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Thursday May 09, 2024
Aryavart Times

तालिबान की अंतरिम सरकार में कोई महिला नहीं, वादा नहीं किया पूरा

तालिबान की अंतरिम सरकार में कोई महिला नहीं, वादा नहीं किया पूरा

तालिबान (Taliban) ने अपनी नई अंतरिम सरकार में महिलाओं को शामिल नहीं किया है हालांकि उसने ऐसा करने का वादा किया था। तालिबान की अंतरिम सरकार में अभी कुछ पद भरे जाने बाकी हैं ।

अफ़ग़ानिस्तान को इस्लामिक अमीरात भी घोषित कर दिया गया है. अंतरिम कैबिनेट में कुल 33 लोगों को रखा गया है. इसमें एक भी महिला नहीं है। तालिबान की अंतरिम सरकार में पश्तूनों का बोलबाला है। तालिबान ने कहा है कि स्थायी व्यवस्था होने तक यही लोग कार्यवाहक सरकार चलाएंगे।

तालिबान ने मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद कोअफगानिस्तान में नयी कार्यवाहक सरकार के प्रमुख रूप में नामित किया है। 

मीडिया में आई खबरों के अनुसार, दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के अध्यक्ष मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और मुल्ला अब्दुस सलाम तालिबान की नयी सरकार में मुल्ला हसन के उप प्रमुख के रूप में काम करेंगे ।

इसके अलावा गृह मंत्री के रूप में सिराजुद्दीन हक्कानी, रक्षा मंत्री के पद पर मोहम्मद याकूब मुजाहिद, वित्त मंत्री के पद पर मुल्ला हिदायतुल्ला बदरी तथा विदेश मंत्री के पद पर मौलवी आमिर खान मुतक्की को नामित करने की खबरें आई हैं।

इसमें शेख मौलवी नूरुल्ला मुनीर को शिक्षा मंत्री, खलीलउर्रहमान हक्कनी को शरणार्थी मामलों के मंत्री, शेर मोहम्मद स्टेनेकजई को उप विदेश मंत्री तथा संस्कृति मंत्रालय के डिप्टी मंत्री का पद जबीउल्लाह मुजाहिद को दिये जाने की बात कही गई है।

कारी फसीहउद्दीन को रक्षा मंत्रालय में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, मुल्ला फजल अखुंद को सेना प्रमुख, मुल्ला ताज मीर जवाद डिप्टी चीफ ऑफ इंटेलिजेंस तथा मुल्ला अब्दुल हक वासिकको नेशनल डायरेक्टोरेट ऑफ सिक्यूरिटी (NDS)के प्रमुख के रूप में नामित किया गया है।

मुल्ला हसन तालिबान के शुरुआती स्थल कंधार से ताल्लुक रखते हैं और सशस्त्र आंदोलन के संस्थापकों में से हैं। उन्होंने ‘रहबरी शूरा’ के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया और मुल्ला हेबतुल्लाह के करीब माने जाते हैं। उन्होंने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की पिछली सरकार के दौरान विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था।

हालांकि नयी कार्यवाहक सरकार में मंत्रियों के नाम सामने आने के साथ ही विरोध भी शुरू हो गया है। एक बड़े वर्ग का मानना है कि इस नये मंत्रिमंडल में पाकिस्तान का दबाव का प्रभाव है। काबुल तथा कई क्षेत्रों में लोगों ने सड़कों पर आकर पाकिस्तान का विरोध किया । 

इसके कारण कई स्थानों पर तालिबान के लड़ाकों द्वारा गोलियां चलाये जाने की खबरें भी सामने आई हैं । 







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