34.5c India
Friday May 10, 2024
Aryavart Times

प्रधानमंत्री ने उज्जैन में ‘महाकाल लोक’ का प्रथम चरण राष्ट्र को किया समर्पित

प्रधानमंत्री ने उज्जैन में ‘महाकाल लोक’ का प्रथम चरण राष्ट्र को किया समर्पित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री महाकाल लोक में महाकाल लोक परियोजना का पहला चरण राष्ट्र को समर्पित किया। इस पूरी परियोजना की कुल लागत लगभग 850 करोड़ रुपये है। यहां लगभग 1.5 करोड़ प्रति वर्ष लोगों के आने की संख्या दोगुना होने की उम्मीद है।
जब प्रधानमंत्री मोदी नंदी द्वार से श्री महाकाल लोक तक पहुंचे तो पारंपरिक धोती पहने हुए थे। आंतरिक गर्भगृह में पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री ने पूजा और दर्शन किए और मंदिर के पुजारियों की उपस्थिति में भगवान श्री महाकाल के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना की।
प्रधानमंत्री ने श्री महाकाल लोक राष्ट्र को समर्पित करते हुए पट्टिका का अनावरण किया। प्रधानमंत्री ने मंदिर के संतों से भी मुलाकात की और उनसे संक्षिप्त बातचीत की। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने महाकाल लोक मंदिर परिसर का दौरा किया, वहां भ्रमण किया और सप्तऋषि मंडल, मंडपम, त्रिपुरासुर वध और नवगढ़ को देखा। प्रधानमंत्री ने भित्ति चित्र देखे जिनमें कई कहानियां उकेरी हुई थीं। इनमें शिव पुराण में वर्णित सृजन का कार्य, गणेश के जन्म, सती और दक्ष की कहानियां शामिल थीं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री महाकाल लोक में महाकाल लोक परियोजना का पहला चरण राष्ट्र को समर्पित किया । महाकाल लोक परियोजना का पहला चरण, विश्व स्तरीय आधुनिक सुविधाएं प्रदान करके यहां मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों के अनुभव को समृद्ध करने में मदद करेगा।
इस परियोजना का उद्देश्य इस पूरे क्षेत्र में भीड़भाड़ को कम करना और विरासत संरचनाओं के संरक्षण और जीर्णोद्धार पर विशेष जोर देना है। इस परियोजना के तहत मंदिर परिसर का करीब सात गुना विस्तार किया जाएगा।
इस पूरी परियोजना की कुल लागत लगभग 850 करोड़ रुपये है। इस मंदिर का मौजूदा फुटफॉल वर्तमान में लगभग 1.5 करोड़ प्रति वर्ष है, इसके दोगुना होने की उम्मीद है।
इस परियोजना के विकास की योजना दो चरणों में बनाई गई है।
यहां महाकाल पथ में 108 स्तंभ हैं जो भगवान शिव के आनंद तांडव स्वरूप (नृत्य रूप) को दर्शाते हैं। महाकाल पथ के किनारे भगवान शिव के जीवन को दर्शाने वाली कई धार्मिक मूर्तियां स्थापित की गई हैं।  इस पथ के साथ-साथ बने भित्ति चित्र शिव पुराण में वर्णित सृजन के कार्य, गणेश के जन्म, सती और दक्ष की कहानियों पर आधारित है। इस प्लाजा का क्षेत्रफल 2.5 हेक्टेयर में फैला हुआ है और एक ये कमल के तालाब से घिरा हुआ है जिसमें पानी के फव्वारे के साथ शिव की मूर्ति है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सर्विलांस कैमरों की मदद से इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर द्वारा इस पूरे परिसर की चौबीसों घंटे निगरानी की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि किसी राष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव इतना विशाल तभी होता है, जब उसकी सफलता का परचम, विश्व पटल पर लहरा रहा होता है।
उन्होंने कहा,‘‘ सफलता के शिखर तक पहुँचने के लिए भी ये जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए, अपनी पहचान के साथ गौरव से सर उठाकर के खड़ा हो जाए। आजादी के अमृतकाल में भारत ने ‘गुलामी की मानसिकता से मुक्ति’ और अपनी ‘विरासत पर गर्व’ जैसे पंचप्राण का आह्वान किया हैं।’’ 
मोदी ने कहा कि आज अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम, भारत की सांस्कृतिक राजधानी का गौरव बढ़ा रहा है, सोमनाथ में विकास के कार्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। 
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारनाथ-बद्रीनाथ तीर्थ क्षेत्र में विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार चारधाम प्रोजेक्ट के जरिए हमारे चारों धाम ऑल वेदर रोड्स से जुड़ने जा रहे हैं। 
प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना ही नहीं, आजादी के बाद पहली बार करतारपुर साहिब कॉरिडॉर खुला है, हेमकुंड साहिब रोपवे से जुड़ने जा रहा है। इसी तरह, स्वदेश दर्शन और प्रासाद योजना से देशभर में हमारी आध्यात्मिक चेतना के ऐसे कितने ही केन्द्रों का गौरव पुनर्स्थापित हो रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ और अब इसी कड़ी में, ये भव्य, अतिभव्य ‘महाकाल लोक’ भी अतीत के गौरव के साथ भविष्य के स्वागत के लिए तैयार हो चुका है।’’
मोदी ने कहा कक आज जब हम उत्तर से दक्षिण तक, पूरब से पश्चिम तक अपने प्राचीन मंदिरों को देखते हैं, तो उनकी विशालता, उनका वास्तु हमें आश्चर्य से भर देता है।
उन्होंने कहा कि कोणार्क का सूर्य मंदिर हो या महाराष्ट्र में एलोरा का कैलाश मंदिर, ये विश्व में किसे विस्मित नहीं कर देते? कोणार्क सूर्य मंदिर की तरह ही गुजरात का मोढेरा सूर्य मंदिर भी है, जहां सूर्य की प्रथम किरणें सीधे गर्भगृह तक प्रवेश करती हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ इसी तरह, तमिलनाडू के तंजौर में राजाराज चोल द्वारा बनवाया गया बृहदेश्वर मंदिर है। कांचीपुरम में वरदराजा पेरुमल मंदिर है, रामेश्वरम में रामनाथ स्वामी मंदिर है। बेलूर का चन्नकेशवा मंदिर है, मदुरई का मीनाक्षी मंदिर है, तेलंगाना का रामप्पा मंदिर है, श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर है। ऐसे कितने ही मंदिर हैं, जो बेजोड़ हैं, कल्पनातीत हैं, ‘न भूतो न भविष्यति’ के जीवंत उदाहरण हैं।’’
उन्होंने कहा कि हम जब इन्हें देखते हैं तो हम सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि उस दौर में, उस युग में किस तकनीक से ये निर्माण हुये होंगे। हमारे सारे प्रश्नों के उत्तर हमें भले ही न मिलते हों, लेकिन इन मंदिरों के आध्यात्मिक सांस्कृतिक संदेश हमें उतनी ही स्पष्टता से आज भी सुनाई देते हैं।
कहा जाता है कि मध्यकाल में इस्लामी शासकों ने यहां नमाज अदा करने के लिए पुजारियों को चंदा दिया था। 13 वीं शताब्दी में, उज्जैन पर अपने छापे के दौरान तुर्क शासक शम्स-उद-दीन इल्तुतमिश द्वारा मंदिर परिसर को नष्ट कर दिया गया था। वर्तमान पांच मंजिला संरचना का निर्माण मराठा सेनापति रानोजी शिंदे ने 1734 में भूमिजा, चालुक्य और मराठा वास्तुकला की शैली में किया था।  







Start the Discussion Now...



LIVE अपडेट: देश-दुनिया की ब्रेकिंग न्यूज़