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Thursday May 09, 2024
Aryavart Times

कोविड-19 का भारत में फैला स्वरूप 44 देशों में भी पाया गया

कोविड-19 का भारत में फैला स्वरूप 44 देशों में भी पाया गया

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि भारत में पिछले साल पहली बार सामने आया कोरोना वायरस का बी.1.617 स्वरूप 44 देशों में पाया गया है और यह ‘स्वरूप चिंताजनक’ है।

संयुक्त राष्ट्र की यह संस्था आए दिन इसका आकलन करती है क्या सार्स सीओवी-2 के स्वरूपों में संक्रमण फैलाने और गंभीरता के लिहाज से बदलाव आए हैं या राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकारियों द्वारा लागू जन स्वास्थ्य और सामाजिक कदमों में बदलाव की आवश्यकता है।

डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को प्रकाशित साप्ताहिक महामारी विज्ञान विज्ञप्ति में बी.1.617 को चिंताजनक स्वरूप (वीओए) बताया।

चिंताजनक स्वरूप वे होते हैं जिन्हें वायरस के मूल रूप से कहीं अधिक खतरनाक माना जाता है। कोरोना वायरस का मूल स्वरूप पहली बार 2019 के अंतिम महीनों में चीन में देखा गया था।

किसी भी स्वरूप से पैदा होने वाले खतरे में संक्रमण फैलने की अधिक आशंका, ज्यादा घातकता और टीकों से अधिक प्रतिरोध होता है।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि बी.1.617 में संक्रमण फैलने की दर अधिक है।

उसने कहा, ‘‘प्रारंभिक सबूत से पता चला है कि इस स्वरूप में कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ‘बामलैनिविमैब’ की प्रभाव-क्षमता घट जाती है।’’

वहीं, विभिन्न मीडिया में ऐसे समाचार आए हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बी.1.617 को एक वैश्विक चिंता वाले वैरिएंट के रूप में वर्गीकृत किया है। इनमें से कुछ रिपोर्ट में बी.1.617 वैरिएंट का उल्लेख कोरोना वायरस के “भारतीय वैरिएंट” के रूप में किया है।

इसमें कहा गया है कि ये मीडिया रिपोर्ट्स निराधार और बेबुनियाद हैं।

मंत्रालय ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि डब्ल्यूएचओ ने अपने 32 पृष्ठ के दस्तावेज में कोरोना वायरस के बी.1.617 वैरिएंट के साथ “भारतीय वैरिएंट” शब्द नहीं जोड़ा है।

वास्तव में, इस मामले से जुड़ी रिपोर्ट में “भारतीय” शब्द का ही उपयोग नहीं किया गया है। 







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