प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलिदिमीर जेलेंस्की से बातचीत की और यूक्रेन में फंसे भारतीयों की स्थिति पर गहरी चिंता
व्यक्त की, साथ ही रूसी राष्ट्रपति को सुझाव दिया कि राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के बीच सीधी बातचीत से शांति की दिशा में चल रहे प्रयासों में काफी मदद मिल सकती है।
यूक्रेन के खिलाफ रूस के सैन्य अभियान शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच यह तीसरी बातचीत है। मोदी और पुतिन के बीच करीब
50 मिनट बातचीत हुई ।
प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ फोन पर बात की।दोनों नेताओं ने यूक्रेन में उभरती
परिस्थितियों पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने सूमी में अभी भी बाकी बचे भारतीय छात्रों की सुरक्षा को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री को भारतीय छात्रों सहित नागरिकों को निकालने
की सुविधा प्रदान करने के लिए वर्तमान में जारी मानवीय गलियारों से संबंधित उपायों के बारे में जानकारी दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रही वार्ता का स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि इससे संघर्ष समाप्त हो जाएगा। उन्होंने सुझाव दिया कि राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की
के बीच सीधी बातचीत से शांति की दिशा में चल रहे प्रयासों में काफी मदद मिल सकती है।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन के महामहिम राष्ट्रपति वोलिदिमीर जेलेंस्की के साथ बात की। राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने प्रधानमंत्री को संघर्ष की स्थिति और यूक्रेन तथा रूस के बीच चल रही बातचीत
के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने संघर्ष जारी रहने और इसके परिणामस्वरुप पैदा हुए मानवीय संकट के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की। हिंसा को तत्काल समाप्त करने के अपने आह्वान को दोहराया और
कहा कि भारत हमेशा से मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान और दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत का समर्थन करता रहा है।
प्रधानमंत्री ने यूक्रेन से 20000 से अधिक भारतीय नागरिकों को निकालने में सुविधा प्रदान करने के लिए यूक्रेनी अधिकारियों को धन्यवाद दिया।
उन्होंने अभी भी यूक्रेन में रह रहे भारतीय छात्रों की सुरक्षा और संरक्षा के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की और उनकी त्वरित एवं और सुरक्षित निकासी की आवश्यकता पर बल दिया।
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