बिहार विधानसभा के लिये आसन्न चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक दलों के बीच सीटों के तालमेल की राह आसान नहीं होगी और 2010 की स्थिति बरकरार रखने के लिए भाजपा-जदयू दोनों को अपनी वर्तमान सीट छोड़नी होगी । जदयू-भाजपा के बीच कई परंपरागत सीट सहित करीब तीन दर्जन सीटों पर भी पेंच फंसने के आसार हैं ।
ये सीटें दोनों के ही पास गठबंधन के शुरुआत से थीं लेकिन 2015 में राजद-जदयू की दोस्ती के कारण दलगत स्थिति परिवर्तित हो गई थी । वहीं, एक और घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी के रूख को लेकर भी परेशानी पेश आ सकती है ।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने ‘‘आर्यावर्त टाइम्स’’को बताया, ‘‘ चुनाव के समय सीटों को लेकर बातचीत चलती रहती है और हम सभी मुद्दों को सुलझा लेंगे । राजग एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी । ’’
बहरहाल, भाजपा और जदयू के समक्ष लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर द्वंद्व की स्थिति है । लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की जदयू से तल्खी भी छुपी नहीं है । वे कई बार राज्य सरकार की आलोचना कर चुके हैं । समझा जाता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कई मुद्दों पर नोटिस नहीं लिए जाने से भी चिराग नाराज हैं ।
यही वजह है कि अपने तल्ख तेवर का एकबार फिर संदेश देने के लिए उन्होंने राजग को अटूट बताने पर मुंगेर जिले के पार्टी अध्यक्ष राघवेंद्र भारती को पद से हटा दिया था ।
विश्लेषकों का मानना है कि जदयू और भाजपा के बीच नई परेशानी उन सीटों को लेकर हो सकती है जिन्हें दोनों दल अपनी परंपरागत सीट मानते हैं और जहां 2015 में दलगत प्रतिनिधित्व बदल गया था ।
इन दोनों दलों के बीच बगहा, नौतन, कल्याणपुर, पीपरा, मधुबन, बोचहां, बैकुंठपुर, अमनौर, बिहारशरीफ, बाढ, दीघा, वारलीसगंज,झाझा, बेनीपुर, जीरादेई, महनार, राजगीर जैसी सीटों पर पेंच फंसने के आसार हैं ।
वहीं, 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ऐसी 24 सीटे जीती थी जिसपर जदयू दूसरे नंबर पर रही । इसी तरह से जदयू की जीत वाली 25 सीटों पर भाजपा दूसरे नंबर पर रही ।
सूत्रों के अनुसार, इस स्थिति से निपटने के लिये ‘‘ सिटिंग सेकेंड’ के फार्मूले पर विचार किया जा सकता है ।
बहरहाल, राजग में सीटों को बंटवारे को लेकर एक फार्मूला ऐसा आया है जिसमें भाजपा सौ सीटों पर, लोजपा तीस सीटों पर और बाकी बची 113 सीटों पर जदयू चुनाव लड़े।
समझा जाता है कि इसी महीने भाजपा, जदयू, लोजपा के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत हो सकती है।
हाल ही में भाजपा के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी । इस दौरान उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी और प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल भी मौजूद थे।
वहीं, रामविलास पासवान की लोजपा ने 2015 में विधानसभा की 243 सीटों में से 42 पर चुनाव लड़ा था और आगामी चुनाव में इसी तरह की साझेदारी चाहती है । लोजपा ने तब दो सीटों पर ही जीत दर्ज की थी । पार्टी ने हाल ही में विधानसभा चुनाव के लिये 90 से अधिक सीटों पर दावा ठोका है ।
दूसरी ओर, जद(यू) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “लोजपा बिहार में अपनी ताकत को ज्यादा आंक रही है और चिराग पासवान ज्यादा महत्वकांक्षा दर्शा रहे हैं।’’
Start the Discussion Now...