नयी दिल्ली, 3 मार्च : उत्तर प्रदेश की जनता, ख़ास तौर पर किसान इन दिनों आवारा पशुओं से परेशान है, वहीं गन्ना किसानों के भुगतान का विषय भी किसानों की परेशानी का सबब बना हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनाव में दोनों मुद्दे उत्तरप्रदेश में प्रमुखता से उठेंगे जहां लोकसभा की 80 सीटें हैं ।
साल 2017 में राज्य में बनी भाजपा सरकार ने गौवध पर प्रतिबंध लगाया हुआ है और इसके बाद आवारा छोड़े गए अनुपयोगी गौवंश की तादाद पूरे राज्य में तेजी से बढ़े हैं और किसानों की खड़ी फसलों को नुकसान हो रहा है ।
उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस बारे में पूछे जारे पर कहा , ‘‘ हम न किसानों की फसलों का नुकसान होने देंगे और न ही गौवंश की गर्दन पर छुरी चलने देंगे । ’’
उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की योगी सरकार की प्राथमिकता कृषि और किसान है । उत्तरप्रदेश के बजट में हमने आवारा पशुओं के बारे में प्रावधान किया है। फसल नुकसान रोकने के साथ न्याय पंचायत स्तर पर प्रावधान किये जा रहे हैं । पशुओं के लिये अभयारण्य बनाने का अभियान शुरू किया गया है जहां ऐसे पशुओं के रहने के साथ खाना एवं सेवा की सारी व्यवस्था हो ।
किसानों के समक्ष आवारा पशुओं की समस्या को लेकर दो प्रमुख पहलू सामने आते हैं... पहला कि अनुपयोगी पशुओं का क्या किया जाए? और दूसरा कि ऐसे पशुओं से होने वाले नुकसान से कैसे बचा जाए?
गाजीपुर के बहुरा गांव के मेवालाल ने कहा, ‘‘पहले हम अनुपयोगी पशुओं को पांच-छह हजार रुपए में बेच देते थे. मगर अब चूंकि पशुवध को लेकर बेहद सख़्ती बरती जा रही है. इसलिए कोई अब ऐसे पशुओं को ख़रीदता नहीं. मज़बूरन हमें उन्हें सड़क पर छोड़ना पड़ता है ।’’
हाथरस के मुहब्बतपुर गांव के प्रेमपाल सिंह ने कहा कि हमारे गांव में लगभग 600 बीघा खेती की ज़मीन है. इस पर हम गेहूं उगाने की कोशिश कर रहे हैं. रात-रात भर जागकर हम खेतों की रखवाली करते हैं. इसके बावज़ूद हमारी आधी से ज़्यादा फ़सल आवारा पशु चौपट कर चुके हैं. अब ऐसे में हम क्या करें ।
उत्तरप्रदेश में गन्ना किसानों का भुगतान का विषय भी एक प्रमुख मुद्दा है । इसका असर कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को देखने को मिला था जहां उसे पराजय का सामना करना पड़ा था ।
राज्य के किसानों की शिकायत है कि चीनी मिलें सरकार से रियायत मिलने की आस में जान-बूझकर गन्ने के पेराई सत्र में देर करते हैं ताकि किसान परेशान हों और मिल मालिकों को अप्रत्यक्ष रूप से सरकार पर दबाव बनाने का मौका मिल जाए ।
भारतीय किसान यूनियन के शिव नारायण सिंह परिहार कहते हैं कि मजदूरी बढ़ गई लेकिन गन्ना किसान को कोई राहत नहीं है । एक वर्ष के भीतर लागत में भारी बढ़ोतरी होने के बावजूद गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य में उपयुक्त बढ़ोतरी न होने से भी किसान निराश हैं ।
इस बारे में पूछे जाने पर उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है, तब से किसानों खास तौर पर गन्ना किसानों की समस्या पर विशेष ध्यान दिया है । सरकार ने उनके गन्ने के बकाया भुगतान की पक्की गारंटी सुनिश्चित की है। इसके बाद भी अगर कोई समस्या है तो उसे प्राथमिकता के आधार पर दूर की जायेगी ।
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