।

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने "गगनयान" लॉन्च से संबंधित संपूर्ण अभ्यास पूरा होने के तुरंत बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा कि आज सुबह अंतिम "गगनयान" लॉन्च से पहले क्रमिक परीक्षण उड़ान एबॉर्ट मिशन-1 (टीवी-डी1) की परीक्षण उड़ान की सफलता की प्रतीक है। उम्मीद के अनुरूप आज "गगनयान" क्रू मॉड्यूल (सीएम) के एक प्रारंभिक डिप्रेसुराइज्ड संस्करण को एकल इंजन रॉकेट के साथ लगभग 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाया गया और इसके बाद अंतिम रूप से नीचे उतरने के लिए पैराशूट का उपयोग किया गया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 द्वारा चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के दो महीने से भी कम समय के बाद, आज की उपलब्धि ने प्रणाली और प्रक्रियाओं के परीक्षणों की एक श्रृंखला के लिए मार्ग प्रशस्त किया है, जिसका लक्ष्य संभवतः वर्ष 2025 तक अंततः अंतरिक्ष में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को लॉन्च कर देना है।

ज्ञात हो कि मिशन गगनयान के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को धरती से 400 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में भेजा जाएगा जहां तीन दिनों तक अंतरिक्ष यात्री धरती की कक्षा के चक्कर लगाएंगे।

इसके बाद इन अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित धरती पर लैंड कराया जाएगा। गगनयान में अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने वाले कैप्सूल को बंगाल की खाड़ी में वापस लैंड किया जाएगा जहां भारतीय नौसेना इन्हें ढूंढकर सुरक्षित बचाएगी।

यह पूरी तकनीक स्वदेशी है और इसरो के साथ मिलकर भारत की तकनीकी कंपनियों ने इन्हें विकसित किया है। इसकी सफलता भविष्य में भारत की स्वदेशी स्पेस नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, रिमोट ड्राइविंग, रिमोट नेविगेशन जैसी स्वदेशी तकनीक में नई इंडस्ट्रीज के द्वार खुलेंगे।

शनिवार (21 अक्टूबर) को इस मिशन की पहली टेस्‍ट उड़ान के तहत क्रू मॉड्यूल को आउटर स्पेस तक भेजा गया है जिसे  वापस समुद्र में उतारा जाएगा। उड़ान के दौरान सिक्वेंसिंग, टेलिमेट्री, एनर्जी आदि पहलुओं की जांच होगी जो अंतरिक्ष में मानव भेजने की चुनौतियों को समझने में मददगार होंगे।

गगनयान में क्रू एस्केप सिस्टम एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रणाली है। यदि रॉकेट को कुछ भी होता है, तो रॉकेट के विस्फोट में जलने से पहले  कम से कम दो किमी दूर चालक दल को ले जाकर बचाना है. इसलिए यह परीक्षण क्रू मेंबर्स के एस्केप की प्रणाली को प्रदर्शित करने के लिए है। इसे ट्रांसोनिक स्थिति कहा जाता है।

गगनयान का क्रू मॉड्यूल इतना आधुनिक है कि इसमें कई तरह की खास सुविधाएं हैं. जैसे नेविगेशन सिस्टम, फूड हीटर, फूड स्टोरेज, हेल्थ सिस्टम और टॉयलेट आदि. यह अंतरिक्ष यात्रियों की सुविधा के लिए विकसित किए गए हैं।

अंतरिक्ष में मानव भेजने से पहले इसमें "व्योम मित्रा" नाम की महिला रोबोट को भेजा जाएगा जिसके शरीर पर एयर प्रेशर, हीट इफेक्ट और अन्य चुनौतियों को समझा जाएगा। उसके मुताबिक भारत के अंतरिक्ष यात्रियों को तैयार किया जाना है।







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