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Friday May 10, 2024
Aryavart Times

सरकार सभी के लिए 24 घंटे और सातों दिन बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रति वचनबद्ध बिजली संयंत्र

सरकार सभी के लिए 24 घंटे और सातों दिन बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रति वचनबद्ध   बिजली संयंत्र

 सात महत्‍वपूर्ण कदम

 

1.      जून से अगस्‍त 2014 के दौरानकोयला आधारित बिजली उत्‍पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में रिकॉर्ड 21 प्रतिशत की बढ़ोत्‍तरी हुई।

2.     सीआईएल ने और अधिक कोयला निकालने के लिए सैद्धांतिक रूप से 250 अतिरिक्‍त रैक (5000 करोड़ रूपए) खरीदने का फैसलाकिया। इसके अलावा सरकार, छत्‍तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा मेंतीन महत्‍वपूर्ण रेलवे लाइन स्‍थापित करने का कार्य तेजी से कर रही है। इससे 2017-18 तक प्रतिवर्ष 60 मिलियन टन मुनाफा कमाने की क्षमता हो जाएगी, जो 2021-22 तक 200 मिलियन टन तक बढ़ जाएगी।

3.    उसी मात्रा के कोयले से अधिक से अधिक बिजली पैदा करने के लिए पुराने और बेकार पडें संयंत्रों (> 25 वर्ष पुराने संयंत्र: 32500 मेगावॉट) को अतिआधुनिक महत्‍वपूर्ण संयंत्रों में बदलने के लिए संयोजन में स्‍वचालित परिवर्तन। कोयला संयोजन की तर्कसंगत व्‍याख्‍याकरने पर भी कार्य चल रहा है।(गुजरात और छत्‍तीसगढ़ के बीच पूरा परिवर्तन हो चुका है), जिसका उद्देश्‍य नजदीकी खदानों से बिजली संयंत्रों को जोड़ना है। इस एकमात्र कदम से ही करोड़ों रूपये की बचत हो सकती है।

4.     त्‍वरि‍त पर्यावरण मंजूरी सुनिश्चित करना (समयबद्ध निगरानी के साथ क्‍लस्‍टर आधारित दृष्टिकोण) और पर्यावरण सुरक्षा के लिए कदम।

5.     सौर अवयवों के एंटी डम्पिंग शुल्‍क विवाद को आपसी सहमति से सुलझाना, ताकि भारत में निर्मित (मेड इन इंडिया) सौर ऊर्जा उपकरणों को अधिक प्रोत्‍साहन दिया जा सके।

6.     पवन ऊर्जा की क्षमता बढ़ाने के लिएत्‍वरित अवमूल्‍यन को बहाल करने पर जोर दिया गया, ताकिपवन ऊर्जा निर्माताओं को फायदामिल सके।

7.     ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और घरेलू अपशिष्‍ट पदार्थों को अलग-अलग करने और संचारण तथा वितरण के ढांचे को मजबूत बनाने के लिएदीनदयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना (अनुमानित लागत 43000 करोड़ रूपये)। शहरी क्षेत्रों में उप-संचारण और वितरण की मजबूती के लिए समेकित बिजली विकास योजना (अनुमानित लागत 32600 करोड़ रूपये)। इसमें सौ प्रतिशत मीटर लगाना और भूमिगत केबल लगाना शामिल है।

 

   

सरकार को ऊर्जा क्षेत्र में कई समस्‍याएंविरासत में मिली हैं। 30 करोड़ से अधिकभारतीयों तक बिजली की पहुंच नहीं है, जिसकाविशेष रूप से महिलाओं और बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और आय अर्जन पर बुरा प्रभावपड़ता है। बिजली कटौती हमारे दैनिक जीवन काहिस्‍सा बन गई है। बिजली की बढ़ती मांग केमद्देनजर कोयला और गैस आधारित ऊर्जा संयंत्रोंमें करोड़ों का निवेश करने के बावजूद ये बेकारपड़े हैं या अपनी क्षमता से कम कार्य कर रहे हैं।राज्‍य बिजली बोर्डों पर 3 लाख 4 हजार रूपये काकर्ज है और उनका घाटा 2 लाख 52 हजार करोड़रूपये है। इस तरह के कई कारणों से नवीकरणीयऊर्जा सेक्‍टर लाचार हो गया है।

सरकार ऊर्जा क्षेत्र में संरचनात्‍कबदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है और सभीघरों, औद्योगिक और व्‍यापारिक प्रतिष्‍ठानोंतथा कृषि क्षेत्र के लिए पर्याप्‍त ऊर्जा 24x7उपलब्‍ध कराना सुनिश्चित करेगी।

            पिछले 100 दिनों में सरकार नेप्रमुख मंत्रालयों (पर्यावरण एवं वाणिज्‍य, रेलवे,वित्‍त, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, स्‍टील,खनन आदि) वित्‍तीय संस्‍थानों, औद्योगिकसंस्‍थानों, पारेषण एवं वितरण कंपनियों, ऊर्जाउत्‍पादकों एवं नवीकरणीय ऊर्जा आदि जैसेप्रमुख अंशधारकों के अलावा 18 राज्‍यों के साथसरकार ने विस्‍तृत विचार-विमर्श किया है।सरकार ने इस सेक्‍टर की जटिलताओं कोसमझकर कई कदम उठाए हैं और इसकेपरिणाम अब सामने आने शुरू हो गए हैं।

            सरकार ऊर्जा संयंत्रों के लिएपर्याप्‍त मात्रा में कोयला उपलब्‍ध कराने के लिएकई कदम उठा रही है और वर्ष 2019 तकउत्‍पादन लक्ष्‍य एक बिलियन टन है। कोयलाआधारित बिजली उत्‍पादन में जून से अगस्‍त2014 तक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलनामें रिकॉर्ड 21 प्रतिशत बढ़ोत्‍तरी दर्ज की गई है।अगस्‍त 2013 की तुलना में अगस्‍त 2014 मेंकोयला उत्‍पादन में 9 प्रतिशत की बढ़ोत्‍तरी हुईहै।

      कोयला आपूर्ति करने वाली प्रमुख कंपनीकोल इण्डिया लिमिटेड (सीआईएल) ने तीसरीपार्टी से सैम्‍पल लेने की व्यवस्था और वाशरीज़तथा क्रेशर से स्वच्छ तथा बारीक कोयले कीउपभोक्ताओं की मांग को देखते हुए कोयले कोबेहतर गुणवत्ता के साथ आपूर्ति करने की बातकही। राख की कमी और सस्‍पेंडेंड पाटिर्कल सेपर्यावरण क्षति को भी कम कर सकते है। बेहतरगुणवत्ता के कोयले को निकालने के लिए कईमहत्वपूर्ण कदम उठाये गये है, सीआईएल नेसैद्धांतिक रूप से 5 हजार करोड़ मूल्‍य केअतिरिक्त 250 रैकों की खरीददारी औरछत्तीसगढ़, झारखण्ड तथा ओडिशा में तीनमहत्वपूर्ण रेलवे लाइनों के तेजी से निर्माण करनेका फैसला किया है, जिससे 2017-18 तक हरवर्ष 60 मिलियन टन और 2021-22 तक हर वर्ष200 मिलियन टन कोयले की संभावित वृद्धिहोगी।

     पुराने एवं अक्षम संयंत्र (25 साल से पुरानेसंयंत्र-32,500 मेगावॉट) से अति आधुनिक एवंसुपर क्रिटिकल संयंत्र में लिंकेज का स्वत:परिवर्तन की मंजूरी दी गई है, ताकि उतने हीकोयले की खपत कर ऊर्जा उत्‍पादन को बढ़ावादिया जा सके। कोल लिंकेज को युक्तिसंगतबनाने का काम जारी है (गुजरात औरछत्‍तीसगढ़ में काम पूरा) जिसका मकसद ऊर्जासंयंत्रों को नजदीकी खदानों से जोड़ना है। यहकदम करोड़ों रुपये की बचत करने में सक्षमसाबित होगा। व्‍यवस्थित तरीके से (आर एफआई डी ऑफ कोल मूवमेंट, और नेशनल कोलडिस्‍पेच मॉनिटरिंग सेंटर की स्‍थापना) कोयलाचोरी पर शिकंजा कसने के लिए भी कदम उठाएगए हैं।

            बाधित पड़े गैस आ‍धारित संयंत्र के मुद्दोंके समाधान के लिए कई कदम उठाए गए हैं।पीक समय की मांग को पूरा करने के लिए मुख्‍यरूप से संयंत्रों को गैस से







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