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Friday May 10, 2024
Aryavart Times

लॉकडाउन में युवा मजदूरों का सहारा बना मनरेगा

लॉकडाउन में युवा मजदूरों का सहारा बना मनरेगा

कोविड-19 के कारण उत्पन्न परिस्थिति के मद्देनजर ज्यादा संख्या में युवा मनरेगा कार्यस्थल का रूख कर रहे हैं जबकि लॉकडाउन की बंदिशों के कारण 60 वर्ष से अधिक आयु के मजदूरों की उपस्थिति में काफी गिरावट आई है। 

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की वेबसाइट पर जून 2020 तक के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 में मनरेगा कार्यो के लिये पंजीकृत कुल श्रमिकों में 18 से 30 वर्ष के युवाओं का अनुपात 6.78 प्रतिशत था जबकि मनरेगा का काम करने वाले कुल मजदूरों में उनका अनुपात 9.77 प्रतिशत दर्ज किया गया । इस प्रकार से ज्यादा संख्या में युवाओं ने रोजगार के लिये मनरेगा का सहारा लिया । 

चालू वित्त वर्ष में ही मनरेगा कार्यो के लिये पंजीकृत श्रमिकों में 31 से 40 वर्ष के लोगों का अनुपात 32.68 प्रतिशत था जबकि काम करने वाले कुछ मजदूरों में उनका अनुपात 31.13 प्रतितशत दर्ज किया गया । इस आयु वर्ग में पंजीकरण कराने वालों की संख्या 12.70 करोड़ थी जबकि काम करने वालों में उनकी संख्या 1.19 करोड़ थी । 

लॉकडाउन के कारण 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन लागू है । लॉकडाउन के बाद के चरण में मनरेगा के तहत काम करने की छूट दी गई थी हालांकि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिये कुछ बंदिशें लगाई गई थी । ऐसे में मनरेगा कार्य स्थल पर 60 वर्ष से अधिक आयु के मजदूरों की उपस्थिति में काफी गिरावट दर्ज की गई । 

वित्त वर्ष 2020-21 में मनरेगा कार्यो के लिये पंजीकृत कुल श्रमिकों में 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगो का अनुपात 1.37 प्रतिशत था जबकि मनरेगा का काम करने वाले कुल मजदूरों में उनका अनुपात 0.34 प्रतिशत दर्ज किया गया। इसी प्रकार, मनरेगा कार्यो के लिये पंजीकृत श्रमिकों में 61 से 80 आयु वर्ग के श्रमिकों का अनुपात 12.78 प्रतिशत था जबकि मनरेगा का काम करने वाले कुल मजदूरों में उनका अनुपात 9.39 प्रतिशत रहा । 

किसान मजदूर शक्ति संगठन के संस्थापक सदस्य निखिल डे ने कहा कि  शहरों में कोरोना संक्रमण के चलते पिछले समय में ज्यादातर उद्योग-कारोबार बंद रहे हैं, ऐसे में काफी संख्या में प्रवासी मजदूरों का गांव की ओर पलायन हुआ । ये श्रमिक जो अभी तक अपनी जीविका के लिए सरकार पर निर्भर नहीं थे, अब उनकी ओर बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं ।

उन्होंने कहा कि ऐसे में बेरोजगारी की स्थिति गंभीर हुई है । इस परिस्थिति में मनरेगा को गरीब तबका उम्मीद की नजरों से देख रहा है। इससे श्रमिकों को पहले की तरह मजदूरी तो नहीं मिलेगी, लेकिन मनरेगा के तहत इतना पैसा मिल जाएगा कि जिंदगी का गुजर बसर हो सकता है । 

मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों के उम्र से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तब 2019-20 में मनरेगा कार्यो के लिये पंजीकृत कुल श्रमिकों में 18 से 30 वर्ष के युवाओं का अनुपात 6.71 प्रतिशत था जबकि मनरेगा का काम करने वाले कुल मजदूरों में उनका अनुपात 8.76 प्रतिशत दर्ज किया गया ।

वर्ष 2019-20 में ही मनरेगा कार्यो के लिये पंजीकृत श्रमिकों में 31 से 40 वर्ष के लोगों का अनुपात 32.58 प्रतिशत था जबकि काम करने वाले कुछ मजदूरों में उनका अनुपात 29.52 प्रतितशत दर्ज किया गया ।

पिछले वित्त वर्ष में मनरेगा कार्यो के लिये पंजीकृत कुल श्रमिकों में 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगो का अनुपात 1.38 प्रतिशत था जबकि मनरेगा का काम करने वाले कुल मजदूरों में उनका अनुपात 0.51 प्रतिशत दर्ज किया गया। मनरेगा कार्यो के लिये पंजीकृत श्रमिकों में 61 से 80 आयु वर्ग के श्रमिकों का अनुपात 12.92 प्रतिशत था जबकि मनरेगा का काम करने वाले कुल मजदूरों में उनका अनुपात 11.44 प्रतिशत रहा ।







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