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Friday May 10, 2024
Aryavart Times

भूटान में तख्तापलट की साजिश का पर्दाफाश

भूटान में तख्तापलट की साजिश का पर्दाफाश

भूटान की पुलिस ने सेना के वरिष्ठ अधिकारी और दो अन्य जजों को हिरासत में ले लिया है. इनपर आरोप है कि इन्होंने देश के सेना प्रमुख और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पद से हटाने के लिए साजिश रची थी  हिरासत में लिए गए सभी लोगों से पूछताछ की जा रही है ।

भूटान के सरकारी अखबार कुएंसेल के अनुसार, भूटान पुलिस ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज कुएनले तर्शिंग को पूर्व सैन्य अधिकारी पूर्व रॉयल गार्ड कमांडर ब्रिगेडियर थिनले टोबेगी और येशी दोरजी (सहयोगी जज) के साथ हिरासत में ले लिया । बता दें भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस एसए बोबडे नवंबर 2019 को जब शपथ ले रहे थे तब जस्टिस तर्शिंग मौजूद थे । जस्टिस तर्शिंग ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई की थी ।

रिपोर्ट में कहा गया है, 'कथित आपराधिक साजिश का मामला तब सामने आया जब कुछ महीने पहले गिरफ्तार की गई एक महिला ने षड्यंत्रकारी रिश्ते के बारे में जानकारी दी । तीनों कथित तौर पर आरबीए के मुख्य परिचालन अधिकारी, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के अटॉर्नी जनरल या रजिस्ट्रार जनरल बनना चाहते थे ।

इन तीनों को ही थिंपू जिला कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है. साथ ही 27 फरवरी को मामले की पहली आधिकारिक सुनवाई तक कस्टडी में रखने का आदेश दिया है ।

भूटान के अखबार के अनुसार, बेशक ये टेंडर सार्वजनिक तौर पर हुआ था और उचित रूप से सही था लेकिन इन दस्तावेजों का इस्तेमाल सैन्य प्रमुख की स्थिति को कमजोर करने के लिए किया जाना था ।

हिमालयी देश भूटान भारत और चीन के मध्य अवस्थित है। विश्व में बड़े राष्ट्रों के पड़ोस में भूआबद्ध रूप से किसी देश का होना बहुत ही पेचीदगी पूर्ण स्थिति पैदा कर देता है। अपनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को अक्षुण्ण रखते हुए भारत के साथ सम्बन्ध प्रगाढ़ किये और चीन के साथ सम्बंधों को आगे बढ़ाने का मार्ग अपनाया। सीमित आर्थिक और सैन्य क्षमताओं के होते हुए भी भूटान का अनूठा राजनीतिक चरित्र कभी औपनिवेशिक प्रभाव में नहीं आया तथा साथ ही दो विश्व युद्धों और शीत युद्ध के प्रत्यक्ष प्रभाव से भी स्वयं को बचा कर रखा। तिब्बती संस्कृति, भाषा और इतिहास से गहरा संपर्क होने के कारण तथा वहीं चीन एवं तिब्बत के मध्य विवादित सम्बन्ध होने से इस क्षेत्र में भूटान का भू-सामरिक महत्व में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है। वहीँ दूसरी ओर भूटान भारत के सम्बन्ध सौहाद्रता तथा समझ पर विकसित हुए है जिसने भूटान में संसदीय लोकतंत्र को शुरुआत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

भूटान का प्राचीन इतिहास मिथकों के रूप में है। अनुमानतः भूटान की में २००० ईसापूर्व बस्तियाँ बसनीं शुरू हुईं। दन्थकाथाओं के अनुसार इस पर ७वीं शती ईसापूर्व में कूच बिहार के राजा का अधिकार था। किन्तु ९वीं शताब्दीं में यहाँ बौद्ध धर्म आने के पूर्व का इतिहास अधिकांशतः अज्ञात ही है। इस काल में तिब्बत में अशान्ति होने के कारण बहुत से बौद्ध भिक्षु यहाँ आ गये।

१२वीं शताब्दी में स्थापित ड्रुक्पा कग्युपा सम्प्रदाय आज भी यहाँ का प्रमुख सम्प्रदाय है। इस देश का राजनीतिक इतिहास इसके धार्मिक इतिहास से निकट सम्बन्ध रखता है।

सत्रहवीं सदी के अंत में भूटान ने बौद्ध धर्म को अंगीकार किया। 1865 मे ब्रिटेन और भूटान के बीच सिनचुलु संधि पर हस्ताक्षर हुआ, जिसके तहत भूटान को सीमावर्ती कुछ भूभाग के बदले कुछ वार्षिक अनुदान के करार किए गए। ब्रिटिश प्रभाव के तहत 1907 में वहाँ राजशाही की स्थापना हुई। तीन साल बाद एक और समझौता हुआ, जिसके तहत ब्रिटिश इस बात पर राजी हुए कि वे भूटान के आंतरिक मामलों में हस्त्क्षेप नहीं करेंगे लेकिन भूटान की विदेश नीति इंग्लैंड द्वारा तय की जाएगी। बाद में 1947 के पश्चात यही भूमिका भारत को मिली। दो साल बाद 1949 में भारत भूटान समझौते के तहत भारत ने भूटान की वो सारी जमीन उसे लौटा दी जो अंग्रेजों के अधीन थी। इस समझौते के तहत भारत का भूटान की विदेश नीति एवं रक्षा नीति में काफी महत्वपूर्ण भूमिका दी गई।







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