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Sunday May 12, 2024
Aryavart Times

भारत से चावल निर्यात बढ़ा, काकीनाडा के गहरे पानी बंदरगाह के उपयोग को मंजूरी

भारत से चावल निर्यात बढ़ा, काकीनाडा के गहरे पानी बंदरगाह के उपयोग को मंजूरी

भारत की चावल निर्यात क्षमता को बड़ा प्रोत्साहन मिला है। काकीनाडा के गहरे पानी के बंदरगाह से चावल की खेप को रवाना किया गया है। निकटवर्ती बंदरगाहों पर जहाजों की भीड़भाड़ बढ़ने के चलते आंध्र प्रदेश सरकार ने चावल के निर्यात के लिए काकीनाडा के गहरे पानी के बंदरगाह के उपयोग को मंजूरी दी थी।

चावल के निर्यात का पंजीकरण और प्रबंधन करने वाले एपीडा ने आंध्र प्रदेश सरकार से आग्रह किया था कि निर्यातकों को काकीनाडा के गहरे पानी के बंदरगाह का उपयोग करने दिया जाए। आंध्र प्रदेश मैरीटाइम बोर्ड के नियंत्रण में काकीनाडा के गहरे पानी के बंदरगाह का उपयोग, भारत के चावल निर्यात क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा। काकीनाडा के निकटवर्ती बंदरगाहों पर जहाजों की भीड़ की समस्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। भारत से चावल की मांग में चालू वित्त वर्ष (2020-21) में तेज वृद्धि देखी गई है। राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन, काकीनाडा ने भी आंध्र प्रदेश सरकार से इसी तरह का अनुरोध किया था।

कोविड-19 महामारी के दौरान कई अफ्रीकी और एशियाई देशों से मांग में वृद्धि और दूसरा सबसे बड़ा चावल निर्यातक थाईलैंड में पिछले साल सूखा पड़नें के कारण भारत से चावल की मांग में वृद्धि हुई है । 

चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तीनों तिमाही में चावल, गेहूं और मोटे अनाज के निर्यात में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अप्रैल से दिसबंर-2020 के दौरान कुल 49,832 करोड़ रुपये का अनाज निर्यात किया गया। पिछले साल की इसी अवधि में कुल 32,591 करोड़ रुपये का अनाज निर्यात हुआ था। इस तरह निर्यात में 52.81 फीसद की वृद्धि हुई और यह डेढ़ गुना हो गया और अमेरिकी डॉलर में 45.81 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। (एपीडा) अनुसूचित उत्पादों के कुल निर्यात में अनाज निर्यात के मूल्य का कुल शेयर रुपये के संदर्भ में 48.61 प्रतिशत था।

आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-दिसंबर, 2020 के दौरान बासमती चावल का निर्यात 22,038 करोड़ रुपये (2947 मिलियन डॉलर) था। वहीं, पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 20,926 करोड़ (2936 मिलियन डॉलर) रुपये का निर्यात हुआ था। बासमती चावल का निर्यात रुपए के संदर्भ में 5.31 प्रतिशत  और डॉलर के संदर्भ में 0.36 प्रतिशत वृद्धि देखी गई।

वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान, गैर-बासमती चावल के शिपमेंट में प्रभावशाली वृद्धि देखी गई है। गैर-बासमती चावल का निर्यात अप्रैल-दिसंबर, 2020 के दौरान 22,856 करोड़ रुपये (3068 मिलयन डॉलर) था, जबकि अप्रैल- दिसंबर, 2019 की अवधि के दौरान 10,268 करोड़ रुपये (1448 मिलयन डॉलर) था। गैर-बासमती के निर्यात में रुपए के संदर्भ में 122.61 प्रतिशत और डॉलर के संदर्भ में 111.81 प्रतिशत वृद्धि देखी गई।

गैर-बासमती चावल के निर्यात में इस तरह की वृद्धि के पीछे एक प्रमुख कारण कोविड-19 महामारी के दौरान कई अफ्रीकी और एशियाई देशों से मांग में वृद्धि थी। कई देश चावल का भंडारण करना चाहते थे ताकि आपात स्थिति के दौरान उसका उपयोग किया जा सके।

एक दूसरा कराण जिसने भारत के गैर-बासमती चावल के निर्यात में मदद की, वह था, भारत के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा चावल निर्यातक थाईलैंड जहां पिछले साल सूखा पड़ा था जिससे उसका उत्पादन प्रभावित हुआ था।

चावल के निर्यात में तेजी से वृद्धि, विशेष रूप से एक ऐसे समय में, जब विश्व स्तर पर कोविड-19 महामारी के चलते कई वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हुई, सरकार द्वार कोविड-19 से संबंधित सभी सुरक्षा सावधानीयों को बरतते हुए चावल के निर्यात को सुनिश्चित करने का श्रेय दिया जाना चाहिए। 







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