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Monday April 29, 2024
Aryavart Times

गुजरात दंगों के बाद #नरेन्द्र मोदी के इस्तीफे पर अटल से #आडवाणी के मतभेद थे

गुजरात दंगों के बाद #नरेन्द्र मोदी के इस्तीफे पर अटल से #आडवाणी के मतभेद थे

गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा के बाद प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस्तीफा मांगने को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता #लालकृष्ण आडवाणी के बीच मतभेद थे । इस संबंध में आडवाणी ने अपने एक लेख में ऐसे दो उदाहरण दिए हैं जब #वाजपेयी और उनके बीच मतभेद उत्पन्न हुए थे । और तब आडवाणी के बीच में आने से तब नरेन्द्र मोदी के पद छोड़ने की मांग को लेकर घटना का पटाक्षेप हुआ था । 

एक विषय तब का है जब फरवरी 2002 में #गोधरा कारसेवकों से जुड़ी घटना के बाद गुजरात में #साम्प्रदायिक हिंसा भड़की थी. इस घटना के कारण विरोधी पार्टियों ने मोदी के त्यागपत्र की मांग कर दी थी.  

वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ‘साहित्य अमृत’ पत्रिका के अटल स्मृति अंक में अपने लेख ‘एक कवि हृदय राजनेता’ में अटल बिहारी वाजपेयी से अपनी घनिष्ठ मित्रता का उल्लेख करते हुए कहा कि बीजेपी और सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में कुछ लोग सोचने लगे कि नरेंद्र मोदी को पद छोड़ देना चाहिए, फिर भी इस विषय पर उनका विचार बिल्कुल अलग था।

उन्होंने अपने लेख में लिखा है, ‘‘ मेरी राय में मोदी अपराधी नहीं थे बल्कि वे स्वयं राजनीति के शिकार हो गए थे. इसलिये मैंने अनुभव किया कि एक वर्ष से भी कम समय पहले मुख्यमंत्री बने #नरेंद्र मोदी को जटिल साम्प्रदायिक स्थिति का शिकार बनाना अन्यायपूर्ण होगा.’’

उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति का वाजपेयी के मन पर काफी बोझ था. मोदी से त्यागपत्र मांगने के लिए उन पर दबाव डाला जाने लगा था. उन्होंने कहा कि 2002 में गोवा में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में जब जसवंत सिंह ने वजपेयी से पूछा कि आप क्या सोचते हैं. अटलजी ने कहा कि कम से कम #इस्तीफे का ऑफर तो करते.  आडवाणी ने कहा, ‘‘तब मैंने कहा कि अगर नरेंद्र के पद छोड़ने से गुजरात की स्थिति में कुछ सुधार आता है तो चाहूंगा कि उन्हें इस्तीफा देने को कहा जाए लेकिन मैं नहीं मानता कि कि इससे कुछ मदद मिल पाएगी.’’

पूर्व उपप्रधानमंत्री ने अपने लेख में इस घटनाक्रम को विस्तार से बताते हुए कहा कि इस बारे में उन्होंने नरेंद्र मोदी से बात की कि उन्हें त्यागपत्र देने का प्रस्ताव रखना चाहिए और वह तत्परता से मेरी बात मान गए. लेकिन जब उन्होंने (मोदी) त्यागपत्र देने की बात कही तब सभागार में ‘इस्तीफा मत दो’ के स्वर गूंज उठे. इस प्रकार इस मुद्दे पर पार्टी के भीतर बहस का अंत हो गया ।##

 







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