कृषि उपज एवं कीमत आश्वासन संबंधी विधेयकों को लेकर लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच काफी आरोप प्रत्यारोप हुए । कांग्रेस सहित विपक्ष दलों ने इन विधेयकों को किसान विरोधी और कारपोरेट समर्थक बताया । वहीं सरकार ने विधेयकों को ‘परिवर्तनकारी’ बताते हुए आश्वासन दिया कि किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का तंत्र जारी रहेगा और इसके कारण किसान अपना उत्पाद कहीं भी बेचने को स्वतंत्र होगा ।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि उपज एवं कीमत आश्वासन संबंधी विधेयकों को ‘परिवर्तनकारी’ बताते हुए कहा किकिसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का तंत्र जारी रहेगा और इन विधेयकों के कारण तंत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। तोमर ने कहा कि यह किसानों को बांधने वाला विधेयक नहीं बल्कि किसानों को स्वतंत्रता देने वाला विधेयक है। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना सुनिश्चित होगा और उन्हें निजी निवेश एवं प्रौद्योगिकी भी सुलभ हो सकेगी।
कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल विधेयक का विरोध कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक शिरोमणि अकाली दल ने भी इन विधेयकों का पुरजोर विरोध किया। अकाली दल के नेता सुखवीर बादल ने लोकसभा में घोषणा की कि उनकी पार्टी की मंत्री हरसिमरत कौर बादल मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगी। इसके बाद हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट किया कि उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। इन विधेयकों पर कई विपक्षी दलों का तर्क है कि यह एमएसपी प्रणाली द्वारा किसानों को प्रदान किए गए सुरक्षा कवच को कमजोर कर देगा और बड़ी कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण की स्थिति को जन्म देगा। मंत्री के जवाब के बाद असंतोष जताते हुए कांग्रेस, द्रमुक और आरएसपी समेत कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
तोमर ने लोकसभा में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ‘‘कोई भी व्यापारी अमानत में खयानत नहीं कर पायेगा। इसमें किसानों को तीन दिन में भुगतान की गारंटी देने की बात है। इन प्रस्तावित कानूनों में सभी तरह की सुरक्षा का प्रावधन किया गया है।’’
उन्होंने विपक्षी दलों से कहा, ‘‘ इन विधेयकों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखें और गंभीरतापूर्वक विचार करने के बाद इनका समर्थन करें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ राजनीति का चश्मा उतारकर किसान का चश्मा लगा लें, तब इसमें किसान का हित दिखेगा।’’ कृषि मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने कुछ विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकृत करते हुए कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
इससे पहले, तोमर ने कहा, ‘‘ ये विधेयक आने वाले समय में किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने वाले हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि के क्षेत्र में कई योजनाओं का सृजन हुआ है। उनका लाभ भी कृषि क्षेत्र को मिल रहा है।’’
विधेयकों पर कांग्रेस के विरोध का जिक्र करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब दिल्ली में एक सम्मेलन में कहा गया था कि एक साझा एकल बाजार होना चाहिए और इस संबंध में ‘एक राष्ट्र, एक बाजार’ का विचार उद्धृत किया गया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया था कि कृषि उपज मंडी संबंधी अधिनियम में संशोधन किया जायेगा।
मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रहते हुए गांव, गरीब और किसानों का ना तो कभी अहित हुआ है और ना कभी होगा। उनके नेतृत्व में किसान के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले ये विधेयक लाये गये हैं।
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