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Friday May 10, 2024
Aryavart Times

आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच कश्मीर जैसा ही है नगोर्नो-कार्बाख

आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच कश्मीर जैसा ही है नगोर्नो-कार्बाख

क्या आप जानते हैं कि जिस प्रकार से कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान में हमेशा तनावपूर्ण संबंध रहते हैं, उसी प्रकार से आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच नगोर्नो-कार्बाख (Nagorno-Karabakh)को लेकर बेहद तानावपूर्ण रिश्ते है। पिछले दिनों आर्मेनिया और अजरबैजान के सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई जिससे दोनों पक्षों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा।  

इन दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं और आलम ये है कि अगर कोई टूरिस्ट भी इनमें से एक देश हो आता है तो वो उससे सीधे दूसरे देश नहीं जा सकता है । यह स्थिति आर्मेनिया और अजरबैजान की । इन दोनों देशों के बीच समस्यस नगोर्नो-कार्बाख है जिसे अब Republic of Artsakh के नाम से भी जाना जाता है. पर ये अंतरराष्ट्रीय नजर में आजाद हिस्सा नहीं है और अजरबैजान का हिस्सा है।

अगर आप आर्मेनिया गए है तब अजरबैजान जाने के लिये आपको जॉर्जिया के रास्ते जाना होगा क्योंकि सीधे तौर पर न ही सड़क न ही प्लेन आपको एक देश से दूसरे देश पहुंचाएगा ।

यहां तक कि अगर कोई टूरिस्ट पहले कभी Nagorno-Karabakh हिस्से में गया है और उसके पासपोर्ट में इसका स्टैम्प लगा हुआ है तो भी अजरबैजान में दाखिल नहीं हुआ जा सकता. सोशल मीडिया पर न जाने कितने ही ऐसे किस्से सामने आ जाएंगे जहां लोग आर्मेनिया और अजरबैजान दोनों देशों में जाने की कोशिश में रहे

 ये दुश्मनी कश्मीर जैसी ही है. बस यहां नाम है नगोर्नो कारबाख । आर्मीनिया और अजरबैजान 1918 से 1921 के बीच में आज़ाद थे. आजादी के वक्त भी इन दोनों देशों में कोई खास दोस्ती नहीं थी, लेकिन इतनी दुश्मनी भी नहीं थी ।

आसपास के तीन देश आर्मेनिया, जॉर्जिया और अजरबैजान के नाम से जाने जाते थे । इसके बाद 1922 से 1991 तक ये सोवियत यूनियन का हिस्सा बन गए । जब ये सोवियत यूनियन का हिस्सा थे तब जोसफ स्टालिन ने अजरबैजान के बीच में एक छोटा आर्मीनिया बना दिया । ये हिस्सा था नागोर्नो कारबाख.

ये थी आर्मीनिया और अजरबैजान के झगड़े की शुरुआत । यह ठीक वैसे ही था जैसे हिंदुस्तान पाकिस्तान के टुकड़े ब्रिटेन ने किए थे ।

1990 के दशक की शुरुआत में सोवियत यूनियन के खात्मे के समय नगोर्नो कारबाख के लोगों ने खुद को रिपब्लिक घोषित कर दिया. पर ये सिर्फ उनके द्वारा माना गया था और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें अजरबैजान का हिस्सा माना जाता है.

दोनों देशों की तरफ से सीजफायर का उलंघन कई बार किया जा चुका है. 2016 में तो यहां पूरी तरह से युद्ध के हालात बन गए थे ।







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