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Friday May 10, 2024
Aryavart Times

महान अंग्रेजी साहित्यकार जार्ज ऑरवेल की मोतिहारी स्थित जन्मस्थली उपेक्षा का शिकार

महान अंग्रेजी साहित्यकार जार्ज ऑरवेल की मोतिहारी स्थित जन्मस्थली उपेक्षा का शिकार

अंग्रेजी साहित्यकार जॉर्ज ऑरवेल को कौन साहित्यप्रेमी नहीं जानता है लेकिन शायह कम ही लोगों को पता होगा कि उनका जन्म बिहार के मोतिहारी में हुआ था । लेकिन आज इस महान साहित्यकार की की मोतिहारी में स्थित जन्मस्थली को उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है । उनकी स्मृतियों को सहेजने के लिये संग्रहालय बनाने की योजना अब तक मूर्त रूप नहीं ले सकी है ।

मोतिहारी रोटरी क्लब लेक टाउन के सदस्य एवं ऑरवेल स्मारक समिति के अध्यक्ष देवप्रिय मुखर्जी ने बताया 'वर्ष 2000 में जब जॉर्ज ऑरवेल को मिलेनियम साहित्यकार घोषित किया गया तो कई रचनाकार और बुद्धिजीवी उनकी जन्मस्थली को देखने मोतिहारी पहुंचे । जॉर्ज ऑरवेल की जन्मस्थली को अब ऑरवेल हाउस के नाम से जाना जाता है ।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2012 में मोतिहारी दौरे में जॉर्ज ऑरवेल की जन्मस्थली के जीर्णोद्धार के साथ ही इसे पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का आश्वासन दिया था । 

मुखर्जी ने बताया कि 2014-15 में सरकार ने ऑरवेल के जन्म स्थान की मरम्मत एवं नवीनीकरण का कार्य कराया था, किंतु इसकी सुरक्षा के लिए तैनात गार्ड वेतन न मिलने की वजह से काम छोड़ कर चले गए । इसके ठीक बगल में ही चंपारण मिलेनियम पार्क बनाया गया है जिसमें समस्त सुविधाएं दी गई हैं लेकिन ऑरवेल हाऊस को उसका उचित हक नहीं मिल सका है । 

वृतचित्र निर्माता विश्वजीत बताते हैं 'कुछ महीने पहले ऑरवेल हाऊस में चोरी हो गई. इसके आस-पास शाम ढलते ही असामाजिक तत्व मंडराने लगते हैं ।

रोटरी क्लब लेक टाउन के प्रयासों से यहां पर ऑरवेल की एक आवक्ष प्रतिमा और शिलालेख स्थापित किए गए हैं ।

मुखर्जी ने बताया कि ऑरवेल हाऊस को संग्रहालय के रूप में तब्दील करने की योजना अभी तक मूर्त रूप नहीं ले सकी है ।

बिहार में पुरातत्व महानिदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि ऑरवेल हाऊस को बिहार प्राचीन स्मारक एवं पुरातात्विक स्थल अवशेष एवं कला खजाना अधिनियम 1976 के तहत संरक्षित स्थल घोषित किया गया है ।

अंग्रेजी साहित्य का प्रेमचंद कहलाने वाले जॉर्ज ऑरवेल का जन्म 25 जून 1903 में हुआ. उनके पिता रिचर्ड डब्ल्यू ब्लेयर बतौर अधिकारी यहां तैनात थे. ऑरवेल करीब एक साल के थे तब उनकी मां उन्हें लेकर इंग्लैंड चली गई थीं. ऑरवेल की मृत्‍यु 21 जनवरी 1950 में लंदन में हुई थी.

ऑरवेल की जन्मस्थली का तब पता तब चला जब 1983 में अंग्रेज पत्रकार इयान जैक उनकी जन्मस्थली की खोज में मोतिहारी पहुंचे ।

ऑरवेल के उपन्‍यास हाल के वर्षों में बेस्ट सेलर की श्रेणी में आ गए. उनके वर्ष 1948 में लिखे उपन्यास '1984' और 'एनिमल फॉर्म' पाठकों के बीच बेहद लोकप्रिय थे. ऑरवेल के उपन्यास '1984' पर फिल्म भी बन चुकी है ।







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