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Friday May 10, 2024
Aryavart Times

प्रधानमंत्री ने भारत से विलुप्त हो चुके जंगली चीतों को कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा

प्रधानमंत्री ने भारत से विलुप्त हो चुके जंगली चीतों को कुनो नेशनल पार्क में छोड़ा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत से विलुप्त हो चुके जंगली चीतों को कुनो नेशनल पार्क  में छोड़ा। नामीबिया से लाए गए इन चीतों को ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत भारत में पेश किया जा रहा है जो कि मांसाहारी बड़े जंगली जानवरों के अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण की दुनिया की पहली परियोजना है ।
प्रधानमंत्री ने कुनो नेशनल पार्क में दो प्रवेश पॉइंट पर इन चीतों को छोड़ा। उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर चीता मित्रों, चीता पुनर्वास प्रबंधन समूह और छात्रों के साथ बातचीत भी की। इन आठ चीतों में से पांच मादा और तीन नर हैं।
प्रधानमंत्री द्वारा कुनो नेशनल पार्क में जंगली चीतों को छोड़े जाने का कदम भारत के वन्य जीवन एवं प्राकृतिक वास को पुनर्जीवित करने व उनमें विविधता लाने के उनके प्रयासों का हिस्सा है। 
चीता को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। जिन चीतों को छोड़ा गया है, वे नामीबिया के हैं और उन्हें इस साल की शुरुआत में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के तहत भारत लाया गया है।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,‘‘ जब हम अपनी जड़ों से दूर होते हैं, तो हम बहुत कुछ खो देते हैं। लेकिन अमृत में मृत को भी जीवित कर देने की शक्ति है । आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं। ’’
उन्होंने कहा कि इसमें अंतर्राष्ट्रीय दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है और भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है।
मोदी ने कहा, ‘‘ बढ़ते इको-टूरिज्म से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। भारत के लिए प्रकृति और पर्यावरण, उसके पशु और पक्षी, न सिर्फ स्थिरता एवं सुरक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि वे भारत की संवेदनशीलता और आध्यात्मिकता के आधार भी हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा।
उन्होंने कहा कि ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कुनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा
वर्ष 2014 में संरक्षित क्षेत्रों का जो कवरेज देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 4.90 प्रतिशत था, वह अब बढ़कर 5.03 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 2014 में देश में जहां कुल 1,61,081.62 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ 740 संरक्षित क्षेत्र थे, वहीं अब कुल 1,71,921 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ 981 संरक्षित क्षेत्र हो गए हैं।
पिछले चार वर्षों में वन और वृक्षों के कवरेज में 16,000 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। भारत दुनिया के उन चंद देशों में शामिल है जहां वन क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में 52 टाइगर रिजर्व हैं, जोकि 18 राज्यों के लगभग 75,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं। यहां दुनिया के लगभग 75 प्रतिशत जंगली बाघ बसते हैं। भारत ने लक्षित वर्ष 2022 से चार साल पहले 2018 में ही बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल कर लिया। भारत में बाघों की संख्या 2014 में 2,226 से बढ़कर 2018 में 2,967 हो गई है।
बाघों के संरक्षण के लिए बजटीय आवंटन 2014 में 185 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022 में 300 करोड़ रुपये हो गया है।
एशियाई शेरों की संख्या में 28.87 प्रतिशत की वृद्धि दर (अब तक की सबसे अधिक वृद्धि दरों में से एक) के साथ निरंतर वृद्धि हुई है। एशियाई शेरों की संख्या 2015 में 523 से बढ़कर 674 हो गई है।
भारत में अब (2020) तेन्दुओं की संख्या 12,852 है, जबकि 2014 के पिछले अनुमानों के अनुसार यह संख्या 7910 ही थी। तेन्दुओं की संख्या में 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।







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