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Friday May 10, 2024
Aryavart Times

सार्स कोव की चपेट मे अधिकांश बिना लक्षण वाले बच्चे, 1-2% को ही अस्पताल में भर्ती होना पड़ा

सार्स कोव की चपेट मे अधिकांश बिना लक्षण वाले बच्चे, 1-2% को ही अस्पताल में भर्ती होना पड़ा

कोविड -19 ने अब तक कर्नाटक को छोड़कर भारत में बच्चों को ज्यादा प्रभावित नहीं किया है और बच्चों में कोविड-19 का अभी भी मध्यम असर है लेकिन सावधानी बरतना काफी जरूरी है। विशेषज्ञों ने यह बात कही ।

उनका कहना है कि भले ही बच्चे सार्स-कोव-2 वायरस की चपेट में हैं, फिर भी उनमें से अधिकांश बिना लक्षण वाले हैं और मात्र 1-2% को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।

एसबीएमसीएच, चेन्नई के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर और आईएपी केईबी सदस्य प्रो. आर. सोमशेखर ने माता-पिता को वयस्कों से संक्रमण के संचरण की संभावना और इन दिनों बच्चों में बढ़ते जठरांत्र संबंधी लक्षणों के बारे में आगाह किया। 

प्रो. आर. सोमशेखर ने कहा कि कोविड -19 ने अब तक कर्नाटक को छोड़कर भारत में बच्चों को ज्यादा प्रभावित नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि बच्चों में कोविड-19 का अभी भी मध्यम असर है, भले ही बच्चे सार्स-कोव-2 वायरस की चपेट में हैं, फिर भी उनमें से अधिकांश बिना लक्षण वाले हैं और मात्र 1-2% को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।

उन्होंने हमारे दैनिक जीवन में अपनाए जाने लायक कुछ उपायों के बारे में सुझाव दिया: शारीरिक व्यायाम, बच्चों के साथ खेलना, स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों से बचना, अच्छी नींद, मास्क पहनना, संतुलित आहार और उम्र के अनुसार टीकाकरण। सबसे महत्वपूर्ण बात के रूप में, उन्होंने लक्षणों और बच्चे के व्यवहार में बदलाव पर कड़ी नजर रखने की सलाह दी।

केवीएस की अतिरिक्त आयुक्त (अकादमिक) डॉ. वी. विजयलक्ष्मी ने कहा कि ‘जिज्ञासा’ छात्रों के लिए एक सपने के सच होने जैसा है क्योंकि यह वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने और उनके काम को करीब से देखने का एक मंच प्रदान करता है। यह संबंध उनके संस्थान के लिए काफी सफल रहा है क्योंकि इसके जरिए पूरे साल चलने वाली विभिन्न प्रकार की संलग्नता को लेकर छात्र उत्साहित हैं।

विजयलक्ष्मी ने कहा कि अभूतपूर्व कोविड-19 महामारी ने हमारे जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। इसने सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक जीवन और बच्चों के मानस को निष्क्रिय रूप से प्रभावित किया है। इसकी वजह से उन्हें पढ़ाई के अलावा खेलने के अधिकार से वंचित होना पड़ा है, भले ही वह उनके साथियों के साथ ही क्यों न हो।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक डॉ. रंजना अग्रवाल ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में ‘जिज्ञासा’,जो कि वर्ष 2017 के मध्य में शुरू हुई छात्रों-वैज्ञानिकों को जोड़ने की पहल है और जिसका उद्देश्य स्कूली छात्रों में 'वैज्ञानिक चेतना' पैदा करना है। 







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