जम्मू-कश्मीर में ज़िला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनावों में भाजपा ने जम्मू में अपना दबदबा क़ायम रखते हुए कश्मीर घाटी में भी खाता खोलने में कामयाबी हासिल कर ली है । कश्मीर घाटी में भाजपा ने तीन सीटें जीती हैं ।
कश्मीर घाटी में यूं तो स्थानीय पार्टियों के गुपकार गठबधंन ने दबदबा बरक़रार रखा है लेकिन, यहां भारतीय जनता पार्टी का खाता खुलना ज़्यादा महत्वपूर्ण है । चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि इसे कश्मीर में लोकतंत्र की जीत के तौर पर देखा जाना चाहिए ।
कश्मीर घाटी में भाजपा के कुछ सीटें जीत लेने से यह साफ़ ज़ाहिर हो गया है कि यहां के लोगों में अब भाजपा को लेकर सोच बदलनी शुरू हो गई है ।
श्रीनगर के बीजेपी उम्मीदवार एजाज़ हुसैन ने जीत के बाद कहा कि घाटी के लोग विकास चाहते हैं. हमने गुपकार गठबंधन के उम्मीदवार के ख़िलाफ लड़ाई लड़ी ।
उन्होंने कहा कि हमने भाजपा की नीति और एजेंडे को लोगों के बीच पहुंचाया । नतीजा यह हुआ कि भाजपा श्रीनगर की बलहामा सीट जीतने में कामयाब रही।
भाजपा की तरफ से चुनाव की देखरेख कर रहे सैयद शाहनवाज़ हुसैन इन नतीजों से बेहद ख़ुश हैं । उन्होंने कहा कि भाजपा ने तीन सीटों से कश्मीर घाटी में अपना खाता खोला है. यह दर्शाता है कि कश्मीर घाटी के लोग विकास चाहते हैं।
दरअसल इन चुनावों में यह बात मायने नहीं रखती कि किस पार्टी ने कितनी सीटें जीती हैं । मायने यह रखता है कि जम्मू-कश्मीर के आम लोगों ने चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेकर लोकतंत्र में अपना विश्वास जताया है ।
राज्य में 280 सीटों के लिए 2178 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे । बड़े पैमाने पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी क़िस्मत आज़माई । चुनाव आठ चरणों में शांतिपूर्ण ढंग से हुए. चुनावों में 51.76 फ़ीसदी वोट पड़े जबकि जम्मू के रियासी में सबसे ज़्यादा 74.62 प्रतिशत लोग वोट डालने निकले हालांकि आतंकवाद से प्रभावित पुलवामा ज़िले में सबसे कम 6.7 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला ।
भाजपा ने इस चुनाव जीतोड़ मेहनत भी की । डीडीसी चुनाव में भाजपा ने ज़ोरदार प्रचार अभियान छेड़ा. 19 केंद्रीय मंत्रियों और अन्य वरिष्ठ नेताओं को प्रचार में उतारा था ।
कश्मीर की मुख्य धारा की सात राजनीतिक पार्टियों ने गुपकर घोषणा पत्र गठबंधन (पीएजीडी) के बैनर तले चुनाव लड़ा । इनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी भी शामिल हैं ।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जिला विकास परिषद चुनाव के नतीजों और रुझानों को भाजपा और उसकी 'प्रॉक्सी राजनीतिक पार्टी' के लिए आंख खोलने वाला बताया और कहा कि लोगों ने राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त करने के फैसले को खारिज कर दिया है ।
Start the Discussion Now...