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Saturday May 11, 2024
Aryavart Times

ज्ञानवापी का मुद्दा इतिहास है, मिल बैठकर रास्ता निकालना चाहिए : मोहन भागवत

ज्ञानवापी का मुद्दा इतिहास है, मिल बैठकर रास्ता निकालना चाहिए : मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि ज्ञानवापी का मुद्दा इतिहास है, उसको हम बदल नहीं सकते, ऐसे में मिल बैठकर, सहमति से कोई रास्ता निकालना चाहिए और कोई रास्ता नहीं निकले तक कोर्ट का निर्णय मानना चाहिए। 
नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग : तृतीय वर्ष के अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि ज्ञानवापी का मुद्दा इतिहास है, उसको हम बदल नहीं सकते। वह ना तो आज के हिंदू कहलाने वालों ने बनाया है ना आज के मुसलमानों ने।
उन्होंने कहा कि इस्लाम बाहर से आया, आक्रमकों के साथ आया। अपनी स्वतंत्रता का प्रयास करने वालों का मनोबल गिराने के लिए हमारे देवस्थान तोड़े ।
सरसंघचालक ने कहा कि हज़ारों देवस्थानो को तोड़ा गया, लेकिन उनमें कुछ ऐसे हैं जिनमें हिंदू समाज की विशेष श्रद्धा है। हिंदू मुसलमान के विरुद्ध नहीं सोचता। आज के मुसलमानों के पूर्वज भी उस समय हिंदू ही थे।
उन्होंने कहा कि उन सबको स्वतंत्रता से चिर काल तक वंचित रखने के लिए, उनका मनोधैर्य दबाने के लिए यह किया गया, इसलिए हिंदू को लगता है कि इसका पुनरोद्धार होना चाहिए ।
भागवत ने कहा कि मुसलमानों को यह बिल्कुल नही मानना चाहिए कि यह उनके विरुद्ध है। अच्छी बात है, ऐसा सोच के, मिल-बैठ के और सहमति से कुछ रास्ता निकालना चाहिए। लेकिन हर बार रास्ता नहीं निकलता तो कोर्ट जाते हैं। फिर कोर्ट जो निर्णय दे, उसको मानना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के बारे में हमारी कुछ श्रद्धा है, हमारी परमपराएँ हैं, सब ठीक है। लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? यह बेशक बाहर से आयी है, लेकिन वह भी एक पूजा-पद्धति है, और जिन्होंने अपनायी है, उन सबके पूर्वज भी हमारे ऋषि-मुनि और क्षत्रिय ही हैं ।
संघ प्रमुख ने कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाना समय की आवश्यकता है। लेकिन उसके लिए भारत में सर्वत्र लोगों को भारत बनकर एक होना पड़ेगा। भारत का स्व किसी की पूजा के आड़े नही आता, वह किसी एक भाषा का समर्थन नही करता, सबको अपना मानता है । 
उन्होंने कहा कि सब प्रांतो और भाषाओं के मानने वाले लोग अपने हैं। एक ही भारतमाता के सब पुत्र हैं, सबके समान वंशज है, और यहीं स्व आधारित संस्कृति सबको मिली है। धर्म को खान-पान, पूजा-पद्धति, कर्म-कांडो से अलग करो तभी हमारा धर्म बचता है। बंधुभाव बचता है।
भागवत ने कहा कि रुस और यूक्रेन के युद्ध ने हमारे जैसे राष्ट्र के लिए सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियाँ बढ़ा दी हैं। हमको अपने प्रयासों को और दृढ़ करना पड़ेगा, अधिक शक्तिसम्पन्न होना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में भारत माता की जय करवानी है। लेकिन हमें किसी को जीतना नही है। संघ का कार्य किसी को जीतने के लिए नही, जोड़ने के लिए चलता है। भारतवर्ष भी अनादि काल से सबको जोड़ने के लिए जिया है।
संघ प्रमुख ने कहा कि करोना काल में हमारा संपर्क घटा नही, बल्कि बढ़ा। बाद में श्री रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए धन संग्रह करना पड़ा तो 4 करोड़ से अधिक गाँवो में हमारे स्वयंसेवक पहुँच गए। जिसके फलस्वरूप इस समय उपस्थित संख्या से दोगुनी वर्ग में आने के लिए तैयार थी ।







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